आज मिटी सचमुच की सुषमा
आज मिटी सचमुच की सुषमा,
श्रावणी है आँसू बरस रही ।
वाक भाष की सर्वोच्च चोटिका,
जड़मूल भू पर बिखर गयी।
कौन कहेगा ओजस्वी भाषण,
संस्कृत, हिन्दी,इंग्लिश में।
किसके शब्दों को सुनकर अब,
बच्चे भाषा कौशल सीखेंगे।
किसके भाषण गूंजेगे अब ,
संयुक्त राष्ट्र के वैभव में।
राम,रावण की शिव स्तुति का,
कौन भेद बताये भावो से।
और चेहरे का सुन्दर भोलापन,
चांद की शीतलता हो जैसी,
असंख्य असहाय फसे विदेश,
लाई गोद उठाकर माँ जैसी।
खोज के लाई अपनी संतति ,
ममतामयी चिंता करके।
और कर देती प्रेम की बरखा,
वत्सल सी बूंदो भरके ।
कौन है भारत अब तेरे भीतर,
उनके जैसा वाक धनी।
जिनके दो शब्दों को सुनकर,
सरस्वती हो जाय धनी।
किसकी वाणी अब संसद में,
कान में मिश्री घोलेगी।
किसके चेहरे की सुषमा अब,
नयन ज्योति को खोलेगी।
द्रवित हृदय को हे! विदुषी तेरा,
अंतिम वाक्य हिलाता है।
“धन्यवाद किया उन मोदी का,
जो काश्मीर विलाता है।
तुमसे प्रेरित होगी युगो तक,
मेरे वतन की तरुणाई।
तुम भी गयी कहाँ हो सुषमा,
सायद नवल देह हो पाई,
मेरे शब्दों को सुन विमला,
सरस्वती कमला माई,
कृष्ण कहे जो गीता गाकर,
बात वही है बतलाई।उत्तराखंड वेब मीडिया एसोसिएशन ने धरना एक माह के लिए लंबित किया।
लो अब अंतिम विदाई तुमको,
मेरी भी आँखें भर आयी ।
असमय हे! विधाता तुमने ,
यह महानायिका बुलवाई
(विजय प्रकाश रतूड़ी)