देहरादून। सुख-समृद्धि का प्रतीक फूलदेई त्योहार उत्तराखंड की गढ़ कुंमाऊ संस्कृति की पहचान है। वसंत का मौसम आते ही सभी को इस त्योहार का इंतजार रहता है। देहरादून में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी यह त्योहार मनाया। पौधरोपण भी किया।
विशेषकर बच्चों में इस त्योहार के प्रति उत्सुकता हर पल बढ़ती जाती है। घर-घर में फूलों की बारिश हो, हर घर सुख-समृद्धि से भरपूर हो। इसी भावना के साथ बच्चे अपने गांवों के साथ-साथ आस-पास के गांव में जाकर घरों की दहजीज पर फूल गिराते हैं और उस घर के लिए मंगलमय कामना करते हैं। साथ ही घर की गृहणी उनको फूल वर्षा के बदले चावल, गुड़ के साथ दक्षिणा के रूप में रुपए भी देती है। यह त्योहार आमतौर पर चैत्र पंचमी को आता है। इस दिन लोग गांवों में अपने घरों को साफ-सफाई कर लाल मिट्टी से सजाते हैं। फिर इसके बाद बच्चे इन घरों में विभिन्न प्रकार के फूलों की वर्षा कर गांव की उन्नति के गीत गाते हैं। फूलदेई त्योहार में बुरांस के फूल विशेष होते हैं। बच्चे एक दिन पहले ही जंगल जाकर बुरांस के फूल एकत्र करते हैं। इसके साथ ही प्यूंली, हिलांश, सरसौं आदि के फूलों से सजी रिंगाल की टोकरियों को सिर में रखकर बच्चे गीत गाते हुए आंगन-आंगन जाते हैं। फिर गांव के सार्वजनिक चैक में वसंत ऋतु के आगमन को लेकर गीत गाकर नृत्य करते हैं। मां यमुना के शीतकालीन प्रवास खरशाली गांव में फूलदेई त्योहार के अवसर पर बाजगी समाज द्वारा रिमझिम बारिश साथ आराध्यदेव शनिदेव समेश्वर देवता के मंदिर की परिक्रमा के साथ तांदी नृत्य किया गया।
नौनवेज के कारोबार में मंदीः मीट खाने से नहीं होता कोरोना संक्रमण
Sat Mar 14 , 2020
देहरादून। कोरोना संक्रमण की दहशत के बीच मटन और चिकन व मछली के कारोबार में भी मंदी की खबरें आ रही हैं। लोगों में यह बात भी फैल रही है कि मीट चिकन खाने से भी कोरोना का संक्रमण हो सकता है, जबकि डॉक्टर इस तरह के किसी तरह के […]

You May Like
-
चार रुपये पचास पैसे पेंशन और सोलह रुपये मोटर का भाड़ा
Pahado Ki Goonj September 19, 2019