टिहरी गढ़वाल, पहाडोंकीगूँज ,आज 23 सितम्बर यानि 7 गते आश्विन, आज से हमारे क्षेत्र में धान की कटाई शुरू होती है,अर्थात हमारी भदूरा पट्टी के काफी गॉवों के लोग आज से धान की कटाई शुरू करते हैं,कटाई मड़ाई का आज से विधिवत प्रारम्भ हो चुका है।हमारी पट्टी के आराध्य देवता भगवान कोटेश्वर महादेव के द्वारा ये दिन किसानों के लिए तय किया गया है,ऐसे ही कोटेश्वर देवता के द्वारा धान की रोपाई यानि रोपणी का दिन तय है कि 21 गते ज्येष्ठ सर्वप्रथम देवता के खेत मे पुजार गॉव लुंग लगेगी फिर 22 गते ज्येष्ठ से भदूरा के लोग अपने खेतों में रोपणी लगा सकेंगे।आज 7 गते असूज का हर खेतीबाड़ी करने वाले लोगों ,किसानों को बेसब्री से इंतजार रहता है,और हो भी क्यों न लगभग 6 महीने से अधिक की मेहनत के बाद किसान को फसल पककर मिलने वाली होती है।लगभग चैत्र के महीने (मार्च) में धान की पौध को बोने स्थानीय बोली में (बीना )निकालने यानि धान की क्यारी के लिए पौध बोने से लेकर उसकी निराई गुड़ाई,सिंचाई से शुरू होता है ये सफर व फिर रोपणी लगाना,धान के खेतों की छोटी पौध में पानी लगाना,फिर निराई,गुड़ाई आदि के बाद अब जाकर ये मौका मिलता है,कि अपनी कड़ी मेहनत के बाद धान की कटाई मड़ाई के बाद घर लाकर उस अन्न का उसका भंडारण करें।धान की कटाई के दिन यानि जिसको स्थानीय बोली में कौंली कहते हैं,आज के दिन हर किसान व उसके परिवारीजनो में एक उत्साह व खुशी का माहौल रहता है,हर व्यक्ति खेतों में नए कपड़े या फिर साफ सुथरे कपड़े पहनकर धान की कटाई की शुरुआत करते हैं।सर्वप्रथम आराध्य देवता कोटेश्वर का नाम लेकर अन्य सभी इष्ट कुल ,पित्रदेवताओं के नाम एक मुट्ठी भर धान की पौध काटकर उसको लपेटकर रखा जाता है जिसे कौंली कहते हैं,उसके बाद कटाई करके धान को एक गुम्बदनुमा आकर देकर एक जगह एकत्रित करते हैं जिसे स्थानीय भाषा मे कोंडका कहते हैं, इस वर्ष आजकल काफी दिनों से लगातार बारिश से फसलों को नुकसान हुआ है,किसान चिंतित है,कि इस बारिश में कैसे खेती का काम करें व कैसे लहलहाती फसल को बचाया जाय, किसान की कड़ी मेहनत पर बेमौसमी बारिश ने पानी फेर दिया है,धान की खड़ी फसल तमाम खेतों में ढल रखी है जो क्यार्क खेतों के पानी मे सड़ रही है,किसान की कड़ी मेहनत ,बड़ी दौड़ धूप पर प्रकृति ने एक तरह से कहर ही बरपाया है,धान की फसल यानि धान तो बर्बाद हो ही रहा है,पशुओं के लिए पौध यानि पराल(पराली) भी इस बेमौसमी बारिश से सड़ गल रहा है।बहरहाल आज 7 गते असूज है,हमारे पुरखों व आराध्य देवता कोटेश्वर के द्वारा धान की कटाई यानि कौंली का दिन है,ऐसे दिन पर हम सभी भगवान कोटेश्वर अपने सभी आराध्य देवी देवताओं, इष्ट कुल पितर देवताओं को नमन करते हैं, अपने पुरखों को नमन करते हैं, प्रकृति माँ को नमन करते हैं कि अब मौसम साफ हो और किसान खुशी खुशी अपनी फसल को साफ मौसम में काट सके व समेट सके,पुनः समस्त क्षेत्र के किसानों को कौंली की हार्दिक शुभकामनाएं।माँ अन्नपूर्णा की कृपादृष्टि सदैव बनी रहे,कोटेश्वर देवता की कृपा सभी क्षेत्रवासियों पर बनी रहे।जय कोटेश्वर महादेव की।
चन्द्रशेखर पैन्यूली प्रधान लिखवार गांव