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समस्याओं का शीघ्रता से समाधान हो ;मुख्यमंत्री

Pahado Ki Goonj

 *LIVE: देहरादून में उत्तराखण्ड राज्य आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण द्वारा आयोजित International Conclave on use of advance Technologies in Disaster Management कार्यक्रम*

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मुख्यमंत्री  पुष्कर सिंह धामी विधान सभा क्षेत्र पुरोला, गंगोत्री, घनसाली, टिहरी, धनौल्टी, विकासनगर, सहसपुर, रायपुर, राजपुर, देहरादून कैंट एवं मसूरी में गतिमान एवं लम्बित कार्यों / विकासपरक योजनाओं की समीक्षा बैठक कर रहे हैं।

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    मुख्यमंत्री  पुष्कर सिंह धामी ने मालसी, देहरादून स्थित एक होटल में ‘‘आपदा प्रबंधन के लिए आधुनिक तकनीक के उपयोग पर आयोजित अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलन’’ का शुभारंभ किया। उन्होंने कहा कि हिमालयी राज्य आपदाओं की दृष्टि से अत्यंत संवेदनशील हैं। यहाँ पर भूकंप, भूस्खलन, बादल फटना, वनाग्नि आदि प्राकृतिक आपदाएं घटित होती रहती हैं, जिससे अत्यधिक जन-धन की हानि होना स्वाभाविक है। इन आपदाओं से निपटने का एक ही उपाय है ‘‘प्रोएक्टिव अप्रोच’’ (पूर्व तैयारी)। केवल ‘प्रोएक्टिव अप्रोच’ द्वारा ही आपदाओं के प्रकोप को न्यूनतम किया जा सकता है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आपदाओं के साथ-साथ भूकम्प हमारे प्रदेश के लिये बहुत बड़ा खतरा है, इस तरह की आपदाओं से बचने के लिए आपदा से पूर्व चेतावनी के लिए आधुनिक तकनीक के उपयोग की दिशा में विशेष ध्यान देना होगा। उन्होंने आशा व्यक्त की कि इस दो दिवसीय सम्मेलन में इन विषयों पर गहनता से चिंतन होगा। उन्होंने कहा कि वर्ष 2013 में केदारनाथ आपदा के बाद प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के कुशल नेतृत्व में केदारनाथ में जिस प्रकार पुनर्निर्माण कार्यों को युद्ध स्तर पर सम्पादित किया गया, उसके कारण बहुत कम समय में ही केदारपुरी का न केवल पुनर्निर्माण किया गया, बल्कि बाबा केदार के धाम को और भी अधिक विहंगम एवं आलौकिक स्वरूप प्रदान किया जा सका। केदारनाथ आपदा और उसके बाद राज्य में आई अन्य आपदाओं से सीख लेते हुए हमारा आपदा प्रबन्धन विभाग अपने अनुभवों एवं सम्बन्धित संस्थाओं के सहयोग से एक ऐसी प्रणाली विकसित करने में सफल होगा जिससे हम आने वाले समय में अपने राज्य के साथ-साथ अन्य राज्यों की भी आपदाओं के दौरान मदद करने में सफल हो सकेंगे।

 मुख्यमंत्री ने कहा कि भूकम्प के अलावा ज्यादातर आपदायें बरसात के मौसम में ही घटित होती रही हैं, परन्तु पिछले कुछ वर्षों में आपदाएं हर मौसम में आ रही हैं। इसको देखते हुये राज्य को आपदाओं का सामना करने के लिये विशेष तैयारी की आवश्यकता है। जागरूकता और पूर्व चेतावनी से आपदाओं से होने वाले नुकसान को काफी कम किया जा सकता है। अक्टूबर 2021 में मौसम विभाग द्वारा भारी वर्षा से पहले ही चेतावनी दी गयी थी, जिसके कारण सम्भावित क्षति को काफी कम किया जा सका। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस कार्यशाला में जो भी निष्कर्ष उभरकर सामने आएंगे, वे केवल थ्योरी के लेवल पर ही नहीं, बल्कि प्रैक्टिकल लेवल पर भी आत्मसात् किए जाने योग्य होंगे, और हिमालयी राज्यों में आने वाली प्राकृतिक आपदा के समय आसानी से धरातल पर उतारे जा सकेंगे। उन्होंने आशा व्यक्त की कि इस कार्यशाला से जो भी निष्कर्ष निकलेंगे वे हमारे राज्य के लिए ही नहीं वरन् अन्य हिमालयी राज्यों के लिए भी लाभप्रद होंगे।

 इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री  गणेश जोशी, सचिव आपदा प्रबंधन डॉ. रंजीत सिन्हा, अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी  सविन बंसल, अपर सचिव  आनन्द श्रीवास्तव एवं आपदा प्रबंधन से संबंधित विषय विशेषज्ञ मौजूद थे।

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भारतीय सेना की प्रतिष्ठित योजना अग्निपथ में औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान से उत्तीर्ण छात्रों को तकनीकी श्रेणी में अग्निवीर के रूप में भर्ती में अधिमान दिये जाने का प्रावधान किया गया है। इसी परिप्रेक्ष्य में राज्य के आई०टी०आई० उत्तीर्ण उम्मीदवारों को उनकी शैक्षिक योग्यता साथ आई०टी०आई० उत्तीर्ण डिप्लोमा के आधार पर विभिन्न अंकों का वर्गीकरण कर अग्निवीर हेतु भर्ती में अतिरिक्त लाभ दिये जाने का उल्लेख किया गया है, जिससे राज्य के आई०टी०आई० उत्तीर्ण उम्मीदवारों को तकनीक क्षेत्र में रोजगार के साथ-साथ प्रतिष्ठित अग्निपथ योजना के माध्यम से देश की सेवा करने का सुअवसर भी प्राप्त हो सकेगा। 
     इस संबंध में सचिव  विजय कुमार यादव ने बताया कि मेजर जनरल मनोज तिवारी मुख्यालय भर्ती कार्यालय लखनऊ द्वारा जारी परिपत्र में स्पष्ट किया गया है कि अग्निवीर के रूप में भर्ती में 10वीं पास एवं द्विवर्षीय आईटीआई उत्तीर्ण को 20 अंक, 10वीं पास एवं दो/तीन वर्षीय डिप्लोमा उत्तीर्ण को 30 अंक, 12वीं पास एवं एक वर्षीय आईटीआई उत्तीर्ण को 30 अंक, 12वीं पास एवं द्विवर्षीय आईटीआई पास को 40 अंक तथा 12वीं पास एवं डिप्लोमा धारक को 50 अंक का बोनस दिया जायेगा।

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समस्याओं का शीघ्रता से हो समाधान।*

*योजनाओं के क्रियान्वयन में प्रक्रियाओं के सरलीकरण पर दिया जाए ध्यान- मुख्यमंत्री*

*विधानसभा क्षेत्रों के विकास कार्यों की होगी तीन माह में समीक्षा।*

विधायकगणों द्वारा अपने विधानसभा क्षेत्र की जो समस्याएं रखी जा रही हैं, उनका अधिकारी शीघ्रता से समाधान करें। अधिकारी यह भी सुनिश्चित करें कि सामान्य प्रक्रिया के तहत चलने वाले कार्यों में अनावश्यक विलंब न हो, उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक में क्षेत्रों की छोटी समस्याएं न आयें, इनका निदान जिलाधिकारी जनपद स्तर पर यथाशीघ्र करें। विधायकगणों द्वारा अपनी विधानसभा क्षेत्रों के जो कार्य प्राथमिकता पर रखे गये हैं, उनमें अनावश्यक विलंब न हो। यह निर्देश मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने मुख्यमंत्री आवास में टिहरी लोकसभा क्षेत्र की विधानसभाओं के गतिमान कार्यों एवं विकासपरक योजनाओं की समीक्षा के दौरान अधिकारियों को दिये।

मुख्यमंत्री  पुष्कर सिंह धामी ने कहा विधानसभाओं की समीक्षा बैठक के दौरान विभिन्न क्षेत्रों की जो भी समस्याएं आ रही हैं, उनके समाधान के लिए विभिन्न विभागों द्वारा क्या आवश्यक कार्यवाही की जा रही है, इसकी भी नियमित समीक्षा की जाए। जनसमस्याओं के त्वरित समाधान के लिए प्रक्रियाओं के सरलीकरण पर विशेष ध्यान दिया जाए। विभागीय सचिव विधानसभा क्षेत्रों की समस्याओं के निराकरण के लिए अपने विभागों की नियमित समीक्षा करें। जनपदों के प्रभावी सचिव भी नियमित रूप से जनपदों में विकास कार्यों की प्रगति की समीक्षा करें। उन्होंने कहा कि विधानसभाओं के विकास कार्यों की समीक्षाएं प्रत्येक तीन माह में की जायेंगी। अभी जो बैठक हो रही है, इनमें विधायकगणों द्वारा अपनी विधानसभा क्षेत्रों की जो समस्याएं रखी गई है, उनके समाधान के लिए किये गये प्रयासों की भी अगली बैठक में समीक्षा की जायेगी।

मुख्यमंत्री  पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उत्तराखण्ड में बागवानी, कृषि, पर्यटन के क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं। इन क्षेत्रों में लोगों की आजीविका बढ़ाने के लिए और तेजी से कार्य किये जाएं। स्थानीय स्तर पर लोगों को स्वरोजगार के अधिक से अधिक अवसर उपलब्ध होने से पलायन भी रूकेगा। एप्पल एवं कीवी मिशन के तहत भी तेजी से कार्य किये जाएं। किसानों को बागवानी और खेती के लिए उन्नत किस्म के बीज और पौध की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए। राज्य की आर्थिकी को तेजी से बढ़ावा देने के लिए और प्रयासों की जरूरत है। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिये की आगामी ग्रीष्म काल के दृष्टिगत पेयजल आपूर्ति की समुचित व्यवस्थाएं सुनिश्चित की जाएं।

बैठक में विधाकगणों द्वारा सड़कों के निर्माण, स्वास्थ्य सुविधाओं को और बेहतर बनाने, बाढ़ सुरक्षा के कार्य, पेयजल की समस्या, कूड़ा निस्तारण की समस्या, ड्रेनेज एवं सीवरेज की समस्या से अवगत कराया गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि विधायकगणों द्वारा जो भी जन समस्याएं रखी गई हैं, उनका हर संभव समाधान किया जायेगा।

बैठक में कैबिनेट मंत्री  गणेश जोशी, सांसद टिहरी श्रीमती माला राज्यलक्ष्मी शाह, विधायक  किशोर उपाध्याय,  प्रीतम सिंह पंवार,  शक्तिलाल शाह,  मुन्ना सिंह चौहान,  सहदेव सिंह पुण्डीर,  उमेश शर्मा काऊ,  खजान दास, श्रीमती सविता कपूर,  दुर्गेश्वर लाल,  सुरेश सिंह चौहान, अपर मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी,  आनन्द बर्द्धन, प्रमुख सचिव  आर. के. सुधांशु, सचिव  आर.मीनाक्षी सुंदरम,  बी.वी.आर.सी. पुरुषोत्तम, डॉ. रंजीत सिन्हा,  एच.सी. सेमवाल, डॉ. आर. राजेश कुमार,  एस.एन.पाण्डेय, महानिदेशक शिक्षा  बंशीधर तिवारी, अपर सचिव  जगदीश चन्द्र काण्डपाल, संबंधित विभागीय अधिकारी एवं वर्चुअल माध्यम से संबंधित जनपदों के जिलाधिकारी एवं जिला स्तरीय अधिकारी उपस्थित थे।आगे पढ़ें 
मुख्यमंत्री ने दी प्रदेशवासियों को नवसंवत्सर तथा चैत्र नवरात्रि की शुभकामनाएं।

मुख्यमंत्री  पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेशवासियों को नवसंवत्सर के साथ ही चैत्र नवरात्रि की शुभकामनाएं दी है। चैत्र नवरात्रि को शक्ति की उपासना का पर्व बताते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि यह पर्व हमें नवीन उत्साह के साथ देश व समाज की सेवा की भी प्रेरणा देता है।

अपने संदेश में मुख्यमंत्री ने कहा कि भारतीय सनातन परम्परा में किसी भी शुभ कार्य के प्रारम्भ में संकल्प लेने का विधान रहता है। शक्ति के अनुष्ठान का यह पर्व रचनात्मक एवं सृजनात्मक कार्यों के प्रति प्रेरणा प्रदान करने वाला हो इसका हमें संकल्प लेना होगा। यह नवसंवत्सर सभी के जीवन में सुख, समृद्धि प्रदान करने वाला हो इसकी भी उन्होंने कामना की है।

मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि यह पर्व भारतीय संस्कृति की महान परंपरा का प्रतीक है। नवरात्र का यह पर्व समाज में नारी के महत्व और सामर्थ्य को दर्शाता है। इस अवसर पर किया जाने वाला कन्यापूजन नारी शक्ति के महत्व का प्रतीक है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि चैत्र नवरात्र को इस बार प्रदेश में नारी शक्ति उत्सव के रूप में मनाया जाएगा। इस दौरान प्रत्येक जिले में देवी उपासना के कार्यक्रम आयोजित होंगे। हमारे वेदों और पुराणों में चैत्र नवरात्रि को विशेष महत्व दिया गया है। इसे आत्मशुद्धि तथा सद् प्रवृत्ति का आधार माना गया है। चैत्र नवरात्रि में मां दुर्गा का पूजन करने से नकारात्मक ऊर्जा खत्म होती है तथा एक सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। अतः चैत्र नवरात्रों की उत्तराखण्ड राज्य में व्यापक धार्मिक महत्ता के दृष्टिगत इस दौरान प्रदेश में सभी प्रमुख देवी मंदिरों एवं शक्तिपीठों में धार्मिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने सभी से नारियों के सम्मान की भी अपील की है।

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मुख्य सचिव डॉ. एस.एस. संधु ने मंगलवार को सचिवालय में ऋषिकेश शहर के मास्टर प्लान के सम्बन्ध में अधिकारियों के साथ बैठक ली। मुख्य सचिव ने कहा कि ऋषिकेश शहर का यातायात चारधाम यात्रा के दौरान अत्यधिक प्रभावित रहता है। उन्होंने ऋषिकेश मास्टर प्लान हेतु सभी सम्बन्धित विभागों को आपसी तालमेल के साथ कार्य करने के निर्देश दिए।

मुख्य सचिव ने कहा कि ऋषिकेश मास्टर प्लान में 3 जनपद और लगे हुए स्थानीय निकाय भी शामिल हैं। इसके लिए सभी जनपदों के साथ आपसी समन्वय से इस दिशा में कार्य किया जाए। उन्होंने कहा कि चारधाम यात्रा के दौरान ऋषिकेश की यातायात व्यवस्था चरमरा जाती है। उन्होंने मास्टर प्लान में ऋषिकेश शहर की यातायात व्यवस्था को केंद्र में रख कर प्लान तैयार किए जाने के निर्देश दिए।

मुख्य सचिव ने कहा कि ऋषिकेश बाईपास रोड भी प्रस्तावित है, जो इस समस्या को काफी हद तक कम कर देगी। उन्होंने अधिकारियों को नेशनल हाईवे से संपर्क कर मास्टर प्लान में ऋषिकेश बाईपास रोड को भी शामिल किए जाने के निर्देश दिए। मास्टर प्लान तैयार करते हुए 3 या 5 साल का रोलिंग प्लान का भी प्रावधान रखा जाए। उन्होंने कहा कि आमजन को इस मास्टर प्लान की जानकारी हो, और उनके सुझाव लिए जाएं, साथ ही, उनके द्वारा लगाई जाने वाली आपत्तियों को दूर किए जाने के प्रयास किए जाएं।

इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव श्री आनन्द बर्द्धन, सचिव आवास श्री एस.एन. पाण्डेय, सम्बन्धित जनपदों के जिलाधिकारी और उपाध्यक्ष एमडीडीए श्री बंशीधर तिवारी सहित सम्बन्धित विभागों के अन्य उच्चाधिकारी उपस्थित थे।

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मुख्य सचिव डॉ. एस.एस. संधु ने मंगलवार को सचिवालय में प्रदेश में ईको टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए आज जनपद नैनीताल, पौड़ी, अल्मोड़ा, टिहरी और चमोली के जिलाधिकारियों और डीएफओ के साथ बैठक की। मुख्य सचिव ने कहा कि प्रदेश का अधिकतर भाग वन क्षेत्र होने के कारण यहां ईको टूरिज्म की अत्यधिक संभावनाएं हैं। ईको टूरिज्म में अधिक से अधिक रोजगार सृजन की संभावनाएं हैं।

मुख्य सचिव ने कहा कि वन विभाग को इसके लिए महत्त्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी। उन्होंने कहा कि फॉरेस्ट अधिकारियों को नियामक मानसिकता से बाहर निकल कर बिना पर्यावरण और वन को नुकसान पहुंचाए प्रदेश के विकास में अपनी भागीदारी निभानी होगी। कहा कि सभी जनपदों को इस दिशा में कार्य करना है, जो भी जनपद अच्छा कार्य करेंगे उन्हें पुरस्कृत किया जाएगा। मुख्य सचिव ने कहा कि प्रोफेशनल गाइड प्रशिक्षण प्रदान कर अच्छे से प्रशिक्षित किया जाए। उन्होंने कहा कि ईको टूरिज्म साइट्स को विकसित करने के लिए प्राकृतिक सामग्रियों का अधिक से अधिक प्रयोग कर कंक्रीट स्ट्रक्चर्स से परहेज किया जाए। उन्होंने ईको टूरिज्म साइट्स को जानकारी के लिए सभी होटल और रिजॉर्ट्स में पैंपलेट्स आदि रखने के निर्देश दिए ताकि पर्यटकों को अपने आसपास स्थित ऐसे स्थानों की जानकारी मिल सके, गूगल मैप में भी आसपास के पुराने पर्यटन स्थलों के साथ नए स्थल भी पर्यटकों को मिल सकें।

मुख्य सचिव ने प्रमुख वन संरक्षक को सभी डीएफओ को वन क्षेत्र में स्वीकार्य और अस्वीकार्य गतिविधियों की जानकारी उपलब्ध कराए जाने के निर्देश दिए। उन्होंने सभी प्रकार के पर्यटन स्थलों में पर्यटकों से फीडबैक लिए जाने हेतु सिस्टम विकसित करने के भी निर्देश दिए। कहा कि पर्यटकों से कमियों की जानकारी और सुझाव लेकर उन्हें दूर किए जाने की दिशा में कार्य किए जाने की आवश्यकताएं हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश की 80-90 प्रतिशत साइट्स में रॉक क्लाइंबिंग की संभावनाएं हैं, इन्हें विकसित करते हुए सभी ऐसी साइट्स पर एक्सपर्ट भी अवश्य लगाया जाए। उन्होंने सभी गतिविधियों में स्थानीय लोगों को शामिल करते हुए उस कार्य में लगे लोगों के सुझाव लेकर योजना को सफल बनाए जाने की दिशा में काम किया जाए।

बैठक के दौरान आज जनपद नैनीताल, पौड़ी, अल्मोड़ा, टिहरी और चमोली के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उक्त जनपदों के डीएफओ द्वारा चिन्हित स्थलों के लिए प्रस्तावित गतिविधियों पर प्रस्तुतीकरण दिया गया।

इस अवसर पर प्रमुख सचिव  आर. के. सुधांशु एवं प्रमुख वन संरक्षक (हॉफ)  विनोद सिंघल सहित जनपदों से जिलाधिकारी और डीएफओ उपस्थित थे।

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