देहरादून केन्द्र सरकार से उत्तराखंड के लिए 300 मेगावाट अतिरिक्त बिजली की स्वीकृति दे दी गईं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इसके लिए केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आर के सिंह का आभार व्यक्त किया है।
*गौरतलब है कि उत्तराखंड को केन्द्र सरकार से आवंटित 300 मेगावाट बिजली की अवधि 28 फरवरी को पूरी हो गईं थी। सीएम पुष्कर सिंह धामी ने 300 मेगावाट अतिरिक्त बिजली का कोटा यथावत जारी रखने के लिए केंद्रीय ऊर्जा मंत्री को पत्र लिखकर अनुरोध क्रिया था। साथ ही फोन पर भी बात कर आग्रह किया था। इसी क्रम में केन्द्रीय सरकार ने 300 मेगावाट अतिरिक्त बिजली की स्वीकृति दे दी है।
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एसीएस श्रीमती राधा रतूड़ी ने राज्य के सभी स्कूलों व आंगनबाडियों में जल आपूर्ति, वॉश बेसिन, शौचालय की सुविधा का 100 प्रतिशत लक्ष्य शीघ्र पूरा करने के निर्देश दिए
*जिलाधिकारी जल जीवन मिशन को मार्च 2024 से पहले पूर्ण करने के लिए इस मिशन की ऑनरशिप लें*
*राज्य के प्रत्येक गांव में आपूर्ति जल (Supplied Water) गुणवत्ता की टेस्टिंग*
अपर मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी ने कुंओं की टेस्टिंग तथा क्लोरीफिकेशन के निर्देश
अपर मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी ने सभी जिलाधिकारियों को राज्य के प्रत्येक स्कूल, आंगनबाड़ी, पंचायत घर, पब्लिक वेलनेस सेन्टर में जल आपूर्ति, वॉश बेसिन, शौचालय सुनिश्चित करने तथा प्रत्येक गांव में आपूर्ति किये जाने वाले जल की गुणवत्ता की टेस्टिंग समयबद्धता से सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। अपर मुख्य सचिव श्रीमती रतूड़ी ने राज्य के पिथौरागढ़ जिले में पीलिया के मामलों का संज्ञान लेते हुए पिथौरागढ़ सहित सभी जिलों में जहां पर लोग पेयजल हेतु कुंओं का प्रयोग करते है, कुंओं की टेस्टिंग तथा क्लोरीफिकेशन के निर्देश दिए है। इसके साथ ही श्रीमती राधा रतूड़ी ने जिलाधिकारियों को जल जीवन मिशन के सम्बन्ध में फॉरेस्ट किलेयरन्स के मामलों को शीघ्र से शीघ्र निस्तारण के लिए कहा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि जिलाधिकारी जल जीवन मिशन को मार्च 2024 से पहले पूर्ण करने के लिए इस मिशन की ऑनरशिप लें तथा इसमें सभी जनपदीय अधिकारियों की भागीदारी सुनिश्चित करें। उन्होंने जिलों में जल जीवन मिशन की रेगुलर मॉनिटरिंग सुनिश्चित करने करने के निर्देश दिए।
बुधवार को सचिवालय में जल जीवन मिशन की प्रगति समीक्षा करते हुए अपर मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी ने राज्य के शहरी क्षेत्रों में नालियों से गुजरने वाली पुरानी पाइपलाइन की जांच के भी निर्देश पेयजल विभाग एवं जल संस्थान को दिए। एसीएस ने अधिकारियों को स्पष्ट किया कि जल जीवन मिशन के सम्बन्ध में सेंक्शनड डीपीआर तथा पूर्ण कार्यो के बीच गैप नही रहना चाहिए। इस सम्बन्ध में उन्होंने अधिकारियों को प्रो-एक्टिव मोड पर कार्य करने के लिए कहा। श्रीमती रतूड़ी ने राज्य के गांवों, स्कूलों, आंगनबाड़ियों तथा अन्य सामुदायिक संस्थानों में फील्ड टेस्टिंग किट्स के माध्यम से पानी की गुणवत्ता की टेस्टिंग को प्रोत्साहित करने के निर्देश भी जिलाधिकारियों को दिए। उन्होंने अधिकारियों से थर्ड पार्टी इंस्पेक्शन एजेंसियों के कार्यों की भी मॉनिटरिंग सुनिश्चित करने के लिए कहा।
बैठक में जानकारी दी गई कि राज्य में अभी तक जल जीवन मिशन के तहत फक्शनल हाउसहोल्ड टेप कनेक्शन (एफएचटीसी) के मामलों में राज्य में 73.80 प्रतिशत कवरेज है। इसके तहत 14, 94, 304 हाउसहोल्ड हैं। राज्य के तीन जिलों में यह 90 से 100 प्रतिशत है। हर घर जल वाले कुल गांव 2546 हैं। राज्य में जल जीवन मिशन के तहत कुल अनुमोदित डीपीआर 16337 हैं, जिनमें से 9771 योजनाएं पूरी हो चुकी है, जिनकी लागत 1058.29 करोड़ रूपये है। हर घर जल सर्टिफिकेशन के तहत कुल 2546 गांव दर्ज किए गए हैं, जिनमें से 65 गांवों को सर्टिफाइड कर दिया गया है। उत्तराखण्ड में कुल 15029 विलेज वाटर एण्ड सेनिटेशन कमिटी बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, जिनमें से 15024 कमेटी बना दी गई हैं, जो कि लक्ष्य का 99.97 प्रतिशत है। राज्य में 19249 स्कूलों में शुद्ध जल आपूर्ति का लक्ष्य है, जिसमें से 19118 स्कूलों में आपूर्ति सुनिश्चित कर दी गई हैं, जो कि लक्ष्य का 99.32 प्रतिशत है। राज्य में कुल 16473 आंगनबाड़ियों में जल आपूर्ति का लक्ष्य है, जिसमें से 16407 आंगनबाड़ियों आपूर्ति सुनिश्चित हो चुकी है, जोकि लक्ष्य का 99.60 प्रतिशत है। राज्य में कुल 27 लैब्स हैं।
बैठक में सचिव पेयजल डा0 नितेश कुमार झा, अन्य उच्चाधिकारी तथा विडियो कान्फ्रेसिंग के माध्यम से विभिन्न जिलों के जिलाधिकारी व अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
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ऋषिकेश मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने बुधवार को ऋषिकेश स्थित योग भरत घाट में आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव में प्रतिभाग किया।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि देवभूमि उत्तराखंड देश की सांस्कृतिक राजधानी ही नहीं अपितु योग और वेलनेस का उत्कृष्ट केंद्र भी है। इसलिए राज्य सरकार प्रदेश में योग व वेलनेस केंद्रों का विकास करने के लिए निरंतर कार्य कर रही है। योग हमारे प्रदेश की प्राचीनतम परंपरा है, योग के माध्यम से उत्तराखंड के लोगों को देश विदेश में नई पहचान मिली है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा योग के क्षेत्र में काम कर रहे उत्तराखंड के लोगों को सम्मानित किया जाना समस्त प्रदेशवासियों के लिए सम्मान का विषय है। यह हमारा सौभाग्य है कि इस अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव में पद्मश्री से सम्मानित आदरणीय योगाचार्य स्वामी शिवानंद जी, रजनीकांत जी का मार्गदर्शन प्राप्त हो रहा है। योग महोत्सव में आगंतुकों को जहां एक ओर योग, ध्यान और प्राणायाम की बारीकियों को सीखने का मौका मिलता है, वहीं दूसरी ओर वे नाड़ी परीक्षण और आयुर्वेद शिविरों के माध्यम से अपनी समस्याओं का निःशुल्क समाधान भी पाते हैं।
उन्होंने कहा कि ऋषिकेश की आध्यात्मिक भूमि पर संध्या काल में गंगा आरती, भजन, संकीर्तन और आंचलिक लोक-संगीत की धुन योग महोत्सव में भाग लेने वालों को उत्तराखंड की संस्कृति और विरासत से रूबरू कराने का कार्य करेगी। आज हम कितने तनावपूर्ण माहौल में क्यों न हों, कुछ मिनट का ध्यान हमें आराम देता है, हमारी क्षमताओं को बढ़ा देता है। इसलिए, हमें योग को एक अतिरिक्त काम के तौर पर नहीं लेना है, हमें योग को जानना भी है, हमें योग को जीना भी है, हमें योग को पाना भी है और हमें योग को अपनाना भी है। आज प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत, विश्व को योग का संदेश दे रहा है, ऐसे में अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव का महत्व और भी बढ़ जाता है।
मुख्यमंत्री ने कहा की ऋषिकेश की नैसर्गिक सुंदरता भी ऐसी है कि लोग स्वयं यहां प्रकृति का आनंद लेने के लिए आते हैं और योग महोत्सव के दौरान यह सौंदर्य और आनंद अपने चरम को छू लेता है। संपूर्ण विश्व में आज हमारे ऋषिकेश को योग की अंतरराष्ट्रीय राजधानी कहा जाता है, यह हम सभी के लिए बड़ी गौरव की बात है।
उन्होंने कहा की कुछ ही दिनों बाद यहां होने वाली जी20 बैठक के बाद तो ऋषिकेश की इस आध्यात्मिक भूमि से विश्व का कोना कोना परिचित हो जायेगा। आज प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में घर-घर में योग का प्रचार हुआ है, आज योग ’पार्ट ऑफ लाइफ’ नहीं बल्कि अब ’वे ऑफ लाइफ’ बन चुका है। उन्होंने कहा कि ऋषि-मुनियों की तपस्थली ऋषिकेश जैसे भारत के आध्यात्मिक केन्द्रों ने जिस योग-ऊर्जा को सदियों से पोषित किया, आज वो योग ऊर्जा विश्व स्वास्थ्य को दिशा दे रही है। आज योग वैश्विक सहयोग का पारस्परिक आधार बन रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज योग मानव मात्र को निरोगी जीवन का विश्वास दे रहा है, आज दुनिया के अलग-अलग देशों में सूर्योदय के साथ, सूर्य की गति के साथ, लोग योग कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्हें पूरा विश्वास है कि कि इस महोत्सव में आयोजित होने वाले सत्रों की सार्थक चर्चा, हमारी सरकार को योग के क्षेत्र में और अधिक कार्य करने के लिए प्रेरित करेगी।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के निर्देशन में उत्तराखण्ड की हमारी डबल इंजन की सरकार उत्तराखण्ड को देश का सर्वश्रेष्ठ राज्य बनाने के अपने विकल्प रहित संकल्प को पूरा करने के लिए संकल्पबद्ध होकर निरंतर कार्य कर रही है। आज जब पूरी दुनिया में हमारे प्रदेश की पहचान योग और आध्यात्म की जननी के रूप में है, तब हम सभी का दायित्व है कि इस पहचान को उत्कृष्टता प्रदान करने का कार्य करें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आगामी चार धाम यात्रा यहा आने वाले श्रद्धालुओं, पर्यटकों को सुगम और सरल हो इसके लिये व्यापक तैयारियों की जा रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले बार की यात्रा में तमाम चुनौतियों के बावजूद 50 लाख से अधिक यात्री देवभूमि के दर्शन हेतु आये। इस बार अभी तक 1.51 लाख रजिस्ट्रेशन हो चुके है तथा जीएमवीएन को 4 करोड़ की बुकिंग प्राप्त हो चुकी है। होटल व्यवसायियों की भी बुकिंग यात्रियों द्वारा की जा रही है। इस अवसर मुख्यमंत्री ने आस्थापथ सेतु के विस्तार की भी घोषणा की।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने पद्मश्री स्वामी शिवानन्द को सम्मानित किया। जबकि पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज द्वारा पद्मश्री रजनीकान्त को सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री गंगा आरती में भी शामिल हुए, उन्होंने गंगा पूजन कर प्रदेश की खुशहाली की कामना की। इसके पश्चात मुख्यमंत्री ने योग पर आधारित आकर्षक ड्रोन शो का भी अवलोकन किया।
पर्यटन मंत्री श्री सतपाल महाराज ने कहा कि यह महोत्सव उत्तराखण्ड के पर्यटन को नये आयाम प्रदान करेगा। इससे हमारे परम्परागत उत्पादों को भी पहचान मिलेगी। देश व दुनिया के लोगों को यहां की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत से परिचित होने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा की यहां की वर्ड वाचिंग के साथ कई क्षेत्रों में पहचान बन रही है। राज्य के अन्य पर्यटन क्षेत्रों को पहचान दिलाने का भी कार्य किया जा रहा है। वेडिंग डेस्टिनेशन को भी उत्तराखण्ड में प्रमोट करने का कार्य किया जा रहा है। जिससे लोग यहां विवाह कर देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त करें। अनेक धार्मिक सर्किटों के माध्यम से प्रदेश को पहचान दिलाने का कार्य भी किया जा रहा है। इससे पर्यटन को और अधिक बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने सभी श्रद्धालुओं से अपील की कि चारधाम के साथ लगे अन्य दर्शनीय स्थलों का भी भ्रमण करें।
सचिव पर्यटन श्री सचिन कुर्वे ने सभी आगन्तुको का स्वागत करते हुए अन्तराष्ट्रीय योग महोत्सव के अवसर पर आयोजित होने वाले कार्यक्रमों की जानकारी दी। सचिव पर्यटन ने कहा कि यह योग महोत्सव उत्तराखण्ड के पर्यटन को बढ़ावा देने के हमारी अतिथि देवो भवः की परम्परा को और अधिक प्रभावी बनाने मे मददगार होगा। उन्होंने बताया कि अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव 2023 में 6 प्रतिष्ठित योग संस्थान भाग ले रहे हैं ईशा फाउंडेशन, आर्ट ऑफ लिविंग, रमामणि अयंगर स्मृति योग संस्थान, कैवल्यधाम, कृष्णमाचार्य योग मंदिरम तथा शिवानंद योग वेदांत सेंटर।
कार्यक्रम को कैबिनेट मंत्री श्री प्रेम चंद अग्रवाल, श्री सुबोध उनियाल ने भी सम्बोधित किया।
इस अवसर पर मेयर ऋषिकेश अनीता ममगाई, नगर पालिका अध्यक्ष मुनिकीरेती श्री रोशन रतूड़ी एवं योगाचार्य उपस्थित थे।