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वाराणसी प्रशासन के प्रकाश को सस्पेंड करने से जनता का विश्वास उठा है

Pahado Ki Goonj


वाराणसी प्रशासन द्वारा सस्पेंड किये कई चित्तईपुर चौकी इंजार्ज का गुनाह बस इतना था कि वे दिन-रात कानून की रक्षा के लिए तत्पर रहते थे, प्रशासन की प्रतिष्ठा बढ़ाने के लिए बड़े से बड़े अपराधियों से भिड़ जाते थे,जान पर खेलकर बड़े खुलासे किए और बड़े माफियाओं को हवालात की हवा चखाई। प्रकाश चाहे कोतवाली थाने में रहे या फिर लंका थाने में अपराधियों को पकड़ने की लगभग हर टीम में प्रकाश रहे। एक बार कुख्यात अपराधी को पकड़ने के लिए प्रकाश सिंह मध्यप्रदेश उसके गांव चले गए..पूरे गांव के लोगों ने गड़ासा लेकर उन्हें घेर लिया पर प्रकाश अपनी सूझ बूझ से अपराधी को पकड़ कर लाने में कामयाब रहे।

इनहोने हमेशा शासन के  द्वारा दिल्ली, बिहार, झारखण्ड, मध्य प्रदेश मे अपराधियो के पिछे भेजा गया और ये  उसमे कामयाब होकर आये हैं। इन्होने हमेशा सत्यनिष्ठा से  अपने कर्तव्यो का  पालन किया है। एक जाबांज सिपाही जो दिन-रात कानून की रक्षा के लिए तत्पर रहते थे, प्रशासन की प्रतिष्ठा बढ़ाने के लिए बड़े से बड़े अपराधियों से भिड़ जाते थे,जान पर खेलकर बड़े खुलासे किए हैं 

कटिहार(बिहार) से अपराधियों को गिरफ्तार करने से लेकर CISF में पूर्व में नौकरी साथ ही साथ आँखों पे पट्टी बांध के एके-47 खोलने और लगाने की ट्रेनिंग और बहुत से सामाजिक कार्य इनके उपलब्धियों में जुड़े हुए है…समाज को इनकी कमी से जूझना पड़ेगा और अपराधियों का मनोबल बढ़ेगा ।

पर ऐसे सजग सिपाही को सस्पेंड करने से पहले प्रशासन ने एक बार भी नहीं सोचा।

खुद की सत्यनिष्ठा की सजा प्रकाश सिंह को मिली।वाराणसी प्रशासन ने एक तेज तर्रार और कानून के प्रति समर्पित सिपाही का मनोबल तोड़ा है।जो बहुत गलत हुआ है यदि  ऐसा ही होता रहा तो फिर शायद ही कोई पुलिसवाला फर्ज की लड़ाई इतनी शिद्दत से लड़ने की सोच नहीं सकता है 

 ऐसा क्या है जो रह-रहकर सुलग रहा है बीएचयू में

वाराणसी। लंबे अंतराल तक शांत रहने के बाद काशी हिंदू विश्वविद्यालय एक बार फिर सुलग रहा है। छोटी-छोटी घटनाओं से शुरु हो रहा विवाद बड़ा रुप ले रहा। कैम्पस में धरना और मार्च के बाद छात्रों का मनोबल बढ़ता ही जा रहा है। दुर्भाग्य है कि महामना की बगिया में पढ़ने आए छात्रों के कमरों से पुलिस को शीशी-बोतल और हथियार मिल रहे है। विश्वविद्यालय इन घटनाओं पर मनबढ़ छात्रों को चिन्हित कर कार्यवाही नहीं कर रहा जिसका खामियाजा आम जनता को भी भुगतना पड़ रहा है। कुछ दिन पूर्व ही बीएचयू के मनबढ़ छात्रों और दवा दुकानदारों का लंका पर आमना-सामना हुआ था। वह अभी बिता ही था कि बीते रविवार को छात्रों का दो गुट लंका थाने के मालवीय चौराहे पर भीड़ गया। इस दौरान बीच-बचाव कर मामला शांत करवाने पहुंचे लंका थाने के आरक्षी सुमित सिंह को भारी पड़ गया। एक गुट के छात्रों ने आरक्षी सुमित सिंह को ही मारपीट कर चोटिल कर दिया। बाद में पुलिस ने आरक्षी की तहरीर पर अज्ञात के विरुद्ध मुकदमा पंजीकृत कर लिया। घटना की सूचना मिलते ही मौके पर सिर चौकी इंचार्ज अमरेंद्र पांडेय और चितईपुर चौकी इंचार्ज प्रकाश सिंह पहुंचे और सबको थाने लेकर पहुंचे। यक्ष प्रश्न यह कि आखिर क्या है जो रह-रहकर सुलग रहा है बीएचयू में। अक्सर घटनाओ के पीछे या तो वर्चस्व की लड़ाई देखी गई है या अंदरूनी राजनीति के चलते छात्रों को मुद्दों को उकसाया जाता है।

…सोशल मीडिया पर निलंबित दरोगा का समर्थन

छात्रों ने आरोप लगाया कि मौके पर पहुंचे दरोगा प्रकाश सिंह ने उन्हें पिटा है, साथी को छुड़ाने के लिए थाने पहुंचे छात्रों ने हंगामा शुरू कर दिया। हंगामे को देखते हुए एसएसपी प्रभाकर चौधरी ने दरोगा प्रकाश सिंह सहित पुलिसकर्मियों को घटना के बाद सस्पेंड कर दिया। हालांकि अपने ही दरोगा को निलबिंत करने में एसएसपी ने जल्दबाजी कर दी। सोशल मीडिया पर बीएचयू के ही छात्रों ने मुहीम छेड़ दिया है। छात्र-छात्राएं लिख रही है, हम प्रकाश के साथ है। उन्होंने हमेशा ईमानदार पुलिसकर्मी की भूमिका निभाई है, तेजतर्रार होने का विभाग ने सही परिणाम नहीं दिया। समर्थक लिखते है कि प्रकाश कोतवाली और लंका रहते हुए कई बड़े खुलासों में रहे। लोकतंत्र में कानून व्यवस्था को मजबूत करने के लिए जांबाज  सेवाक की जरूरत है।  जनता का कहना है कि ऐसे जांबाजों की देश को जरूत है तभी देश मे कानून प्रभावी ढंग से लागू हो पाएगा।   अपराध व अपराधी लोगों की अंकुश लगाने के लिए प्रकाश सिंह जैसे लोगों की जरूरत हमेशा समाज की सुरक्षा के लिए होगी।

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