https://youtu.be/RwGQSIeYNDA (कीमत 500 से 2000rs)
https://youtu.be/L3nX-SE0u-c
https://youtu.be/RIMWoZN69k0
https://youtu.be/sDVwthz_Kxw
https://youtu.be/L3nX-SE0u-c
आइए जानते हैं पौड़ी गढ़वाल के सुनील दत्त कोठारी के बारे में!!
उत्तराखंड के चेलुसैन ब्लॉक द्वारीखाल तहसील लैंसडाउन पौड़ी गढ़वाल के सुनील दत्त कोठारी के द्वारा कोठारी पर्वतीय विकास समिति, इस समिति के द्वारा आप ग्रामीण परिवेश में रह रहे लोगों की आजीविका वर्धन करने के लिए, साथ ही साथ स्थानीय वनस्पतियों की जागरूकता कार्यक्रम के अंतर्गत स्थानीय पौधों को आधार देने के लिए अनेक प्रकार के ग्रामीणों की भूमिका में उत्पादन तैयार करते हैं,
आपका मुख्य कार्यकारिणी उन प्राकृतिक रूप से स्वयं प्राकृतिक उत्पादित औषधीय पौधों से, जो समय अनुसार स्वयं उगती हैं,और समय अनुसार नष्ट हो जाती है। आपका कहना है कि मुख्य रूप से वह वनस्पतियां हैं, जो पैतृक विधा यानीकि वैद्य विधा के द्वारा संजोए कर रखी गई थी, जो समय-समय पर उपचार विधि में प्रयोग की जाती रही हैं, परंतु आधुनिक परिवेश में मान्यताओं के बोझ के तले यह प्राय प्रचलन से बाहर हो गई हैं,जिनमें मुख्य रुप से
बिच्छूबूटी (नेटल) को विश्वविख्यात पहचान दिलाने के लिए कारगर भूमिका रही है! वंश परंपरागत विधियां खासकर हिमालय उत्तराखंड की संस्कृति को प्रकाशित करने का अनूठा प्रयास कर रहे हैं, आपके द्वारा संचालित कार्यक्रम के अंतर्गत वर्ष 2016 से आप लगातार गांव-गांव में जाकर प्रशिक्षण स्वयं बिना किसी सहयोग के कार्यक्रम चलाते हैं, जिसके अंतर्गत स्थानीय वनस्पतियों को संरक्षण, पहचान एवं जागरूकता अभियान से जोड़ना रहा है, एवं ग्रामीण परिवेश में रह रहे लोगों को आजीविका सर्जन का कार्य करता है। वर्ष 2016 से वर्ष 2021 तक कोठारी जी ने लगभग 22,000 महिलाओं एवं पुरुषों को इस पाठ्यक्रम के द्वारा जोड़ने का अटूट प्रयास किया गया है, जिसका मुख्य उद्देश्य वनस्पतियों के पहचान करना, परंपरागत विधि द्वारा तैयार करना तथा उत्पादन खाद्य एवं पेय पदार्थ के द्वारा स्थानीय ग्रामीण लोगों की आजीविका वृद्धि करने में सहायक है एवं उत्पादन की द्वारा उत्तराखंड की संस्कृति एवं स्थानीय लोगों के जीवन में आर्थिक रूप से प्रोत्साहित किया है। हिमालय की स्थानीय पौधों पर आप कार्य करते हैं ,उनमें स्थानीय वनस्पतियों को व्यवसायिक एवं उत्पादन का आधार देने के लिए, आप प्राकृतिक वनस्पति का अनूठा पद्धति जैसे सुखाने की पद्धति, उपचार(वनस्पति के गुण को बढ़ाने की विधि) की पद्धति साथ ही साथ मिश्रण(अन्य वनस्पतियों आपस में साझा अनुपात) बनाने की पद्धति पर विस्तृत पाठ्यक्रम एवं ज्ञान दिया जाता है, जिसका आधार वंश परंपरागत वैद्य विद्या से लिया गया है, साथ ही साथ आपके पित्र पूर्वज वैद्य विद्या के माहिर रहे हैं, तथा स्थानीय लोगों के उपचार के द्वारा कार्य करते रहे हैं। आपके द्वारा निर्मित सभी कार्यक्रम वंश परंपरागत वैद्य विद्या द्वारा प्रकाशित करने की धारणा को लेकर किया जा रहा है, साथ ही साथ आधुनिकरण तथा प्रमाणिकता गुणवत्ता के द्वारा विभिन्न मंचों पर आप उत्तराखंड हिमालय की संस्कृति को प्रस्तुत करते रहते हैं।उत्तराखंड की भूमि पर सुनील के द्वारा किए जाने वाले कार्य प्रमाणिकता को दर्शाने के साथ-साथ स्थानीय लोगों की आजीविका वृद्धि में सहायक एवं महत्वपूर्ण है। आपके द्वारा किए जाने वाले कार्य उत्तराखंड हिमालय की संस्कृति को विश्व पटल पर प्रस्तुत करने का अनूठा मिशन लेकर कार्यशील है, इसके साथ आपके द्वारा परंपरागत विधा जागर को हीलिंग पद्धति से जोड़कर लगभग सात प्रकार के विभिन्न पाठ्यक्रम का आपके द्वारा सर्जन किया गया है, जो आप ही कार्य पद्धति में चार चांद लगाते हैं। बौद्धिक संपदा से भरपूर तथा किसी विषय वस्तु को पाठ्यक्रम में परिवर्तित करके का हुनर हमारी हिमालय उत्तराखंड की परंपरागत विधियों को प्रकाशित करने का अनूठा कार्य कर रहे हैं, अगर परंपरागत क्राफ्ट की बात की जाए तो आपके द्वारा स्थानीय पाए जाने वाले चीड़ के फल (पाइनकोन) के द्वारा अनेक प्रकार के साज सज्जा की वस्तुएं का निर्माण एवं अनूठी कार्य पद्धति से एक सामान्य से दिखने वाले चीड़ के फल को विस्तृत पाठ्यक्रम के द्वारा जोड़कर, उत्तराखंड के परिपेक्ष में अनूठा उदाहरण प्रस्तुत किया है। आपके द्वारा कई मंचों पर आपके व्याख्यान में स्थानीय बोली भाषा का प्रचार एवं संरक्षण जैसे मुद्दे भी प्रदान रहते हैं। स्थानीय जागरूकता अभियान से जोड़ने के लिए आपने, जन जागरूकता कार्यक्रम बाघ भालू से कैसे बचे आदि को भी पाठ्यक्रम के रूप में लिखा है। आपको स्थानीय एवं अखिल भारतीय स्तर पर कई पुरस्कार एवं सम्मान से भी नवाजा गया है, साथ ही साथ आप टी कॉफी एसोसिएशन मुंबई के उत्तराखंड स्टेट रिप्रेजेंटेटिव के पद पर भी आसीन है, व सैफरन (केसर) डेवलपमेंट जम्मू एंड कश्मीर संस्था के भी ब्रांड एंबेसडर की भूमिका में कार्यशील है तथा एचपीएमएफ मुंबई के भी सदस्य के रूप में कार्यशील है। एवं सक्रिय रूप में आप ऋषिकेश में कई योगा स्कूल से भी हीलिंग एवं मेडिसन, प्राणायाम कि शिक्षक के रूप कई विदेशी विद्यार्थियों को शिक्षा देते आ रहे हैं, ऋषिकेश की भूमि पर आपकी पहचान योगा शिक्षक के रूप मे भी पहचान लिए हुए हैं, साथ ही साथ वंश परंपरागत वैद्य विधा के द्वारा स्थानीय जड़ी बूटी उपचार करने की पद्धति का भी विस्तृत एवं उपयोगी ज्ञान संचित किए हुए हैं।