गोवा में सरकार बना पाने में नाकाम रही कांग्रेस को स्थानीय पार्टी नेताओं के साथ ही मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के सवालों का भी सामना करना पड़ा। गोवा के विधायक जहां इस मुद्दे पर राज्य के प्रभारी दिग्विजय सिंह के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं, वहीं मनोहर पर्रिकर की शपथ रुकवाने सुप्रीम कोर्ट पहुंची कांग्रेस को फजीहत भी झेलनी पड़ी। कोर्ट ने उल्टे कांग्रेस को ही फटकार लगाते हुए कई सवाल पूछ डाले। कोर्ट ने कहा कि कांग्रेस ने अपनी याचिका में विधायकों के समर्थन की बात नहीं की है। कोर्ट ने साथ ही याचिकाकर्ता के वकील से पूछा कि आपने इतना समय क्यों जाया किया?
चीफ जस्टिस जे एस खेहर, रंजन गोगई और आर के अग्रवाल की खंडपीठ ने कांग्रेस की याचिका पर पर्रिकर की शपथ पर रोक लगाने से साफ इनकार कर दिया। कोर्ट से साथ ही आदेश दिया कि बीजेपी 16 मार्च को 11 बजे फ्लोर टेस्ट कर बहुमत साबित करे।मामले की पैरवी के लिए कांग्रेस की आोर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी और केंद्र सरकार की ओर से हरीश साल्वे पेश हुए। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कांग्रेस से कई तीखे सवाल पूछे। कोर्ट ने कांग्रेस से पूछा कि जब पर्रिकर ने दूसरे दलों के समर्थन का दावा किया तो आप लोगों ने गवर्नर के सामने इसका खंडन क्यों नहीं किया और आपने उन विधायकों के समर्थन होने का दावा क्यों नहीं किया?
कोर्ट ने पूछा कि आप राज्यपाल के पास विधायकों के समर्थन पत्र लेकर क्यों नहीं गए? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जो बात राज्यपाल के पास कहना चाहिए वह बात आप सुप्रीम कोर्ट में आकर कर रहे हैं। आपके पास विधायकों के समर्थन पत्र नहीं है। आप राज्यपाल के पास जाते धरना देते और उनको दिखाते समर्थन वाला पत्र। बता दें कि गोवा में कांग्रेस 17 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी है। बीजेपी को 13 सीटें मिली हैं। बीजेपी अन्य दलों के साथ मिलकर 21 का जादुई आंकड़ा हासिल करने का दावा किया है। बीजेपी के मुताबिक महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी, गोवा फॉरवर्ड पार्टी और निर्दलीय विधायकों (3) का समर्थन हासिल है।