याद कीजिये जब कुछ दिन पहले एक अफवाह उडी थी कि नितिन गडकरी इंडिया गठबंधन को ज्वाइन कर सकते हैं हांलाकि ये महज़ अफवाह थी लेकिन जगजाहिर है कि विपक्ष में भी गडकरी को सम्मान की नज़र से देखा जाता है। अब ऐसे में जब ब्रांड मोदी को तगड़ा झटका लगा है तो क्या संघ बहुत बड़ा बदलाव करने का प्लान बना रहा है ? 2024 लोकसभा चुनावों में जहां बीजेपी को झटका लगा है, तो वहीं दूसरी ओर नागपुर लोकसभा सीट से बीजेपी के नेता और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी जीत का रिकॉर्ड बना रहे हैं । ऐसे में जब बीजेपी को अपने बूते पर स्पष्ट बहुमत नहीं मिल रहा है। तब क्या नितिन गडकरी प्रधानमंत्री बन सकते हैं ? क्योंकि नितिन गडकरी के हमेशा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से हमेशा अच्छे रिश्ते रहे हैं।
19 अप्रेल 2024 को पहले चरण के लोक सभा सामान्य चुनाव में वोट पड़ने के बाद प्रधानमंत्री मोदीजी 10 साल बाद आर एस एस मुख्यालय नागपुर गए और रात्रि विश्राम वहीं किया।
- पीएम मोदी क्या घटक दल के बनेंगे पहली पसंद ? गडकरी पीएम कैंडिडेट
अयोध्या में हार , यूपी में बंटाधार और अमेठी में पराजय सहित बंगाल में शिकस्त का खमियाजा कहें या थिंक टैंक यानी किंग मेकर संघ का प्लान बी , अंदरखाने खबर जो मीडिया में आने लगी है वो कुछ और ही इशारा दे रही है।नितिन गडकरी बीजेपी के ऐसे नेता है जिनके नाम पर विपक्ष के कुछ दल भी समर्थन दे सकते हैं। महाराष्ट्र से पीएम बनाए जाने की शर्त पर शिवसेना यूबीटी भी साथ आ सकती है। ऐसा करके संघ और बीजेपी शरद पवार की संभावित गुगली को बेकार कर सकती है। शिवसेना यूबीटी नेता संजय राउत ने चुनावों के बाद देवेंद्र फडणवीस को नितिन गडकरी के जरिए ही निशाने पर लिया था। राउत ने कहा था कि फडणवीस ने वहां पर सही से समर्थन नहीं दिया। फडणवीस भी नागपुर से आते हैं। वे नागपुर से ही विधायक हैं।
हैट्रिक की ओर गडकरी
नितिन गडकरी पहली बार 2014 में चुने गए तब ऐसा माना गया था कि मोदी लहर के चलते उन्होंने कांग्रेस के नेता विलास मुत्तेमवार काे हराया। 2019 लोकसभा चुनावों में नितिन गडकरी ने महाराष्ट्र कांग्रेस के मौजूदा अध्यक्ष नाना पटोले को शिकस्त दी थी। उस चुनाव में गडकरी जीते थे लेकिन उनकी जीत का मार्जिन 2014 की तुलना में घट गया था। गडकरी 2.16 लाख वोटों के अंतर से जीते थे। गडकरी के सामने जहां लगातार तीसरी बार न सिर्फ जीत की चुनौती है बल्कि अंतर भी बढ़ाने का दबाव है, तो वहीं कांग्रेस उलटफेर की कोशिश की थी। नितिन गडकरी ने चुनावों के पूर्व एक कार्यक्रम में कहा कि काम वाले का नाम कम होता है। वह कई मौकों पर विपक्ष की
तालियां बटोर चुके हैं।
नितिन गडकरी का मुरीद विपक्ष भी है
विपक्ष के कई नेता खुले तौर पर नितिन गडकरी की तारीफ कर चुके हैं। नितिन गडकरी अपनी साफगोई के लिए जाने जाते हैं। विपक्ष उनके कद को कम करने को लेकर विपक्ष पर निशाना साधता आया है।कांग्रेस ने जब 2024 के चुनावों के लिए पहली हुंकार भरी थी तब पार्टी की ओर से नागपुर में बढ़ी रैली की गई थी। राहुला गांधी ने इस रैली में सीधे-सीधे आरएसएस को निशाने पर लिया था। ऐसे में सवाल खड़ा हो रहा है कि अगर बीजेपी को अपने बूते पर बहुमत नहीं मिला तो क्या नरेंद्र मोदी तीसरी बार पीएम बनेंगे। उसके अब के करियर को देखें तो उन्होंने कभी अल्पमत की सरकार का नेतृत्व नहीं किया है। ऐसे में चर्चा सामने आ रही है लोकसभा चुनावों के परिणामों में अपेक्षित नंबर नहीं मिलने पर आरएसएस चिंतन और मंथन की मुद्रा में आ गया। साभाऱ
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