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मिस्ड कॉल के नाम पर पहाड़ी महिलाओं के साथ धोका है- हरीश लखेड़ा

Pahado Ki Goonj

मिस्ड कॉल के नाम पर पहाड़ी महिलाओं के साथ धोका है— हरीश लखेड़ा

नई दिल्ली। मिस्ड कॉल! जी हां मिस्ड कॉल के नाम पर बदमाशों के गैंग उत्तराखंड की भोली-भाली महिलाओं को अपनी बातों में उलझा कर फंसा रहे हैं। यही वजह है कि उत्तराखंड से लड़कियां और महिलाएं गायब होने की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। सरकारी आंकड़े गवाह हैं कि हर साल लगभग 50 लड़कियों और महिलाओं के गायब होने की घटनाएं सामने आ रही हैं।
महिलाओं का गायब होने में पहाड़ के बदमाश भी शामिल हैं। उत्तराखंड से ज्यादातर महिलाएं हरियाणा और उत्तर प्रदेश के तराई क्षेत्र में गायब हो रही हैं। हिमालयी राज्यों खासतौर पर उत्तराखंड में आए दिन किसी भी फोन पर अनजान फोन आना आम बात है। फोन करने वाला देखता है कि यदि दूसरी तरफ से पुरुष आवाज आई तो फोन काट देता है, लेकिन यदि महिला की आवाज आई तो फोन करने वाला उससे कहता है कि उसके फोन पर इस नंबर से मिस्ड कॉल थी। जाहिर है कि महिला तो यही कहेगी कि उसने कोई कॉल नहीं की लेकिन वह व्यक्ति उसे बातों में उलझाने लगता है। फिर वह आए दिन फोन करते लग जाता है। उत्तराखंड में महिलाओं और लड़कियों से कोई भी पूछेंगा तो कई बता देंगी कि उनको भी फोन पर अनजान व्यक्ति ने कॉल करके कहा कि आपके मोबाइल फोन से मिस्ड कॉल आई थी। अब तो फेसबुक पर भी महिलाओं को फंसाया जा रहा है।
दरअसल, पहाड़ों की भोली-भाली महिलाएं तराई खासतौर पर उत्तर प्रदेश के सटे क्षेत्रों में सक्रिय गैंगों के निशाने पर हैं। ये बदमाश उत्तराखंड के किसी भी मोबाइल नंबर पर फोन मिलाते हैं। वे महिलाओं को मिस्ड कॉल करके अपने जाल में फंसा रहे हैं। सहारनपुर, नजीवाबाद, बिजनौर, अलीगढ़, रामपुर, मुरादाबाद से लेकर हरियाणा में भी इस तरह के गिरोह सक्रिय हैं। ये गैंग सोची समझी रणनीति के तहत काम कर रहे हैं। विशेष तौर पर जिन समाजों में महिलाएं कम हैं या जिनमें एक से ज्यादा शादियां होती हैं, वे ही उत्तराखंड की महिलाओं को भगा कर ले जा रहे हैं।
पिछले दिनों उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के बडक़ोट क्षेत्र से दो नाबालिग दलित लड़कियों के गायब होने की घटना आज भी कोई नहीं भूला है। बडक़ोट के पौंटी गांव से लापता हुई लड़कियां 15 और 16 वर्ष की उम्र की थीं। तब लड़कियों के परिजनों ने आरोप लगाया था कि रिश्तेदारी की आड़ में पौंटी गांव में हरियाणा से कुछ लोग आए थे जो लड़कियों को बरगलाकर अपने साथ ले गए। इसी तरह अल्मोड़ा जिले के सल्ट, भिकियासैंण, द्वाराहाट समेत आसपास के क्षेत्रों से लगभग एक दर्जन लड़कियां गायब होने की घटनाएं भी सुर्खियों में रही हैं। अल्मोड़ा के एक फौजी की मंगेतकर को कुछ साल पहले मुरादाबाद-रामपुर के लोग बहका-फुसलाकर ले गए। फौजी ने आत्महत्या कर ली थी।
ऐसा नहीं कि उत्तराखंड में लड़कियां और महिलाएं पहली बार गायब हो रही हैं। पहले यह काम नेपाली करते थे अब मैदानी क्षेत्रों के बदमाश कर रहे हैं। पहाड़ों से शादी या नौकरी के नाम पर झांसा देकर महिलाएं यहां तक कि नाबालिग लड़कियों को भगाकर या फिर खरीदकर ले जाने के मामले सामने आते रहे हैं। इस तरह के मामलों में कई बार परिजनों की संलिप्तता भी देखी गई है। खासकर गरीब परिजनों को झांसा दिया जाता है कि उनकी बेटी अच्छे घर की बहू बनेगी या फिर उसे अच्छी नौकरी मिलेगी परिजनों को एक मुश्त धनराशि देकर उन्हें इस अपराध में शामिल किया जाता है। इसके अलावा शराबी पति या पिता से मुक्ति पाने के लिए भी कई बार महिलाएं दूसरे समाजों के लोगों के साथ चली जा रही हैं। साफ है कि इस तरह के मामलों में स्थानीय दलालों की भूमिका भी रहती है।
दुखद बात यह है कि गांवों में तैनात पटवारी यानी राजस्व पुलिस और प्रशासन भी इस तरह की घटनाओं को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। उत्तराखंड के शहरों में पुलिस का यही हाल है।
इसलिए गांव में अपने परिजनों को बताएं कि किसी भी अनजान व्यक्ति का फोन न उठाएं। फेसबुक पर भी अनजान व्यक्ति से दोस्ती न करें। किसी को अपना फोन नंबर न दें। प्रवासी लोगों को भी इस बारे में पहल करनी चाहिए।
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