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खबरें पढें देश विदेश की- तो नरेंद्र मोदी हटवा रहे हैं इमरान खान को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री पद से

Pahado Ki Goonj

जयपुर,भारत में कांग्रेस के नेता राहुल गांधी पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत आदि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में क्या सोच रखते हैं, यह जगजाहिर है, लेकिन ऐसे नेताओं को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के ताजा बयान को गंभीरता से लेना चाहिए। मालूम हो कि पाकिस्तान की संसद में इमरान खान के खिलाफ रखे अविश्वास प्रस्ताव पर तीन अप्रैल को वोटिंग होनी है। इमरान खान सरकार का हारना तय है, क्योंकि विपक्ष एकजुट है और इमरान की पार्टी के सांसद बागी हो चुके हैं। इमरान का आरोप है कि पाकिस्तान में विपक्षी दलों को एकजुट करने में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका है। इमरान ने पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और नरेंद्र मोदी के बीच मिलीभगत का आरोप लगाया। पाकिस्तान की राजनीति में नरेंद्र मोदी की भूमिका स्वीकारना अपने आप में बहुत बड़ी बात है। भारत में जो विपक्षी नेता नरेंद्र मोदी को विदेश नीति के मुद्दे पर कमजोर मानते हैं, उन्हें इमरान खान के बयान से सबक लेना चाहिए। यदि नरेंद्र मोदी मुस्लिम राष्ट्र पाकिस्तान में विपक्ष को एकजुट कर सकते हैं तो भारत की विदेश नीति कमजोर कैसे हो सकती है? इमरान खान के ताजा बयान से भारत की मजबूत स्थिति का पता चलता है। जो इमरान खान हमेशा कश्मीर मुद्दे का राग अलापते रहते हैं, उन्होंने खुद माना है कि भारत की विदेश नीति स्वतंत्र है। एक और पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों के बावजूद भारत रूस से सस्ता तेल और कोयला खरीद रहा है, तो वहीं अमरीका से भी दोस्ती बनाए हुए हैं। भारत की विदेश नीति पर अमेरिका का कोई दबाव नहीं है। यह भारत की अपनी ताकत है कि वह रूस और यूक्रेन के बीच मध्यस्थता करने के लिए मजबूती से खड़ा है। जबकि मेरे (इमरान खान) रूस जाने से अमेरिका खफा हो गया है। मेरी सरकार को गिराने में भारत के साथ साथ अमेरिका का भी हाथ है। इमरान खान के इस बयान से हमारे विपक्षी दलों को भारत की मजबूत स्थिति का अंदाजा लगा लेना चाहिए। भारत के लिए यह अच्छी बात है कि पाकिस्तान में लोकतंत्र कायम रहे। राजनीतिक अस्थिरता के माहौल में यदि पाकिस्तान में सैनिक शासन होता है तो यह भारत के लिए अनुकूल नहीं होगा। पाकिस्तान में नवाज शरीफ या फिर इमरान खान प्रधानमंत्री बने इससे भारत पर कोई फर्क नहीं पड़ता। पाकिस्तान का हर राजनीतिक दल कश्मीर के मुद्दे पर भारत के विरुद्ध जहर उगलता है।

केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने अजमेर में रेल सुविधाओं को बढ़ाने का भरोसा दिलाया।

भाजपा विधायक अनिता भदेल ने समस्याओं को लेकर ज्ञापन दिया।
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केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने भरोसा दिलाया है कि अजमेर में रेल सुविधाओं को बढ़ाया जाएगा। 30 मार्च को अजमेर दक्षिण की भाजपा विधायक और पूर्व मंत्री अनिता भदेल ने वैष्णव से मुलाकात की थी। भदेल ने एक ज्ञापन देकर रेल मंत्री के समक्ष अजमेर में रेल सुविधाओं को बढ़ाने का आग्रह किया। ज्ञापन में मांग की गई कि उदयपुर से ऋषिकेश के बीच चलने वाली साप्ताहिक ट्रेन को रोजाना चलाया जाए। अजमेर जयपुर के बीच शाम को डीएमयू ट्रेन चलाई जाए। उदयपुर से हरिद्वार के बीच चलने वाली साप्ताहिक ट्रेन को भी प्रतिदिन चलाया जाए। अजमेर अहमदाबाद के मध्य चलने वाली इंटरसिटी ट्रेन को कोरोना की वजह से बंद कर दिया गया था, इस ट्रेन का संचालन दोबारा से किया जाए। अजमेर से चेन्नई, वाराणसी, कोलकाता के लिए नई ट्रेन चलाई जाए।

इन सुविधाओं को भी बढ़ाया जाए:
आदर्श नगर रेलवे स्टेशन को जयपुर के गांधीनगर स्टेशन के तर्ज पर उपनगरीय स्टेशन के रूप मे विकसित किया जाए। विज्ञान नगर आदर्श नगर एवं जोन्सगंज में डीएफसीसी रेलवे टेक बनाये जाने से लगातार बढ़ती गुड्स ट्रेनों की संख्या से उत्पन्न हुई यातायात जाम की समस्या से निजात पाने हेतु लेवल क्रॉसिंग पर आरओबी बनाये जाने प्रस्तावित है। जिन्हे आगामी भविष्य को देखते हुए फोर लेन बनाया जावे। विधायक भदेल ने कहां कि अजमेर दक्षिण विधानसभा में उत्तर पश्चिम रेलवे की हजारीबाग स्थित रेलवे भूमि लगभग 7.45 हैक्टर का फाइनल पजेशन (आरएलडी) को रेलवे द्वारा दिसंबर 2021 में किया गया था जिसे अजमेर रेल मंडल प्रबंधक (आरएलडी) द्वारा निविदाए आमंत्रित कर एक करार के तहत् हजारीबाग प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को भूमि हस्तांतरित की गई है। भूमि पर कॉलोनी विकास इत्यादि कार्य कंपनी द्वारा किया जाएगे। रेलवे द्वारा (आरएलडी) को भूमि देनी थी जिसकी औपचारिकताएं पूरी की चुकी है। सभी अनुबंध (आरएलडी) द्वारा निविदादाता फर्म के साथ किया गया है। परंतु हजारीबाग प्राईवेट लिमिटेड कम्पनी द्वारा कार्य प्रारंभ नही किया गया हैए जिसे शीघ्र प्रारंभ कराया जावे। इसी प्रकार जोन्सगंज स्थित अजमेर की रेलवे भूमि का एलओआई मेर्सस आदिनाथ डवलपर को (आरएलडी) द्वारा पूर्व में जारी किया गया था, जिसे निविदादाता द्वारा राशि जमा नही कराने के कारण निरस्त कर दिया गया है। अत: इस प्रोजेक्ट की नई निविदा जारी कर किसी नई कम्पनी को कार्य आवंटित किया जावे जिससे उक्त भूमि का उपयोग भी लोगों को आवास उपलब्ध कराने हेतु किया जा सके।

रेलवे स्कूल पीपीपी मोड पर संचालित हो:
हाल ही में रेलवे द्वारा संचालित विद्यालयों के मुक्तिकरण के संबंध में श्री संजीव सान्याल मुख्य वित्त सलाहकार वित्त मंत्रालय भारत सरकार द्वारा अनुशंसा की गई है जो केन्द्रीय मंत्रिमण्डल सचिवालय द्वारा अनुमोदित है। उक्त विवरण में अनुशंसा अनुसार रेलवे द्वारा संचालित विद्यालयों को यथासंभव केन्द्रीय विद्यालय अथवा राज्य सरकार का सौंपा जाए अथवा पीपीपी मोड के माध्यम से संचालित किया जाए। अजमेर शहर में लोको कारखाना अजमेर (उपरे) के अधीन रेलवे प्राइमरी इंग्लिश मीडियम स्कूल हजारीबाग अजमेर संचालित है जो कि वर्ष 1884 में स्थापित हुआ था। रेलवे बोर्ड द्वारा पूर्व में जारी आदेश पत्र के क्रम में उक्त विद्यालय को पीपीपी मोड पर संचालित करने के क्रम में प्रस्ताव प्राप्त हुआ है जिस पर स्थानीय जोनल रेलवे प्रशासन द्वारा कार्यवाही लंबित है। प्रस्तावक द्वारा विद्यालय को पीपीपी मोड पर संचालित करने हेतु प्रस्तावित नियम व शर्त अनुसार रेलवे के विद्यालय पर व्यय होने वाले राजस्व की शत प्रतिशत बचत होगी। साथ ही रेलवे कर्मचारियों के बच्चो के साथ समाज के अन्य वर्गों के बच्चों को भी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त करने का अवसर मिलगा। ऐसा ज्ञात हुआ है कि स्थानीय रेलवे प्रशासन द्वारा मुख्य वित्त सलाहकार की अनुशंसा पर विचार एवं कार्यवाही किए बिना उक्त विद्यालय को बंद करने की कार्यवाही की जा रही है। अत: विद्यालय को बंद करने की बजाए केन्द्र सरकार की नीति अनुसार संचालित किये जाने की व्यवस्था की जानी चाहिए।

डॉ. अर्चना की आत्महत्या के मामले में जब पुलिस पर दबाव बनाने वाले गिरफ्तार हो सकते हैं तो हत्या का मुकदमा दर्ज करने वाले पुलिस अधिकारी क्यों नहीं?

हड़ताली डॉक्टरों को राजस्थान में मरीजों की समस्याओं को भी समझना होगा।
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राजस्थान के दौसा के एक निजी अस्पताल की मालिक डॉ. अर्चना शर्मा द्वारा आत्महत्या के प्रकरण में पुलिस ने भाजपा के पूर्व विधायक और मौजूदा समय में संगठन के प्रदेश सचिव जितेंद्र गोठवाल और राम मनोहर बैरवा को गिरफ्तार कर 15 दिनों के लिए जेल भेज दिया है। पुलिस का आरोप है कि गोठवाल और बैरवा ने दौसा की लालसोट पुलिस पर दबाव बनाया था, इसलिए पुलिस को डॉ. अर्चना के विरुद्ध एक प्रसूता की हत्या का मुकदमा धारा 302 में दर्ज करना पड़ा। पुलिस के प्रकरण दर्ज करने के बाद डॉ. अर्चना शर्मा ने 28 मार्च को फांसी लगा कर आत्महत्या कर ली। सवाल उठता है कि जब पुलिस पर दबाव बनाने वाले गिरफ्तार हो सकते हैं, तब दबाव सहन कर मुकदमा दर्ज करने वाले पुलिस अधिकारी गिरफ्तार क्यों नहीं हो सकते? यदि दबाव डालने वाला गुनाहगार है तो दबाव सहन करने वाला भी गुनहगार है। हालांकि मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद दौसा के पुलिस अधीक्षक को हटाया और लालसोट के थानाधिकारी को सस्पेंड किया जा चुका है। लेकिन पुलिस अधिकारियों के खिलाफ इतनी कार्यवाही नाकाफी है। असल में डॉ. अर्चना शर्मा की आत्महत्या का मुख्य कारण पुलिस द्वारा हत्या का मुकदमा दर्ज करना है। पुलिस यह कैसे कह सकती है कि उसने दबाव में मुकदमा दर्ज किया है? क्या 302 जैसी धाराओं में मुकदमा दबाव में दर्ज किया जाता है? पुलिस ने मुकदमा दर्ज करने से पहले अपना विवेक काम में क्यों नहीं लिया? और वह भी तब जब मरीज की मृत्यु पर डॉक्टर के विरुद्ध कार्यवाही नहीं करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन है। सब जानते हैं कि डॉ. अर्चना शर्मा की आत्महत्या के विरोध में गत 29 मार्च से ही राजस्थान भर में सरकारी और प्राइवेट डॉक्टर हड़ताल पर है। डॉक्टर की विभिन्न एसोसिएशनों के प्रतिनिधि अब दोषी पुलिस अधिकारियों की गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं। सरकारी अस्पताल में सेवारत डॉक्टरों की एसोसिएशन के प्रदेशाध्यक्ष डॉ. अजय चौधरी ने बताया कि मेडिकल कॉलेज से जुड़े बड़े अस्पतालों में प्रातः 8 से 10 बजे तक कार्य बहिष्कार है, लेकिन जिला और तहसील स्तर के सभी सरकारी अस्पतालों में पूर्ण कार्य बहिष्कार है। पूरा चिकित्सा समुदाय डॉ. अर्चना के परिवार के साथ है।

मरीजों की समस्याओं को भी समझना होगा:
डॉ. अर्चना शर्मा की आत्महत्या के विरोध में राजस्थान भर के प्राइवेट अस्पताल भी बंद पड़े हैं। राजधानी जयपुर के छोटे बड़े सभी अस्पतालों में ताले लगे हुए हैं। एक तरफ 13 हजार सरकारी डॉक्टर हड़ताल पर है तो वहीं कई हजार प्राइवेट डॉक्टर भी गुस्से में है। डॉक्टरों का गुस्सा वाजिब है, लेकिन अब डॉक्टर समुदाय को मरीजों की परेशानियों को भी समझना होगा। किसी महिला मरीज की डिलीवरी होनी है तो किसी मरीज का डायलिसिसि। जयपुर के इटर्नल जैसे बड़े अस्पताल में हार्ट के ऑपरेशन भी नहीं हो रहे हैं। किसी मरीज की आंख का ऑपरेशन होना है तो किसी मरीज की टूटी हुई हड्डी को जोड़ा जाना है। सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में डॉक्टरों की हड़ताल का सबसे ज्यादा खामियाजा प्रदेश भर के मरीजों को उठाना पड़ रहा है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तो राजधानी जयपुर को छोड़कर एक अप्रैल को दो दिन के लिए अपने गृह जिले जोधपुर में चले गए हैं। पुलिस अधिकारियों पर कार्यवाही करने का अधिकार गृहमंत्री के नाते अशोक गहलोत के पास ही है। एक और हजारों मरीज परेशान हो रहे हैं तो दूसरी ओर राज्य सरकार हड़ताली डॉक्टरों के बीच कोई प्रभावी वार्ता नहीं हो पा रही है। लगातार तीन दिनों की हड़ताल से परेशान मरीजों की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। जिन प्रसूताओं की डिलीवरी प्राइवेट अस्पतालों में होनी है, उनकी पीड़ा का अंदाजा लगाया जा सकता है। यदि प्राइवेट अस्पतालों के ताले ही नहीं खुलेंगे तो फिर मरीजों का इलाज कैसे होगा? डॉ. अर्चना शर्मा की आत्महत्या में मरीजों की कोई भूमिका नहीं है, लेकिन इस आत्महत्या का खामियाजा मरीजों को ही उठाना पड़ रहा है। अच्छा हो कि डॉक्टर समुदाय अब मानवीय दृष्टिकोण अपनाते हुए मरीजों का इलाज शुरू करे।

संस्कृति स्कूल के सामने अजमेर विकास प्राधिकरण की बेशकीमती भूमि पर अवैध कब्जा।

घूघरा ग्राम पंचायत की भूमिका भी संदिग्ध। भूमाफियाओं की नजर।
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यूं तो अजमेर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष व जिला कलेक्टर अंशदीप और आयुक्त अक्षय गोदारा प्राधिकरण की भूमि को माफियाओं से बचाने के लिए जागरूक रहते हैं, लेकिन प्राधिकरण के नीचे के अधिकारियों की मिलीभगत के कारण प्राधिकरण की बेशकीमती जमीनों पर कब्जे हो ही जाते हैं। ऐसा ही एक मामला एमडीएस चौराहे के निकट संस्कृति पब्लिक स्कूल के सामने प्राधिकरण की दो बीघा भूमि पर रातों रात कब्जा होने का है। यह भूमि मुख्य मार्ग पर है, इसलिए इसकी कीमत करोड़ों में आंकी जा रही है, राजस्व रिकॉर्ड में यह भूमि प्राधिकरण की ही है, लेकिन विगत दिनों कुछ लोगों ने इस भूमि पर चारदीवारी बनाकर कब्जा कर लिया। स्थानीय नागरिकों के अनुसार 31 मार्च को प्राधिकरण की इस बेशकीमती भूमि पर श्मशान की भूमि होने का बोर्ड लगा दिया। बोर्ड पर इस भूमि को घूघरा ग्राम पंचायत की बताया गया, लेकिन जब घूघरा की सरपंच श्रीमती सुरज्ञान गुर्जर के पति देवकरण गुर्जर से जानकारी ली गई तो उन्होंने भूमि के ग्राम पंचायत की होने से इंकार किया। मालूम हो कि ग्राम पंचायत का काम सरपंच पति देवकरण गुर्जर ही देखते हैं। जब यह मामला सरपंच पति की जानकारी में लाया गया तो शाम को ही श्मशान वाले बोर्ड पर से घूघरा ग्राम पंचायत को मिटा दिया गया। अवैध कब्जे का मामला 31 मार्च को ही प्राधिकरण के तहसीलदार अरविंद कविया की जानकारी में भी लाया गया। पहले तो कविया ने मामले की जांच करवाने की बात कही, लेकिन बाद में चुप्पी साथ ली। प्राधिकरण की करोड़ों रुपए की भूमि पर कब्जे की प्रक्रिया से प्रतीत होता है कि भूमि पर भूमाफियाओं की नजर है। एक सुनियोजित षडय़ंत्र के तहत सरकारी भूमि पर कब्जा किया जा रहा है। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि यह भूमि कभी भी श्मशान की नहीं रही। वैसे भी अब आसपास आबादी हो गई है, लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि प्राधिकरण और ग्राम पंचायत में मिली भगत रखने वाले माफिया इस भूमि को हड़प करना चाहते है। इस मामले में प्राधिकरण के तहसीलदार अरविंद कविया की चुप्पी चकित करने वाली है। अलबत्ता प्राधिकरण के सचिव किशोर कुमार का कहना है कि इस मामले को आयुक्त अक्षय गोदारा के समक्ष रखा कर सख्त कार्यवाही करवाई जाएगी। उन्होंने माना कि प्राधिकरण की भूमि पर चार दीवारी होना भी गैर कानूनी काम है। जिन लोगों ने चार दीवारी करवाई है उनकी पहचान कर कानूनी कार्यवाही करवाई जाएगी। जागरूक लोगों ने इस मामले की शिकायत सीएम पोर्टल पर भी दर्ज करवाई है। उम्मीद की जानी चाहिए कि प्राधिकरण की बेशकीमती जमीन को बचाने के लिए अध्यक्ष अंश दीप, आयुक्त अक्षय गोदारा और सचिव किशोर कुमार इमानदार प्रयास करेंगे। उन तत्वों की पहचान होना भी जरूरी है जो सरकारी कार्मिकों के साथ मिलकर प्राधिकरण की भूमि हड़प रहे हैं।

जयपुर के पिंक सिटी प्रेस क्लब पर काबिज होने के बाद पत्रकारों के संगठन आईएफडब्ल्यूजे का प्रतिनिधित्व गहलोत सरकार में हुआ।

मुख्यमंत्री से मिल भी लिया प्रतिनिधि मंडल।
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गत वर्ष जब राजस्थान में सूचना एवं जनसंपर्क विभाग से जुड़ी पत्रकारों की विभिन्न समितियों का गठन हुआ था। तब पत्रकारों के सबसे बड़े संगठन माने जाने वाले आईएफडब्ल्यूजे के प्रदेश अध्यक्ष उपेंद्र सिंह राठौड़ को इस बात की पीड़ा थी कि कमेटियों में उनके संगठन के एक भी पदाधिकारी को शामिल नहीं किया गया है। इसके लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तक को ज्ञापन दिए गए, लेकिन अब जब जयपुर के पिंक सिटी प्रेस क्लब के चुनाव में आईएफडब्ल्यूजे का पूरा पैनल जीत गया है, तब गहलोत सरकार में इस संगठन का प्रतिनिधित्व अपने आप हो गया है। मुकेश मीणा दोबारा से पिंक सिटी प्रेस क्लब के अध्यक्ष चुने गए हैं। लेकिन इस बार मीणा आईएफडब्ल्यूजे के उम्मीदवार के तौर पर अध्यक्ष का चुनाव लड़ा था। संगठन के प्रदेश अध्यक्ष राठौड़ ने कहा है कि हमने जो पैनल घोषित किया जिसमें कार्यकारिणी के एक सदस्य को छोड़ कर शेष सभी उम्मीदवार हमारे ही विजयी हुई है। मालूम हो कि गत वर्ष मुकेश मीणा के अध्यक्ष रहते हुए ही सीएम गहलोत पिंक सिटी प्रेस क्लब में आए थे। इसके बाद ही पत्रकारों के वेलफेयर के लिए सरकारी कमेटियों का गठन हुआ। कई कमेटियों में मुकेश मीणा शामिल रहे। पिंक सिटी प्रेस क्लब पर काबिज होने से उत्साहित आईएफडब्ल्यूजे के एक प्रतिनिधिमंडल ने एक अप्रैल को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मुलाकात भी कर ली है। गहलोत को जोधपुर में होने वाले संभाग स्तरीय सम्मेलन में शामिल होने का निमंत्रण भी दिया है। गहलोत ने सम्मेलन में शामिल होने का भरोसा दिलाया है। आईएफडब्ल्यूजे के प्रदेश अध्यक्ष राठौड़ ने बताया कि मुकेश मीणा के अध्यक्ष के साथ साथ रघुवीर जांगिड़ महासचिव, राहुल गौतम कोषाध्यक्ष, पंकज शर्मा उपाध्यक्ष चुने गए हैं। इसी प्रकार राहुल भारद्वाज, विजेंद्र जायसवाल, संतोष कुमार शर्मा, पुष्पेंद्र सिंह राजावत, जितेश शर्मा, महेश पारीक, दिनेश कुमार शर्मा, नमोनारायण अवस्थी तथा विकास आर्य कार्यकारिणी सदस्य चुने गए हैं। राठौड़ ने संगठन के उम्मीदवारों को जिताने के लिए पिंकसिटी प्रेस क्लब के सभी सदस्यों का आभार प्रकट किया है

 

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