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अंतरिक्ष में पहली बार बाहर निकलकर चहलकदमी कर इतिहास रचने वाले एलेक्सी लियोनोव का निधन

Pahado Ki Goonj

मास्कों। साल 1965 में अंतरिक्ष में पहली बार चहलकदमी करने वाले सोवियत अंतरिक्ष यात्री एलेक्सी लियोनोव का निधन हो गया है। वे 85 वर्ष के थे। मॉस्को के एक अस्पताल में उन्होंने आखरी सांसें ली। जहां वे लंबी बीमारी की वजह से भर्ती थे।
रूसी अंतरिक्ष यात्री ओलेग कोनोनेंको ने लियोनोव के निधन को पूरे ग्रह के लिए क्षति बताया है। राष्ट्रपति पुतिन ने कहा है कि लियोनोव का साहस प्रेरणा देता है।
एलेक्सी लियोनोव ने अपने अंतरिक्ष यान से बाहर निकलकर लगभग 16 फीट लंबे केबल की मदद से अंतरिक्ष में 12 मिनट तक चहलकदमी की थी। साल 2014 में लियोनोव ने बीबीसी से कहा था, आप इसे शब्दों में बयां नहीं कर सकते। बाहर निकलकर केवल महसूस किया जा सकता है कि हमारे चारों ओर कितनी विशाल दुनिया है। लेकिन अंतरिक्ष यान से बाहर निकलना, जान जोखिम में डालने वाला साबित हुआ क्योंकि लियोनोव का स्पेससूट बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया था। उन्हें अंतरिक्ष यान में वापस आने के लिए खासी मशक्कत करनी पड़ी थी। ये उस दौर की बात है जब अमरीका और सोवियत रूस के बीच अंतरिक्ष में एक तरह की लड़ाई चल रही थी। इसलिए लियोनोव की वापसी को सोवियत रूस में फतह की तरह सराहा गया था।
लेकिन अंतरिक्ष के प्रति लियोनोव की महत्वाकांक्षा अंतरिक्ष में चहलकदमी करने से पूरी नहीं हुई। दस साल बाद वर्ष 1975 में अमरीका-सोवियत रूस ने पहली बार संयुक्त रूप से एक मिशन पर काम किया और लियोनोव सोयूज-अपोलो मिशन के कमांडर बने। लियोनोव का जन्म साइबेरिया में हुआ था। उनके पिता स्टालिन के दमन का शिकार बने थे। साल 1948 में उनका परिवार पश्चिमी रूस में आकर बस गया था। एयरफोर्स पायलट के तौर पर लियोनोव को साल 1960 में अंतरिक्ष यात्री के रूप में प्रशिक्षित करने के लिए चुना गया था। उन्हें यूरी गागरिन के साथ ट्रेनिंग का मौका मिला, जो अंतरिक्ष में जाने वाले पहले व्यक्ति थे। दोनों अच्छे दोस्त थे। मीडिया को दिए साक्षात्कारों में लियोनोव ने बताया था कि अंतरिक्ष में बाहर निकलने का अनुभव कैसा होता है।
उन्हीं के शब्दों में बाहर बेहद शांति थी, इतनी शांति कि मैं अपनी धड़कनों को भी सुन सकता था। मेरे चारों ओर तारे थे और मैं तैर रहा था जिस पर मेरा कोई नियंत्रण नहीं था। उस क्षण को मैं कभी नहीं भूल सकता। मुझे उस समय अपनी जिम्मेदारी का भी अहसास था। मुझे नहीं पता था कि मैं अपने जीवन के सबसे मुश्किल पलों को अनुभव करने वाला हूं और वो था अपने कैप्सूल में वापस आना। बाहरी अंतरिक्ष के निर्वात में लियोनोव के हाथ अपने हाथपोश से बाहर निकल आए थे। इसी तरह उनके पैर जूतों से बाहर आ गए थे। उन्हें महसूस हो रहा था कि इस तरह तो वो अनंत अंतरिक्ष के अंधकार में हमेशा के लिए खो जाएंगे।
लेकिन उन्होंने अपने स्पेससूट से थोड़ी ऑक्सीजन किसी तरह जुटाकर कैप्सूल तक वापसी की। इतनी मशक्कत में उनका वजन छह किलोग्राम कम हो गया था। धरती पर वापसी के लिए उनके अंतरिक्ष यान को यूराल पर्वतों के जंगलों में क्रैश-लैंडिंग करनी पड़ी थी। जहां मदद पहुंचने के लिए उन्हें और तीन दिन तक इंतजार करना पड़ा था।

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