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उत्तराखंड के प्रमुख समाचार जानिए

Pahado Ki Goonj

 देहरादूनउत्तराखण्ड में असंगठित क्षेत्र के 96 प्रतिशत श्रमिक, कामगार व नौकरीपेशा लोग ई-श्रम के तहत रजिस्टर्ड हो चुके है। ई श्रम में कामगारों के पंजीकरण के मामले में राज्य देश में तीसरे स्थान पर है। कुल रजिस्टर्ड श्रमिकों में लगभग 16.37 लाख महिलाएं है। राज्य में कुल रजिस्टर्ड 3700 फैक्ट्रियों में 7 प्रतिशत महिला श्रमिक कार्यरत है। अपर मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी ने राज्य में कामकाजी महिलाओं  का प्रतिशत बढ़ाकर राज्य के सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि के लक्ष्य को पूरा करने के लिए शासन और जिला प्रशासन को प्रो-एक्टिव मोड पर कार्य करने के निर्देश दिए हैं। श्रीमती रतूड़ी ने कहा कि उत्तराखण्ड में महिला कार्यबल को बढ़ाने के लिए महिलाओं के लिए कार्यस्थल पर सुरक्षित और सकारात्मक वातावरण सुनिश्चित कराना प्रशासन की सबसे बड़ी  जिम्मेदारी है। भारत सरकार द्वारा प्रत्येक जिले में महिला वर्किंग हॉस्टल के लिए 50-50 लाख स्वीकृति की जानकारी देते हुए एसीएस श्रीमती रतूड़ी ने समस्त जिलाधिकारियों को  निर्देश दिए कि जल्द से जल्द सभी 10 पर्वतीय जिलों में भी महिला वर्किंग हॉस्टल हेतु भूमि चयन की प्रक्रिया पूरी की जाय। इसके साथ ही उन्होंने निर्देश दिए कि जिला स्तर पर सभी जिलाधिकारी सुनिश्चित करें कि महिलाओं की शिकायतों के निस्तारण हेतु इन्टरनल कंपलेंट कमेटी जल्द से जल्द गठित की जाय। उन्होंने भारत सरकार तथा उत्तराखण्ड सरकार द्वारा संचालित सभी महिला कल्याणकारी योजनाओं की सख्त मॉनिटरिंग के भी निर्देश  दिए।
अपर मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी ने बुधवार को सचिवालय में महिला सशक्तीकरण विषय पर गठित वर्किंग गु्रप के तहत Creating Enabling Ecosystem for Women’s Safety and Empowerment  विषय पर आयोजित कार्यशाला में राज्य के सभी जिलाधिकारियों से राज्य में महिलाओं का कार्यबल बढ़ाने तथा उन्हें कार्यस्थलों पर सुरक्षित वातावरण प्रदान करने हेतु सुझाव मांगे।
घरेलू हिंसा के मामलों में महिलाओं की शिकायतों को काउंसलिंग तक सीमित न रखकर शारीरिक हिंसा की गंभीर मामलों  को आईपीसी ऑफेंस के तहत एफआईआर दर्ज कर पीड़िता को शीघ्र राहत तथा दोषियों के विरूद्ध सख्त कार्यवाही जैसे महत्वपूर्ण निर्देश भी अपर मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी ने जिला पुलिस अधीक्षकों को आज की बैठक में दिए। उन्होंने राज्य में बाल विवाह तथा मानव तस्करी को रोकने हेतु ठोस प्रयास करने के निर्देश भी दिए।


एसीएस श्रीमती रतूड़ी ने कहा कि राज्य में संचालित वन स्टॉप सेंटर्स को पुलिस विभाग सहित अन्य विभिन्न विभागों से जोड़ना आवश्यक है। इसके साथ ही सभी महिला हेल्प लाइनों 181, 112, 1905 को  जोड़ने पर भी विचार किया गया। अपर मुख्य सचिव ने बताया कि राज्य सरकार उत्तराखण्ड में कार्यरत महिलाओं के लिए सुरक्षित कार्यस्थल सुनिश्चित करने तथा महिला कार्यबल को बढ़ाने के लिए मिशन मोड पर कार्य कर रही है। राज्य का पुलिस विभाग संगठित एवं असंगठित कामकाजी महिलाओं के पंजीकरण हेतु विकसित किए जाने वाले वन स्टॉप सोल्यूशन एप पर गंभीरता से कार्य कर रहा है। अधिक से अधिक महिलाओं को इस एप से जोड़ने के लिए कार्य किया जा रहा है। जल्द ही मुख्यमंत्री  पुष्कर सिंह धामी इसे लॉंच करेंगे। उत्तराखण्ड का प्रशासन और पुलिस महिलाओं के खिलाफ होने वाले साइबर क्राइम और आईटी अपराधों से बचाव हेतु भी मेकेनिज्म तैयार करने पर गंभीरता से काम कर रहा है।
इस अवसर पर सचिव  शैलेश बगोली, अपर सचिव  सी रविशंकर, श्रीमती रिद्धिम अग्रवाल, अन्य वरिष्ठ अधिकारी तथा वर्चुअल माध्यम से समस्त जिलाधिकारी एवं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक उपस्थित थे।

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उत्तराखण्ड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह(से नि), गुजरात के राज्यपाल आचार्य  देवव्रत, मुख्यमंत्री  पुष्कर सिंह धामी एवं कृषि मंत्री गणेश जोशी ने सर्वे ऑफ इंडिया स्टेडियम हाथीबड़कला, देहरादून में कृषि विभाग उत्तराखण्ड द्वारा आयोजित राज्य स्तरीय प्राकृतिक खेती कार्यशाला में प्रतिभाग करते हुए मुख्यमंत्री प्राकृतिक कृषि योजना का शुभारंभ, नमामि गंगे प्राकृतिक कृषि कॉरीडोर योजना का शुभारंभ और राष्ट्रीय प्राकृतिक कृषि विषय पर आधारित पुस्तक का विमोचन किया। कार्यक्रम में प्राकृतिक कृषि बोर्ड का गठन भी किया गया।

इस अवसर पर राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह(से नि) ने कहा कि प्राकृतिक कृषि पद्धति में अनेक समस्याओं का समाधान है। आचार्य श्री देवव्रत जी ने भारत की एक प्राचीन कृषि पद्धति को नया आयाम दिया है। हम सबको प्रकृति की ओर लौटने की एक राह दिखाई है इसके लिए उनका अभिनंदन करता हूँ।

राज्यपाल ने कहा कि प्राकृतिक कृषि कोई नया रूप नहीं है बल्कि हमारे प्राचीन वैदिक चिंतन के युग के अनुरूप एक नई पहचान है। यह समय की मांग है और हमें प्राकृतिक कृषि की ओर लौटना होगा। उत्तराखण्ड में प्राकृतिक कृषि एक ब्रांड बनें हमें इस विजन को धरातल पर उतारना होगा। उन्होंने कहा कि हमें प्राकृतिक कृषि और गौ सेवा को एक साथ आगे बढ़ाना होगा। गाय का गोबर और गौ मूत्र प्राकृतिक खेती के लिए खाद बनाने में बहुत लाभकारी है। उन्होंने कहा कि हमें अपनी सभ्यता, संस्कृति को प्राचीनतम इतिहास के साथ आधुनिक तकनीकों को जोड़ते हुए आगे बढ़ना होगा। प्राचीन पद्धति को आधुनिक तकनीक के साथ जोड़ना होगा। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ड्रोन टेक्नोलॉजी, रोपवे यही भारत का आने वाला भविष्य है इस दिशा में कुछ लक्ष्य तय करने होंगे।

राज्यपाल ने कहा कि हमें एग्रीकल्चर को अपनाकर एग्रीकल्चर को अपना कल्चर बनाना होगा और कोऑपरेटिव को कॉर्पोरेट तक ले जाना होगा। उन्होंने कहा कि यह भारत का अमृतकाल है जो उत्तराखण्ड का दशक है। हिमालय और देवभूमि के विकास के नए कीर्तिमान इसी दशक में तय करने होंगे। उन्होंने कहा कि आने वाले समय के लिए लक्ष्य निर्धारित करने होंगे। हमें इसकी शुरुआत कृषि से करते हुए विकसित उत्तराखण्ड की नई इबारत लिखनी होगी।

कार्यशाला में उपस्थित गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने अपने संबोधन में कहा कि उत्तराखण्ड की धरती प्राकृतिक सौंदर्य और संपदा से समृद्ध है जो प्राकृतिक खेती के लिए वरदान साबित हो सकती है। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक कृषि उत्तराखण्ड की अर्थव्यवस्था के लिए गेम चेंजर साबित हो सकती है। इसके लिए किसानों को रासायनिक खेती और जैविक खेती का त्याग करना होगा। उन्होंने कहा कि वर्तमान में हमारे किसान अपने खेतों में रसायनों व उर्वरकों का अत्यधिक प्रयोग कर रहे हैं जिस कारण भूमि की उपजाऊ क्षमता खत्म हो रही है। रासायनिक खादों के दुष्परिणाम आ रहे हैं जिससे कई तरह की बीमारियां भी हो रही हैं। खेतों में कार्बन और माइक्रो पोषक तत्व कम हो रहे हैं।

उन्होंने कहा कि इन सब समस्याओं के समाधान के लिए हमें प्राकृतिक कृषि की ओर लौटना होगा। उन्होंने कहा कि मेरे द्वारा स्वयं 200 एकड़ में प्राकृतिक खेती की जा रही है जिसमें रसायन खादों का बिल्कुल भी इस्तेमाल नहीं किया जाता। उन्होंने बताया कि हिमाचल प्रदेश में 2लाख किसानों और गुजरात में लगभग 3 लाख किसानों द्वारा प्राकृतिक खेती की जा रही है। राज्यपाल ने कृषि वैज्ञानिकों से कहा कि प्राकृतिक खेती पर अधिक से अधिक रिसर्च की जाए और अधिक किसानों को इसके लिए प्रोत्साहित किया जाए। प्राकृतिक खेती से जहां पर्यावरण संरक्षण हो सकेगा वहीं किसानों की आमदनी दोगुनी और वह सशक्त और खुशहाल बनेंगे। राज्यपाल श्री देवव्रत ने अपने अनुभवों के आधार पर उपस्थित कृषकों को प्राकृतिक खेती की महत्व एवं इसके फायदे गिनाये।

मुख्यमंत्री  पुष्कर सिंह धामी ने राज्य स्तरीय प्राकृतिक खेती कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए घोषणा की कि राज्य में प्राकृतिक कृषि को बढ़ावा देने के लिये प्राकृतिक कृषि विकास बोर्ड का गठन किया जायेगा। मुख्यमंत्री प्राकृतिक कृषि योजना के लिये मुख्यमंत्री ने 10 करोड़ की धनराशि स्वीकृति प्रदान की। उन्होंने कहा कि नमामि गंगे कृषि कोरिडोर योजना से गंगा स्वच्छता को भी मदद मिलेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में कृषि क्षेत्र में की जा रही बेस्ट प्रैक्टिस को पूरे देश में पहचान मिलेगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत की संस्कृति और धरती माता के संरक्षण के अभिनव कार्यक्रम को आगे बढ़ाने के लिए आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के मार्गदर्शन में जो कार्य राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने प्रारम्भ किए हैं, वह अभूतपूर्व हैं। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इस मंथन से एक ऐसा अमृत प्राप्त होगा जो प्राकृतिक कृषि के क्षेत्र में संभावनाओं के नए द्वार खोलने में सहायक सिद्ध होगा।

उन्होने कहा कि प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में देश में प्राकृतिक कृषि को बढ़ावा मिल रहा है। इस बार के बजट में कृषि को हाइटेक बनाने के साथ-साथ प्राकृतिक कृषि पर भी अभूतपूर्व फोकस किया गया है। प्राकृतिक खेती को बढ़ावा मिलने से हमारे किसान आत्मनिर्भरता के पथ पर आगे बढ़ रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड प्राकृतिक दृष्टि से भी परम्परागत कृषि के लिए एक उपयुक्त राज्य है। जलवायु विविधता के कारण हमारे यहां कई प्रकार की स्थानीय फसलें, फल, जड़ी-बूटी और सुगन्धित पौध आदि की खेती की जाती है। उन्होंने कहा कि हमारी कोशिश है कि प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों के लिए व्यापारिक संभावनाओं को बढ़ावा दिया जाए ताकि अधिक से अधिक किसान प्राकृतिक खेती को अपनाएं। हमारा जीवन, हमारा स्वास्थ्य, हमारा समाज सबके आधार में हमारी कृषि व्यवस्था ही है। बीते कुछ वर्षों के दौरान रसायनों के इस्तेमाल से हमारी उत्पादन क्षमता तो बढ़ी है लेकिन हमारे खेतों और हमारी मिट्टी पर इसका प्रतिकूल प्रभाव भी पड़ा है। धरती को माँ मानने की परम्परा भारतीय संस्कृति में ही है। आज स्थिति यह है कि रासायनिक उर्वरकों, कीटनाशकों के अंधाधुंध और असंतुलित प्रयोग का दुष्प्रभाव मिट्टी और पर्यावरण पर ही नहीं बल्कि हमारे पशुओं की सेहत पर भी स्पष्ट रूप से दिखने लगा है।

वर्तमान में देश ही नहीं बल्कि दुनिया भर में प्राकृतिक कृषि उत्पादों की मांग बढ़ रही है और हमारा लक्ष्य है कि इसका अधिक से अधिक लाभ उत्तराखंड के किसानों को मिले। हमारा किसान सशक्त होगा तो हमारी अर्थव्यस्था मजबूत होगी और जब अर्थव्यवस्था मजबूत तभी भारत पुनः विश्वगुरू के पद पर आरूढ़ हो पायेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि 21 अक्टूबर को सीमान्त गांव माणा में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने एक बार फिर 21वीं सदी के तीसरे दशक को उत्तराखण्ड का दशक बताया है। प्रधानमंत्री का यह संदेश हमें निरंतर उत्तराखण्ड देश के अग्रणी राज्यों में शामिल करने की प्रयासों की प्रेरणा देने वाला है।

कृषि मंत्री गणेश जोशी ने कहा कि भारत एक कृषि प्रधान देश है सरकार किसानों एवं उनके कल्याण हेतु लगातार कार्य कर रही है। उन्होंने कहा प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में किसानों को सशक्त बनाने के लिए विभिन्न योजनाओं पर कार्य किया जा रहा है वही दूसरी ओर मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में उत्तराखंड राज्य के किसानों की आय दोगुनी किए जाने के संकल्प को हम पूरा करने हेतु प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने कहा प्राकृतिक खेती का उद्देश्य उत्पादन मूल्य को शून्य करना है जिससे किसानों को उनकी फसलों का दाम मिल सके। इस अवसर पर विधायक श्री खजान दास, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेन्द्र भट्ट, सचिव कृषि डॉ. बी.वी.आर.सी पुरुषोत्तम, निदेशक कृषि गौरी शंकर सहित कृषि वैज्ञानिक और प्रदेश के सभी जनपदों के कृषक उपस्थित रहे।

गुरुवार को सचिवालय स्थित मीडिया सेंटर में महानिदेशक सूचना बंशीधर तिवारी से सामुदायिक रेडियो हेवलवाणी,

चंबा टिहरी गढ़वाल के निदेशक राजेन्द्र सिंह नेगी, रवि नेगी ने से भेंट कर हेवलवाणी गढभूमि सम्मान 2022 प्रदान किया किया। साथ ही उत्तराखंडी टोपी व शॉल भेंट की। उल्लेखनीय है कि सामुदायिक रेडियो हेवलवाणी के 21 वर्ष पूर्ण होने पर आयोजित कार्यक्रम में उल्लेखनीय कार्य करने वाले व्यक्तियों को गढभूमि सम्मान 2022 से सम्मानित किया गया था। उक्त कार्यक्रम में महानिदेशक सूचना शामिल नही हो पाए थे।

इस अवसर पर महानिदेशक सूचना  बंशीधर तिवारी ने कहा कि वर्तमान समय में सामुदायिक रेडियो का महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार सामुदायिक रेडियो को हर संभव सहयोग प्रदान कर रही है। श्री तिवारी ने कहा कि सामुदायिक रेडियो की पहुँच सुदूर पर्वतीय क्षेत्रों तक है। राज्य सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं एव नीतियों के प्रचार प्रसार में सामुदायिक रेडियो महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। उन्होंने कहा कि हेवलवाणी रेडियो ने अपने सीमित संसाधनो से इतना लम्बा सफर तय किया है।

इस अवसर पर सामुदायिक रेडियो हेवलवाणी के निदेशक राजेन्द्र नेगी ने कहा कि हमारा प्रयास रहता है कि राज्य एव केंद्र सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं का सुदुर पर्वतीय क्षेत्रों तक पहुंचाया जा सके।  नेगी ने सूचना विभाग से सामुदायिक रेड़ियो को दिए जा रहे सहयोग के लिए महानिदेशक सूचना का आभार व्यक्त किया।

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 मुख्यमंत्री  पुष्कर सिंह धामी से गुरूवार को मुख्यमंत्री आवास स्थित केम्प कार्यालय में राजस्थान के उच्च शिक्षा व गृह राज्यमंत्री श्री राजेन्द्र सिंह यादव ने शिष्टाचार भेंट की।

मुख्यमंत्री  पुष्कर सिंह धामी ने अपनी धर्मपत्नी श्रीमती गीता धामी के साथ इगास के अवसर पर मुख्यमंत्री आवास में गौ-पूजन कर प्रदेशवासियों की सुख- समृद्धि एवं खुशहाली की कामना की | मुख्यमंत्री ने देवउठनी एकादशी के इस पावन अवसर पर तुलसी पूजन भी किया।

मुख्यमंत्री  पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि गाय सनातन संस्कृति के साथ ही समस्त मानव जाति के लिए पूजनीय और आदरणीय है | भारतीय संस्कृति में गाय को माता का दर्जा दिया गया है। गाय को सुख, सौभाग्य व समृद्धि प्रदान करने वाली तथा समस्त मनोकामनाएं को पूर्ण करने वाली माना गया है | मुख्यमंत्री श्री धामी ने इगास की बधाई देते हुए लोक पर्व इगास को उत्साह के साथ मनाने का आह्वान किया है। उन्होंने विशेषकर प्रदेश की युवा पीढ़ी का आह्वान किया है कि वे अपनी प्रकृति-प्रेमी एवं पर्यावरण हितैषी परंपराओं व संस्कृति के संरक्षण व संवर्धन के लिए आगे आएं |
महिलाओं को आरक्षण पर रोक संबंधी उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय के आदेश पर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा स्टे दिया गया है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की स्वीकृति उपरांत महिला आरक्षण को यथावत रखने के लिए राज्य सरकार द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में एसएलपी दायर की गई थी। उसी पर सर्वोच्च न्यायालय ने उच्च न्यायालय के आदेश पर स्टे दिया गया है।

मा०उच्चतम न्यायालय द्वारा प्रदेश की महिलाओं के हित में दिए गए फ़ैसले का हम स्वागत करते हैं।हमारी सरकार प्रदेश की महिलाओं के हितों की रक्षा के लिए कटिबद्ध है। हमने महिला आरक्षण को यथावत् बनाए रखने के लिए अध्यादेश लाने की भी पूरी तैयारी कर ली थी। साथ ही हमने उच्चतम न्यायालय में भी समय से अपील करके प्रभावी पैरवी सुनिश्चित की

 मुख्यमंत्री  पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को सर्वे ऑफ इण्डिया ग्राउण्ड, हाथीबड़कला में आयोजित “लखपति दीदी मेला“ कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि प्रतिभाग किया। राज्य स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में यह कार्यक्रम ग्राम्य विकास विभाग द्वारा आयोजित किया गया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने स्वयं सहायता समूह के माध्यम से एक वर्ष में एक लाख रुपए से अधिक की आय अर्जित करने वाली महिलाओं को “लखपति दीदी“ के रूप में सम्मानित किया। प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण के तहत लाभार्थियों को चेक भी प्रदान किये गये।
मुख्यमंत्री  पुष्कर सिंह धामी ने इस अवसर पर प्रदेशवासियों को लोकपर्व इगास और बूढ़ी दिवाली की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं दी। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने फैसला लिया है कि वर्ष 2025 में जब हमारा राज्य अपनी स्थापना का रजत जयंती वर्ष माना रहा होगा, तब तक हम अपने प्रदेश की सवा लाख महिलाओं को लखपति दीदी बनाने का कार्य करेंगे। यह प्रयास निश्चित रूप से महिलाओं के आर्थिक विकास को गति देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। उन्होंने कहा कि समाज में महिला शक्ति की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। महिला सशक्तीकरण के बिना एक आदर्श समाज की कल्पना नहीं की जा सकती है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार महिलाओं को आर्थिक रूप से सक्षम बनाने के लिए अनेक प्रयास कर रही हैं। महिला स्वयं सहायता समूहों को 05 लाख रूपये तक का ऋण बिना ब्याज के दिया जा रहा है। स्वयं सहायता समूहों को जोड़कर स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए अनेक प्रयास किये जा रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सीमांत गांव माणा में प्रवास के दौरान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने वोकल फॉर लोकल को बढ़ावा देने के लिए चारधाम यात्रा पर आने वाले सभी देशवासियों एवं श्रद्धालुओं से आह्वाहन किया कि अपने यात्रा खर्चे का 5 प्रतिशत धनराशि उत्तराखण्ड के स्थानीय उत्पादों पर खर्च करें। इससे हमारे स्थानीय उत्पादों को भी बढ़ावा मिलेगा और मातृ शक्ति की आजीविका में भी तेजी से वृद्धि होगी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी महिला स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए हमेशा से प्रतिबद्ध रहे हैं। आत्मनिर्भर भारत में मातृशक्ति का महत्वपूर्ण योगदान होगा। मातृभूमि और मातृशक्ति के सर्वागीण विकास के प्रति सजगता का अनूठा उदाहरण यदि किसी ने दिया है तो वह आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने दिया है। उनके नेतृत्व और मार्गदर्शन में महिला उत्थान की भावना को सर्वोपरि रखते हुए उज्ज्वला योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना जैसी विशेष योजनाओं पर तेजी से काम किया जा रहा है। जिसके परिणाम स्वरूप आज महिलाओं के जीवन स्तर में व्यापक सुधार हुआ है। प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन में डबल इंजन की सरकार द्वारा राज्य में ऐसी अनेक योजनाओं का क्रियान्वयन किया गया है, जिससे हर वर्ग के लोगों को आज स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध हो रहे हैं।
ग्राम्य विकास मंत्री  गणेश जोशी ने कहा कि मुख्यमंत्री  पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में राज्य सरकार महिला सशक्तीकरण की दिशा में तेजी से कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि यदि मातृ शक्ति सशक्त होगी तो पूरा समाज सशक्त होगा। लखपति दीदी योजना के माध्यम से राज्य की मातृ शक्ति को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए हर प्रयास किये जायेंगे।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में राज्य में अनेक जन कल्याणकारी योजनाएं चलाई जा रही हैं। केन्द्र एवं राज्य सरकार की योजनाओं का आम जन तक अधिक से अधिक लाभ पहुंचे, इसके लिए हर संभव प्रयास किये जा रहे हैं। ग्राम्य विकास विभाग के माध्यम से महिला स्वयं सहायता समूहों को सशक्त बनाने के लिए अनेक प्रयास किये जा रहे हैं।
इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री श्री प्रेमचन्द अग्रवाल, भाजपा की प्रदेश मंत्री श्रीमती नीरू देवी, रेशम फेडरेशन के अध्यक्ष श्री अजीत चौधरी, पूर्व दर्जा धारी श्री कैलाश पंत, अपर मुख्य सचिव श्री आनन्द बर्द्धन, सचिव श्री बी.वी.आर.सी पुरूषोत्तम, मुख्य विकास अधिकारी देहरादून सुश्री झरना कमठान एवं अन्य गणमान्य उपस्थित थे।

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 मुख्यमंत्री  पुष्कर सिंह धामी से मुख्यमंत्री आवास में विश्व प्रसिद्ध अमेरिका के टेनिस खिलाड़ी आंद्रे अगासी ने शिष्टाचार भेंट की। इस अवसर अगासी द्वारा संचालित “आन्द्रे अगासी फाउंडेशन” के उत्तराखण्ड में कार्य करने को लेकर भी विस्तृत रूप से चर्चा हुई।

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उत्तराखंड चारधाम यात्रा वर्ष 2022

दर्शनार्थियों /तीर्थयात्रियों की संख्या
1-श्री बदरीनाथ धाम कपाट खुलने की तिथि 8 मई से 4 नवंबर शाम तक 1693293

• 4 नवंबर शाम तक पहुंचे तीर्थयात्री- 1317

2- श्री केदारनाथ धाम कपाट खुलने की तिथि 6 मई से 27 अक्टूबर @कपाट बंद होने तक 1563278
(हेलीकॉप्टर से कपाट बंद होने तक पहुंचे 151795 तीर्थयात्री भी शामिल)

3-श्री यमुनोत्री धाम
कपाट खुलने की तिथि 3 मई से 27 अक्टूबर® कपाट बंद होने तक तक 485688

4-श्री गंगोत्री धाम
कपाट खुलने की तिथि 3 मई से 26 अक्टूबर ©कपाट बंद होने तक 624516

• 4 नवंबर तक श्री बदरीनाथ-@केदारनाथ पहुंचनेवाले कुल तीर्थयात्रियों की संख्या का योग- 3256571

• 27 अक्टूबर तक श्री ©गंगोत्री-®यमुनोत्री पहुंचे तीर्थ यात्रियों की संख्या 1110204

4 नवंबर शाम तक उत्तराखंड चारधाम पहुंचे संपूर्ण तीर्थयात्रियों की संख्या 4366775

• श्री हेमकुंट साहिब- लोकपाल तीर्थ पहुंचे तीर्थयात्रियों की संख्या कपाट खुलने की तिथि 22 मई से 10 अक्टूबर कपाट बंद की तिथि तक
तक 247000

• चारधाम यात्रियों की संख्या श्री हेमकुंट साहिब लोकपाल तीर्थ सहित 4613775.

2022
चारधाम कपाट बंद होने की तिथियां

• श्री बदरीनाथ धाम शनिवार 19 नवंबर को बंद होंगे।
• श्री केदारनाथ धाम बृहस्पतिवार 27 अक्टूबर को कपाट बंद हुए।
• श्री यमुनोत्री धाम 27 अक्टूबर कपाट बंद हुए।
• श्री गंगोत्री धाम बुद्धवार
26 अक्टूबर कपाट बंद हुए।

• द्वितीय केदार श्री मद्महेश्वर जी के कपाट 18 नवंबर को शीतकाल हेतु बंद होंगे।

• तृतीय केदार तुंगनाथ जी के कपाट 7 नवंबर को शीतकाल हेतु बंद हो जायेंगे।

• चार धाम यात्रा मार्ग सुचारू हैं।
•श्री बदरीनाथ धाम में सर्दी बढ़ी, मौसम सामान्य।
• बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग सुचारू है।
• चारधाम तीर्थयात्रियों के आंकड़े श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति ( बीकेटीसी);/ पुलिस- प्रशासन/ आपदा प्रबंधन / गुरुद्वारा श्री हेमकुंट साहिब ट्रस्ट के सहयोग से मीडिया प्रभारी बीकेटीसी द्वारा जारी किये जा रहे है।
[04/11, 8:56 pm] +91 70550 07012: मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने इगास पर्व के अवसर पर परेड ग्राउण्ड में पहाड़ी मेला समिति एवं श्री शक्ति सेवा एवं जन कल्याण समिति द्वारा आयोजित कार्यक्रम में प्रतिभाग किया। उन्होंने सभी को ईगास पर्व की बधाई देते हुए कहा कि किसी भी राज्य की लोक संस्कृति व लोक परम्परायें उस राज्य की आत्मा होती है। उत्तराखण्ड की लोक संस्कृति व परम्परायें विशिष्ट हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें अपनी परम्पराओं, रीति-रिवाजों और सांस्कृतिक विरासत को जानना और समझना होगा। उनका सम्मान करना होगा। हमारी सुन्दर परम्पराओं में कितनी गहराई एवं विजन है इसकों हमें समझना होगा और इसे नयी पीढ़ी को भी बताना होगा। हमारी अनूठी परम्परायें जहां एक ओर हमें समरसता का पाठ पढ़ाती है, वहीं हमें आपस में जोड़ने का भी कार्य करती है। उन्होंने कहा कि अपनी परम्पराओं एवं संस्कृति का संरक्षण तथा इसे अगली पीढ़ी को सौंपना अत्यन्त महत्वपूर्ण है। जब हम अपने त्यौहार और उत्सव अपने परिवार, गांव और अपने लोगों के बीच मनाते है तो खुशी और आनंद की कोई सीमा नहीं रहती। हम सभी का यह प्रयास रहना चाहिए कि हम अपने लोकपर्वों को अपने लोगों के बीच मनाने का प्रयास करें।

उन्होंने कहा कि अब हमारे प्रवासी उत्तराखण्डी भी इगास के अवसर पर अपने गांवों में लौटते है और अपने पैतृक गांव में इगास का त्यौहार अपने परिवार और गांववालों के साथ मनाते हैं। यह बेहद प्रेरणा दायक है। हमने इगास पर्व के दिन सार्वजनिक अवकाश घोषित किया है, किन्तु केवल अवकाश घोषित करने से हम अपनी संस्कृति की महानता नहीं समझ पायेंगे, बल्कि इसके लिए हमें अपनी जड़ों की ओर लौटना होगा।

*LIVE: विज्ञान भारती उत्तराखण्ड, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार द्वारा आयोजित कार्यक्रम*

*LIVE: देहरादून में विज्ञान भारती उत्तराखण्ड, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार द्वारा आयोजित National Confrence & Exhibition on Akash Tattva-‘Akash for Life’ में प्रतिभाग*

मुख्यमंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि उन्हें आशा है कि हम सभी मिलकर जहां एक ओर अपनी संस्कृति के संवर्धन के लिए कार्य करेंगे, वहीं दूसरी ओर उत्तराखण्ड को सर्वश्रेष्ठ प्रदेश बनाने के हमारे विकल्प रहित संकल्प के आधार पर अपने-अपने क्षेत्रों में भी सर्वश्रेष्ठ करने का प्रयास करेंगे। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने फैसला लिया है कि वर्ष 2025 में जब हमारा राज्य अपनी स्थापना का रजत जयंती वर्ष माना रहा होगा, तब तक हम अपने प्रदेश की सवा लाख महिलाओं को लखपति दीदी बनाने का कार्य करेंगे। यह प्रयास निश्चित रूप से महिलाओं के आर्थिक विकास को गति देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। उन्होंने कहा कि समाज में महिला शक्ति की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। महिला सशक्तीकरण के बिना एक आदर्श समाज की कल्पना नहीं की जा सकती है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में महिलाओं को आरक्षण पर रोक संबंधी उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय के आदेश पर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा स्टे दिया गया है। यह राज्य की महिलाओं के हित में लिया गया बड़ा निर्णय है। मा०उच्चतम न्यायालय द्वारा प्रदेश की महिलाओं के हित में दिए गए फ़ैसले का हम स्वागत करते हैं।हमारी सरकार प्रदेश की महिलाओं के हितों की रक्षा के लिए कटिबद्ध है। हमने महिला आरक्षण को यथावत् बनाए रखने के लिए अध्यादेश लाने की भी पूरी तैयारी कर ली थी। साथ ही हमने उच्चतम न्यायालय में भी समय से अपील करके प्रभावी पैरवी सुनिश्चित की।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें नये संकल्पों के साथ नया उत्तराखण्ड बनाना है। यह हम सबके सामुहिक प्रयासों से ही संभव होगा, जब हम सब एक साथ कदम मिलाकर चलेंगे तो हमें सफलता अवश्य मिलेगी।

इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री श्री गणेश जोशी, विधायक श्री खजान दास, भाजपा युवा मोर्चा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सुश्री नेहा जोशी सहित अन्य जनप्रतिनिधि आदि उपस्थित थे।

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जिन पत्रकार साथियों ने पत्रकार संगठन समन्वय समिति की जुलाई2013 से अक्टूबर2013 की बैठकों में योगदान दिया है उन्हीं के आशीर्वाद का फल देश के लोकतंत्र को मजबूत करने का अल्प प्रयास है। 

उत्तराखंड खण्ड  एंव देश के प्रत्येक समाचार पत्र   इलेक्ट्रॉनिक ,वेब पोर्टल यूट्यूब चलाने वाले मीडिया  साथियों से अनुरोध है कि देश  लोकतंत्र के चार स्तम्भ में विधाईका का चेहरा संसद कार्यपालिका का चेहरा प्रधानमंत्री कार्यालय, न्यायपालिका का चेहरा सुप्रीम कोर्ट है ।हमारा कोई चेहरा नहीं है।इसके लिए पहाडोंकीगूँज राष्ट्रीय पत्र का संज्ञान सुप्रीम कोर्ट ने लिया है  जिसकी तारीख23 नवम्बर 2022को लगी है।इस ख़बर का संज्ञान सुप्रीम कोर्ट ने लिया है पूरी खबर आगेपढें
आप अपने स्तर से अपने अपने साधनों के माध्यम से पत्रकारों को संवैधानिक अधिकार मिलना चाहिए की खबर चलाते रहे।आगेपढें

👉 इस खबर का प्रस्तुतिकरण ऐसा हैं कि सामान्य तौर पर लगेगा की मीडिया अपनी बुराई खुद कर रहा हैं परन्तु पुरी पढने के बाद लगेगा कि मीडिया पुरी तरह अधिकारहीन हैं जो चाहकर भी लोगों को न्याय नहीं दिला सकता और नहीं किसी की मदद कर पा रहा हैं ।
मीडियाकर्मियों की खबरें वाले अखबारों व रिकोडिंग को जनप्रतिनिधि विधानसभाओं व संसद में लहराकर वाहवाही और मेहनताना वसूल रहे हैं जबकि मेहनत करने वाला पत्रकार सडकों पर ठोकरे खा रहा हैं और अपराधियों से लड रहा हैं ।
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युवा वैज्ञानिक शैलेन्द्र कुमार बिराणी ने अपने असली एडी सिरिंज के आविष्कार का देश दुनिया में मीडिया के प्रसारण में बहुत बडी सच्चाई को देखा जिसे आम लोगों से लोकतन्त्र में दूर कर रखा था | इसे उन्होंने अपने वैज्ञानिक-विश्लेषण “मीडिया के इस्तेमाल की जंग में जन्तन्त्र का दांव” प्रकाशित करा व बताया भारतीय मीडिया का न तो कोई संवैधानिक चेहरा हैं न उसे कोई कानूनी अधिकार के रूप में जवाबदेही दे रखी हैं ।
इसे अब सुप्रीमकोर्ट के जस्टिस के. एम. जोसेफ और ह्रषिकेश राय की पीठ ने बुधवार 21सितम्बर 2022 को हेट स्पीच पर सुनवाई के दौरान स्वीकार किया की इलेक्ट्रानिक मीडीया, प्रिंट एवं सोशियल में भी कई कोई कंट्रोल की व्यवस्था नहीं हैं । इसके लिए सरकार एक नियामक संस्था बनाये | इस मामले की अगली सुनवाई 23 नवम्बर, 2022 को होगी |
राष्ट्रपति महोदय को 2011 से मालुम हैं –
युवा वैज्ञानिक शैलेन्द्र कुमार बिराणी ने अपने आविष्कार की फाईल के साथ यह सच्चाई देश के राष्ट्रपति को 19 अगस्त, 2011 को ही ग्राफिक्स के साथ भेज दिया था (Letter Ref. No. P1/D/1908110208) इस पर राष्ट्रपति सचिवालय की मोहर व आधिकारिक दस्तावेज उनके पास मौजूद हैं।
कौनसा संवैधानिक चेहरा नहीं हैं –
भारतीय लोकतंत्र के चार स्तम्भ माने जाते हैं पहला विधायीका जिसका चेहरा संसद हैं, दुसरा कार्यपालिका जिसका चेहरा प्रधानमंत्री कार्यालय हैं, तिसरा न्यायपालिका जिसका चेहरा उच्चतम न्यायालय हैं व चौथा स्तम्भ पत्रकारिता जिसका कोई चेहरा नही हैं । इसे धन बल, बाहु बल, सत्ता के डर, बाजारवाद के स्वार्थ के रूप में जो चाहे, जैसा चाहे इस्तेमाल करता हैं ।
मीडियाकर्मियों व विशेष रूप से खबरी चैनलों पर संवैधानिक व कानूनी रूप से देश व देशवासियों के प्रति कोई जवाबदेही नहीं हैं । इस कारण जो जैसा चाहे अपनी मर्जी का राग चलाता हैं । हमने पिछले प्रकाशन में इसको विस्तार से बताया ही नही अपितु किस तरिके से काम लोकतान्त्रिक तरिके से होगा व भी बताया |
इसके आगे क्या?
शैलेन्द्र कुमार बिराणी ने प्रहरी मिमांसा की खबर डिटेल, उनके पास मौजूद दस्तावेज इस मामले की जनहित याचिका लगाने वाले सुप्रीमकोर्ट के वकील अश्वीन उपाध्याय को भेज दी हैं । इसके साथ ही रजिस्टार सुप्रीमकोर्ट को ई-मेल कर सारी जानकारी मुख्य न्यायाधीश व दोनों न्यायाधीशों तक पहुचानें का अनुरोध करा हैं । इसके साथ सुप्रीमकोर्ट बार काउंसिल के सभी वकीलों को जानकारी भेज सहयोग का अनुरोध करा हैं आखिरकार लोकतंत्र देश के सभी नागरिकों का हैं और सभी को उसमें जीना हैं । मुख्य न्यायाधीश यू यू ललित और जस्टिस एस रवींद्र भट हेट स्पीच के ही दुसरे मामले में सुनवाई 1 नवम्बर को करेंगे जिसके याचिकाकर्ता हरप्रीत मनसुखानी हैं ।
भारत सरकार को कोई परेशानी नहीं –
9-10 दिसम्बर, 2021 को अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाईडेन ने लोकतंत्र को लेकर वर्चुअल मीटिंग करी थी जिसमें 110 देशों के प्रमुखों ने भाग लिया था इसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी शामिल हुये व उन्होंने सभी को मीडिया को अधिक अधिकार व शक्तिशाली बनाने की बात कहीं | इस तरह के संवैधानिक चेहरे से सरकार को अधिक खुशी होगी क्योंकि प्रधानमंत्री ने दुनिया को जो बात कहीं उसे उन्होंने करके बताया कोई जुमलेबाजी नहीं करी |
इसी तरह चले तो आगे मामला कहां तक जा सकता हैं –
हेट स्पीच व मीडिया से सम्बद्धित सभी मामलों का यह एक ही उपाय हैं जिससे पहले मीडियाकर्मियों को ही जवाबदेही बनाकर निष्ठावान लोगों को आगे बढाया जाये | इसके पश्चात् कोई गलती हो तो कार्यपालिका का कानूनी दबाव व अदालतों का दण्डित करने का मार्ग खुल जायेगा ।
यदि अभी के मार्ग पर चलते रहे तो पहले सरकार या अदालत मीडिया श्रेत्र के कुछ विशेषज्ञों का चयन कर एक कमेटी बना देगी जो नियामक संस्था के निर्माण की रूपरेखा देगी जो पूर्णतया कार्यपालिका या सरकार के अधिन होगी | इस रिपोर्ट के आधार पर एक संस्था बनाने से पहले सरकार नानकुर करेगी व बाद में अदालत को ढाल बनाकर स्वीकार कर लेगी |
इसके बाद राजनैतिक खेल में, पूंजीवाद के चेक से व राजनैतिक पार्टियों से गठित होने वाली सरकारें सबकुछ अपने नियंत्रण मे ले लेगी और पूरी कवायत शून्य पर आ जायेगी । इस बात की सम्भावना की पुष्टि न्यायाधीशों द्वारा सरकार पर करी कठोर टिप्पणी से होती हैं । जब सबकुछ 2011 होने पर भी 2022 खत्म होने के नजदिक आ गया तब जाकर लोकतंत्र व समाज में बुरा असर पडने के कारण डूंडने पड रहे हैं ।
न्यायाधीशों से क्यों उम्मीद हैं –
मुख्य न्यायाधीश यू यू ललित का अल्प समय वाला कार्यकाल पूरा होने आया हैं । इस मामले पर भी यह उनकी आखरी सुनवाई होगी | माननीय राज्यसभा की सदस्यता से बडा उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश का संवैधानिक पद बडा होता हैं व कार्यपालिका और न्यायपालिका के मध्य के फासले को स्पष्ट कर हमेशा के झगडें को खत्म करना चाहेंगे | दूसरे मामले में न्यायाधीश के.एम.जोसेफ हैं जिन्होंने उत्तराखंड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रहते हुए वहां के राष्ट्रपति शासन को हटाया और सच का आधार बनाया कि राष्ट्रपति कोई राजा नहीं हैं | इनकी लोकतंत्र पर स्पष्ट ज्ञान को देखते हुए लगता हैं कि परिणाम अवश्य निकलेगा क्योंकि 11 वर्षों के अधिक समय से सच राष्ट्रपति महोदय के पास हैं जो एक व्यक्ति की निरसता से देश का हर नागरिक दुष्परिणाम भोग रहा हैं व दुनिया का सबसे बडा लोकतन्त्र बर्बाद हो रहा हैं |
दुनिया भर के मीडिया को अपने अपने देश के लोकतंत्र में कौनसा संवैधानिक चेहरा व अधिकार मिलना चाहिए व यह किस तरीके से दैनिक जीवन में कार्य करेगा इसे समझने के लिए आप शैलेन्द्र कुमार बिराणी के इस अगले वैज्ञानिक विश्लेषण को पढे. व राष्ट्रपति को भेजे उस कवर चेहरे को समझे सबकुछ दुध का दुध व पानी का पानी हो जायेगा |
मीडिया के इस्तेमाल की जंग में जनतंत्र का दाँव
21वी सदी का दौर है, जो समय की चाल के साथ चला जायेगा परन्तु ईन्सान के सोचने का क्रम वैसा ही रहेगा जो पहले था और आज है | यह तो सिर्फ सोचने के स्तर की सीमा का अन्तर है, जो हमें इस बात का छदम आभास कराता है कि समय के साथ लोगो के आदर्श और सोच बदल रही है |

इसी आदर्श और सोच को आधार मानकर सूचना-तंत्र (अखबार, समाचर चैनल, न्यूज़ वेबसाइट, पत्रिकाएँ, रेडियो इत्यादि-इत्यादि) के माध्यम से पत्र व रिपोर्टो के जरिये वस्तुस्थिति को सबके सामने लाने वाला समूह मीडिया के नाम से प्रचलित है | इस समूह ने ज्ञान और तकनीक के समन्वय से सामाजिक स्तर पर जनता की सोच के स्तर को बढ़ाने का वो अकल्पनीय कार्य किया व कर रहा है जिससे व्यवस्था का प्रत्येक क्षेत्र इससे जुड़ता चला जा रहा है | इसके बिना कोई भी व्यवसाय उच्चाई तक नहीं पहुंच सकता और न ही व्यक्ति धन, वैभव, शोहरत एवं बदलाव के शिखर तक पहुंच सकता है |

इसकी इसी ताकत के कारण आज प्रत्येक व्यक्ति, संगठन, समूह इसके इस्तेमाल के लिए एक से बढ़कर एक योजना बना रहा है | इसके इस्तेमाल की खींचतान को देखकर ऐसा लगता है कि कोई बड़ी जंग चल रही है | इस जंग में नैतिक-अनैतिक, जायज-नाजायज, मित्रता-दुश्मनी, शालीनता-झगड़े, शिष्टता-गालियाँ, मर्यादा-अमर्यादा, क़ानूनी-गैरकानूनी, वास्तविकता-कल्पनाशीलता, प्रथाएँ-कुरुतियां, रैलियां-भीड़, सौन्दर्यता-नग्नता, सामान-कारागार, मालाए-प्रतिकार, असलियत-आडम्बर, सच-झूठ, उपकार-शोषण, चरित्र-अश्लीलता, भाषण-उपदेश, मौन-गाने, कार्टून-फोटुए, दया-क्रूरता, ईनाम-सजा, ईज्जत-बलात्कार, नजाकत-वेश्यावृत्ति, जीवनदान-हत्या, दान-लूट, ईमानदारी-चोरी, हिम्मत-डर, आदि-आदि के दाँव पेच लगाये जा रहे है | यहाँ आकर सही और गलत के फैसले ख़त्म हो रहे है |

व्यवसाहिक तरीको में भी मीडिया के इस्तेमाल के लिए निचे से उप्पर तक श्रृंख्ला बन गई है | इन शृंखलाओ के माध्यम से समूह व संगठन माल बेचने, चुनाव जितने, समाज में उत्थान, अन्याय को ख़त्म करने, झूठ का पर्दा हटाने आदि-आदि कार्यों के लिए मीडिया का सुव्यवस्थित तरीके से प्रयोग करते है | जिसमे मीडिया मैनेजरों, प्रवक्ताओं, सलाहकारों, के माध्यम से चेहरे की भंगिमाओं और बोलने के समय सीमाओं को तय करके अपने पक्ष में माहौल बना रहे है |

इन संगठनों से आगे देश व सभी के लिए इसका इस्तेमाल समय के अनुरूप कैसे हो, इसका तरीका लोकतंत्र में जनतंत्र का दाँव कहलाता है | यह दाँव माननीय राष्ट्रपति महोदय को दस्तावेज के आधार पर प्रमाणित कर सांकेतिक भाषा के रूप में भेजा जा चुका है |
जनतंत्र के इस दाँव की शुरुवात राजपथ पर नये भवन के साथ होगी | इस भवन को में कार्य के आधार पर “जनसंदेशिका” के नाम से सम्बोधित कर रहा हु परन्तु ये नाम लोगो की राय के अनुरूप कुछ भी हो सकता है | कुछ माह पूर्व ही रायसीना हिल पर एक मीडिया केंद्र की शुरुवात हुई परन्तु इसके कार्य और उद्देश्य को देखे तो सिर्फ इसके कार्यपालिका का एक हिस्सा होने का आभास होता है | जबकि मीडिया के लोकतंत्र में व्यापक योगदान के लिए इसे संवैधनिक चेहरा बनाकर विशेष लोकतान्त्रिक अधिकार देने की आवश्यकता है | ऐसा करना लोकतंत्र के मालिकों में विध्यमान सर्वाधिक ज्ञान, भावना एवं देश के महान लोगो की सोच के अनुरूप पूर्णतया उचित है, जो मीडिया को लोकतंता का चौथा स्तम्भ कहते है |

अनुसंधानिक, गणितीय, तार्किक, वैचारिक और सैद्धांतिक विश्लेषण करे तो यह निष्कर्ष निकलता है कि आजतक मीडिया का कोई चेहरा ही नहीं है | इसका न होना हमेशा हमारे उज्जवल भविष्य के रस्ते को कुंद कर देता है और कई समस्याओ का उपाय होते हुये भी हम मूक दर्शक बने रह जाते है | समय के साथ-साथ दुबारा एक जैसी समस्या का सामना करते है और एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप के चक्रव्यूह में फस जाते है | इस चक्रव्यूह से अंतिम निष्कर्ष यही निकल पाता है कि “व्यवस्था में कमी है इसे बदलना चाहिए” और हम फिर उसी समस्या के इन्तजार में आगे चल पड़ते है कि इस बार हम उसके हरा देंगे | यह तो इतिहास गवाह है कि बिना तैयारी और कर्म के भविष्य कैसे चौपट होता है |

प्रत्येक नई घटना और कार्यवाही के बाद अनुभवी एवं आम लोगो की तरफ से कई सुझाव व समस्याओ के उपाय आते है परन्तु सभी निष्कर्षो को जोड़ने की कोई कड़ी न होने व संवैधानिक अधिकार के अभाव में अधिकांश अखबारों की रद्दी के ढेर व चैनल पर बहस में गुम हो जाते है | जबकि स्वस्थ लोकतंत्र के लिए यह नये कानून, व्यवस्था, सरकारी प्रक्रिया, न्यायिक प्रक्रिया को प्रेरित कर समय के अनुरूप बदलाव की शुरुवात तक जाने चाहिए जो कागजी प्रक्रिया के आधार पर भी मूर्त रूप से दिखे ताकि प्रत्येक घटना के बाद लोगो को बार -बार सड़को पर न निकलना पड़े | न्याय दिलाने के नाम पर बंद, प्रदर्शन, तोड़फोड़ करके सरकारी सम्पति को नुकसान पहुचाने व उल्टा लोगो को परेशान करने का सिलसिला ख़त्म हो और उच्चतम न्यायालय के आदेशों की पलना हो सके |

हम लोकतंत्र के स्तम्भों की बात करे तो लोग इसके स्तम्भों की संख्या चार बताते है | इसलिए जब विधायिका की बात होती है तो कैमरा संसद की तरफ घुम जाता है | न्यायपालिका की खबर होती है तो कैमरा उच्चतम न्यायालय की फोटो या वीडियो दिखाकर उसकी पुस्टि करता है जबकि कार्यपालिका की बात प्रधानमंत्री कार्यालय की फोटो या वीडियो दिखाकर ख़त्म होती है | जब मीडिया की बात आती है तो कैमरा कुछ नहीं दिखाता वह सिर्फ एक अखबार, चैनल, वेबसाइट, रेडियो चैनल, पत्रिका, संस्था, कंपनी में बट जाता है |

मीडिया में कई एसोसिएशन, संगठन व संस्थाए है परन्तु ये सभी केवल एक क्षेत्र विशेष को इंगित करती है जैसे: अखबारों का संगठन, ख़बरी चैनलों का एसोसिएशन इत्यादि | सामान्य एवं मीडिया से जुड़े लोगो की राय जानी जाये तो सर्वाधिक प्रतिशत इस बात का पक्षधर निकलेगा कि भारतीय पत्रकारिता परिषद् या प्रेस कॉउन्सिल ऑफ़ इण्डिया इसका केंद्र या संवैधानिक चेहरा है | यह सिर्फ एक आभास मात्र है जो तकनिकी आधार पर सही नहीं है | यह परिषद् सिर्फ उतना ही आधार स्पष्ट करती है जितना बार कॉउन्सिल ऑफ़ इण्डिया का न्यायिक प्रक्रिया के लिए है | तकनिकी आधार पर भारतीय परिषद् कार्यप्रणाली का हिस्सा है जो कार्यपालिका के स्तम्भ के अंतर्गत आता है | इसका कार्य मीडिया के क्षेत्र में व्यवस्थाओ को बनाये रखना व उसको मुल उद्देश्य और सिद्धान्तों से भटकने नहीं देना है |

“जनसंदेशिका” के रूप में लोकतंत्र का दाँव तभी सफल हो सकता है जब उसकी कार्यप्रणाली भी उच्चतम स्तर की सोच के अनुरूप हो | यह पुरा तंत्र तथाकथित सरकार से स्वतन्त्र होगा और न्यायपालिका की तर्ज पर एक स्वतन्त्र बॉडी होगी जो मीडिया के सभी हिस्सों को एक श्रृंंख्ला के रूप में जोड़ेगा | जहा कर्म के आधार पर लोगो के सन्देश लाने वाले मीडियाकर्मी द्वारा संकलन का कार्य हो सके |

इस चेहरे के अध्यक्ष की चयन प्रक्रिया व कार्य का निर्धारण मीडियाकर्मियों को ही तय करने देना चाहिए | अभी में इतनी सम्भावना व्यक्त कर सकता हु कि इसके अध्यक्ष को शपथ माननीय राष्ट्रपति महोदय दिलाये और ये प्रतिमाह अपनी रिपोर्ट उन्हें सोपे | इसके अतिरिक्त कई अधिकार और जिम्मेदारियाँ इस संस्था के प्रमुख को मिले इसमें प्रमुख तौर पर इस बात का समावेश हो की वे सीधे तौर पर लोकतंत्र के दूसरे स्तम्भों के प्रमुखों को अपनी संस्था की रिपोर्ट के आधार पर कार्यवाही करने का अनुरोध कर सके | यदि एक समयावधि के दौरान इनके अनुरोध पर आगे कार्यवाही नहीं हो तो राष्ट्रपति महोदय के माध्यम से दुबारा भेज कर कार्यवाही करने का अन्तिम निर्देश समाहित हो | इसका कार्य खबर आ जाने के बाद शुरू हो ताकि अभी चल रही खबर दिखाने की प्रक्रिया बनी रहेगी |
जनसंदेशिका बारह मास कार्य करे और इसके कर्मी तो तरह के प्रतिनिधि के रूप में जुड़े हो | पहले तरह के कर्मी अस्थाई तौर पर हो जिनका चयन पत्रकारों और रिपोर्टरों की प्रकाशित एवं दिखाई गई खबर के आधार पर हो | इस प्रकार एक ही मुद्दे पर कई पत्रकारों का समूह विश्लेषण कर सामूहिक रिपोर्ट बनाये | इसकी समय अवधि एक सप्ताह से अधिक नहीं होनी चाहिए अर्थात इनका कार्यकाल भी एक सप्ताह हो | जो पत्रकार इस सभा में सबसे ज्यादा बार आयेगा उसका चयन आगे एक निर्धारित लम्बे समय के लिए स्थाई सदस्यों की एक अलग फोरम के लिए होगा | यह अलग फोरम अस्थाई सदस्यों की रिपोर्ट को अन्तिम रिपोर्ट देगा | इनका कार्यकाल तीन माह से दो वर्ष के मध्य कुछ भी हो सकता है |

फिल्ड में कार्य करने वाले पत्रकारों व संस्थानो के मालिकों और एडमिन करने वाले लोगो के मध्य टकराव ना हो इसलिए इनके सदस्यों की संख्या में तीस प्रतिशत लोग मालिको और एडमिन करने वाले लोग से आये | इससे हर खबर के अन्य सामाजिक पहलू के साथ समन्वय बना रह सके |

संवैधानिक दृश्टिकोण से देखा जाये तो यह पूर्णतया संविधान के संरक्षक माननीय राष्ट्रपति महोदय के अनुरूप है | जनसंदेशिका के माध्यम से उन तक लगातार जनता की भावना पहुंचने का एक मार्ग जो कुंद पड़ा है व खुल जायेगा और लोकतंत्र के अन्य स्तम्भों की भांति यह भी राष्ट्र निर्माण में सहयोग करेगा | प्रत्येक माह नये-नये संदेशो और जन भावना का उनके पास पहुंचने व उनके माध्यम से आगे किर्यान्वन के लिए जाने से उनका एक विशेष अतिविशिस्ट संवैधानिक अधिकार संगठनो को सलाह व दिशानिर्देश देने का कार्य विलुप्त होने की कगार पर खड़ा है वो पुनः जीवित हो उठेगा जो इस पद की गरिमा पर रबर स्टेम्प के तमगे को हमेशा के लिए धो देगा |

वर्तमान में मीडिया तकनिकी और विश्लेषण करने में इतना सक्षम हो गया है कि वो चुनावी नतीजों से पूर्व परिणाम की सम्भावना बताता है जिसमे त्रुटि की सम्भावना बहुत कम प्रतिशत में रहती है | इस गुण का प्रयोग राष्ट्रपति महोदय जनसंदेशिका के माध्यम से उठा सकते है और कई राष्ट्रीय मुद्दों पर जनता की राय जानकार उन्नति का मार्ग प्रशस्त कर सकते है |

सत्य को मिटाया नहीं जा सकता है अब हमारी ईच्छाशक्ति, भावना, सोच, समर्पण, कर्तव्यनिष्ठा, राष्ट्रप्रेम, लोकतंत्र में आस्था व इसको बनाने और अनुमोदित करने वालो में हमारे विश्वास पर निर्भर करेगा की यह कब सामने मूर्तरूप लेकर आता है |
देश हित में
मंच से यह भी घोषणा कर ने की कृपा किजयेगा कि देश मे एक मात्र अखबार पहाडोंकीगूँज दैनिक समाचार पोर्टल एवं साप्ताहिक पत्र ने देश में लोकतंत्र के चौथे स्तंभ मीडिया को संवैधानिक व्यवस्था का अंग मानने के लिए संवैधानिक अधिकार दीयाजना चाहिए का संज्ञान माननीय सुप्रीम कोर्ट ने जनहित याचिका में लिया है। आने वाली 23 नवम्बर 2022 की तारीख सरकार को जबाब देने के लिए लगी है ।स्वस्थ पारदर्शी पत्रकारिता करने के लिए ।आप सभी आयोजक लोग व फेसबुक देखने वाले महान लोगों से निवेदन है कि देश के मीडिया के लिए संवैधानिक अधिकार मिलान चाहिए लिखयेगा । मंच से अपना संबोधन की वीडियो भी वट्सप नम्बर 7983825336 पर 
भेजने की कृपा किजयेगा।देश में पत्रकारों को संवैधानिक अधिकार दिलाने के लिए देव भूमि उत्तराखंड के नाम एक सम्मान पहाडोंकीगूँज की खबर से जुड़ने जा रहा है।

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बरिष्ट वकील  अश्विनी कुमार उपाध्याय के फोन न0, 011-27492967,मोबाइल न08010174535,ईमेल: kumar. ashwani@gmail.comएंव vikas singh बरिष्ट उपाध्यक्ष सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन मोबाइल न0 9811077353, ईमेल:singh. vikas60@gmail.com उक्त नम्बरों पर समाचार वट्सप ,ईमेल कर भेजडीजयेगा।
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