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दिल्ली की खबरों में पढें, एक साथ पांच-पांच वायरस का कहर, जानिए इसके लक्षण और बचाव के तरीक़े

Pahado Ki Goonj

दिल्ली में एक साथ पांच-पांच वायरस का कहर, जानिए इसके लक्षण और बचाव के तरीक़े

नई दिल्ली, देश की राजधानी एक साथ पांच-पांच वायरस से जूझ रही है। कोरोना वायरस ने तो कहर बरपा ही रखा है, बारिश के मौसम में फैलने वाली संक्रामक बीमारियों डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया के केसेज भी आने लगे हैं। इसके अलावा स्‍वाइन फ्लू के मामले भी 400 से ज्‍यादा हो गए हैं। इनमें से हर एक वायरस बेहद खतरनाक है। अगर समय पर इलाज न मिले तो जान पर बन आती है। दिल्‍ली में हर साल डेंगू, चिकनगुनिया और मलेरिया फैलता है। लोगों को इनके बारे में अवेयर भी किया जाता रहा है। ऐसे में यह बेहद जरूरी हो जाता है कि हम इन वायरस के खतरों को समझें और उनसे बचने के लिए डॉक्‍टर्स की बताई गईं सावधानियों का पालन करें।*

*कोरोना के डेढ़ लाख से ज्‍यादा केस*

*क्यों खतरनाक?

दुनियाभर में इस वक्‍त सबसे खतरनाक महामारी के रूप में फैला है। अबतक 2 करोड़ से ज्‍यादा लोग संक्रमित हुए हैं और 7.70 लाख से ज्‍यादा की मौत हुई है। अपनी संक्रामकता के चलते यह वायरस तेजी से फैल रहा है। दिल्‍ली में कोरोना के 1.53 लाख से ज्‍यादा मामले सामने आए हैं और 4,196 मरीजों की मौत हो चुकी है।

क्‍या है लक्षण और असर?

*श्‍वसन तंत्र पर सीधे असर करता है। लक्षण आम सर्दी-जुकाम, बुखार और खांसी की तरह ही होते हैं। COVID-19 के सबसे आम लक्षण बुखार, थकान और सूखी खांसी और सिरदर्द हैं। ये लक्षण आमतौर पर हल्के होते हैं और धीरे-धीरे शुरू होते हैं। कुछ लोग संक्रमित हो जाते हैं लेकिन उनमें कोई लक्षण नहीं दिखाई देते हैं। हालांकि सांस लेने में तकलीफ होने पर बिना देर किए डॉक्टरी सलाह जरूर लेनी चाहिए। बुजुर्गों और गंभीर बीमारियों से जूझ रहे लोगों को इस वायरस से ज्‍यादा खतरा है।*

सावधानी

*सोशल डिस्‍टेंसिंग का पालन करें। बाहर निकलते समय मास्‍क पहने रखें। बार-बार हाथ धोते रहें। किसी ऐसी चीज को नंगे हाथ न छुएं जिसे किसी और ने छुआ हो। आंखों, नाक और मुंह को अपने हाथों से छूने से बचें।*

*दिल्‍ली में H1N1 के 412 केस सामने आए*

क्यों खतरनाक?

*स्वाइन फ्लू या H1N1 एक संक्रमण है, जो इन्‍फ्लूएंजा ए वायरस के कारण होता है। इस प्रकार का वायरस अधिकतर सुअर में पाया जाता है इसलिए इसे स्‍वाइन फ्लू कहा जाता है। नैशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल के अनुसार, दिल्‍ली में H1N1 मरीजों की संख्‍या 412 हो गई है। यह डेटा 31 जुलाई तक का है। राहत की बात यह है कि अब तक किसी की मौत नहीं हुई है। पिछले कुछ सालों से दिल्‍ली में स्‍वाइन फ्लू सक्रिय है। 2010 में पहली बार सामने आए इस फ्लू ने 2,725 लोगों की जान ले ली थी। पिछले साल 31 मरीजों की मौत स्‍वाइन फ्लू के चलते हुई थी*।

क्या है लक्षण और असर?

*बुखार के साथ बहती नाक, गले में सूजन और छाती जाम होने जैसी शिकायतें भी हों तो आपको H1N1 की जांच करवा लेनी चाहिए। तीन दिनों से ज्यादा तक 101 डिग्री से ऊपर बुखार हो, सांस लेने में तकलीफ हो रही हो, थकान महसूस हो रही हो, भूख में कमी आई हो या उल्टी आदि की शिकयत हो, तो बिना देर किए डॉक्टर से संपर्क करें। ज्यादातर लोगों को यह वायरस हल्का बीमार करता है और 1 फीसदी से भी कम लोगों को सही मायनों में दवा की जरूरत होती है*।

सावधानी

*संक्रमण के लक्षण सामने आने के दो दिनों के अंदर ही ऐंटिवायरल ड्रग देना जरूरी होता है। इससे बीमारी की तीव्रता को कम किया जा सकता है। अस्पताल या अन्य किसी सार्वजनिक स्थान पर जाने से पहले मास्क पहनें। संक्रमित व्यक्ति के पास जाना अगर जरूरी हो तो मास्क के साथ-साथ दस्ताने भी पहनें।*

दिल्‍ली में इस साल डेंगू के केसेज में 91% का इजाफा

क्यों खतरनाक?

बारिश के बाद मच्‍छरों के जरिए कई तरह की संक्रामक बीमारियां फैलने का खतरा होता है। डेंगू उन्‍हीं में से एक है। इस साल अबतक 21 केस सामने आए हैं जबकि पिछले साल अगस्‍त तक 11 केस ही आए थे। डेंगू से होने वाले बुखार को ‘हड्डीतोड़’ बुखार कहा जाता है क्योंकि पीड़ित व्यक्ति को बहुत दर्द होता है, जैसे उनकी हड्डियां टूट रही हों।

क्या है लक्षण और असर?

शुरुआत में यह बुखार सामान्य बुखार जैसा ही लगता है, जिसके कारण सामान्य बुखार और डेंगू के लक्षणों में फर्क समझ नहीं आता है। ठंड लगने के बाद अचानक तेज बुखार चढ़ना, सिर, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द होना, आंखों के पिछले हिस्से में दर्द होना, बहुत ज्यादा कमजोरी लगना, भूख न लगना, जी मितलाना और मुंह का स्वाद खराब होना, गले में हल्का-सा दर्द होना आदि इसके प्रमुख लक्षण हैं। क्‍लासिकल डेंगू 5-7 दिन के सामान्य इलाज से ठीक हो जाता है। लेकिन डेंगू शॉक सिंड्रोम और हेमरेजिक फीवर खतरनाक है।

सावधानी

मच्छरों को पैदा होने से रोकें और खुद को काटने से भी बचाएं। कहीं भी खुले में पानी जमा न होने दें। पानी की टंकी को अच्छी तरह बंद करके रखें। घर के अंदर सभी जगहों में हफ्ते में एक बार मच्छरनाशक दवाई का छिड़काव जरूर करें। पूरी बांह की शर्ट, बूट, मोजे और फुल पैंट पहनें।

इस सीजन मलेरिया के 34 मामले

क्यों खतरनाक?

एमसीडी के अनुसार, दिल्ली में मलेरिया के अबतक 34 केस सामने आए हैं जो कि पिछले साल के मुकाबले 41 प्रतिशत ज्‍यादा हैं। डेंगू की तरह मलेरिया भी मच्‍छरों के काटने से फैलता है। यह ‘प्लाज्मोडियम’ नाम के पैरासाइट से होने वाली बीमारी है। मलेरिया मादा ‘एनोफिलीज’ मच्छर के काटने से होता है जो गंदे पानी में पनपते हैं। ये मच्‍छर आमतौर पर दिन ढलने के बाद सक्रिय होते हैं। पेशंट को हीमोग्लोबिन की कमी हो जाती है जो जानलेवा हो सकती है।

क्या है लक्षण और असर?

मलेरिया में आमतौर पर एक दिन छोड़कर बुखार आता है और मरीज को बुखार के साथ कंपकंपी (ठंड) भी लगती है। इसके अलावा, अचानक ठंड के साथ तेज बुखार और फिर गर्मी के साथ तेज बुखार होना, पसीने के साथ बुखार कम होना और कमजोरी महसूस होना या एक, दो या तीन दिन बाद बुखार आते रहना प्रमुख लक्षण हैं।

सावधानी

किसी भी हाल में घर में मच्छर ना होने दें। मुमकिन हो तो खिड़कियों और दरवाजों पर महीन जाली लगवाएं। पानी जमा न होने दें। गड्ढों को मिट्टी से भर दें। रुकी नालियों को साफ करें। मच्छरों को भगाने और मारने के लिए क्रीम, स्प्रे, मैट्स, कॉइल आदि इस्तेमाल करें। पीने के पानी में क्लोरीन की गोली मिलाएं और पानी उबालकर पीएं। शाम के समय पूरी आस्तीन के कपड़े पहनकर ही बाहर निकलें। बुखार में कम-से-कम एक हफ्ते आराम जरूर करें।

दिल्‍ली में चिकनगुनिया के 26 मामले

क्यों खतरनाक?

बारिश के मौसम में चिकनगुनिया का प्रकोप बढ़ जाता है। एमसीडी की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्‍ली में 15 केस जुलाई में और 11 केस अगस्‍त में आ चुके हैं। इस हफ्ते 3 नए केस सामने आए हैं। डेंगू और मलेरिया की तरह, दिल्‍ली में हर साल इस बीमारी के मामले सामने आते हैं।

क्या है लक्षण और असर?

चिकनगुनिया के मरीज को जोड़ों में तेज दर्द होता है। यही दर्द डेंगू और चिकनगुनिया के मरीजों को एक-दूसरे से अलग करता है। मरीज को तेज बुखार भी रहता है। सिरदर्द, बॉडी पेन, शरीर पर रैशेज भी प्रमुख लक्षणों में से एक है। शरीर में पानी की कमी हो जाती है जो खतरनाक साबित होती है।

सावधानी

चिकनगुनिया से बचने के लिए खुद को मच्‍छरों से बचाना होगा। पानी जमा ना होने दें। जमा हुए पानी में मच्छर पैदा हो जाते हैं। चिकनगुनिया फैलाने वाले मच्‍छर दिन में काटते हैं। मच्छरदानी के अंदर सोएं। पूरी बाजू के कपड़े पहनें।

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 नई दिल्ली। शीर्ष अदालत के कॉलेजियम ने 17 अगस्त को हुई अपनी बैठक में वरिष्ठ वकील जसमीत सिंह, अमित बंसल, तारा वितस्ता गंजू, अनीश दयाल, अमित शर्मा और मिनी पुष्करणा को हाईकोर्ट के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करने की सिफारिश की है। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) एस.ए. बोबड़े की अध्यक्षता वाले कॉलेजियम ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के न्यायाधीश के रूप में वकील राजेश कुमार भारद्वाज को पदोन्नत करने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी।*
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पार्क में उड़ी सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां नहीं नजर आया मुंह पर मास्क***

***बगैर परमिशन के चलाए जा रहा एक पार्क में हुआ वृक्षारोपण का कार्यक्रम***

खुटार शाहजहांपुर

शासन के आदेशों की धज्जियां उड़ा कर बगैर परमिशन के खोले गए एक वाटर पार्क में वृक्षारोपण कार्यक्रम के नाम पर नेताजी के साथ सेल्फी को लेकर सोशल डिस्टेंसिंग की जमकर धज्जियां उड़ाई गई और सोशल डिस्टेंसिंग का पाठ पढ़ाने वाले नेता जी भी मूकदर्शक बने रहे। कोरोना संक्रमण को देखते हुए डब्ल्यूएचओ और केंद्र सरकार की गाइडलाइन के तहत अनलाकडाउन-4 के अनुसार पार्क और जिम के संचालन पर प्रतिबंध है। लेकिन खुटार मे खुद को एक सत्ताधारी पार्टी की सांसद का रिश्तेदार बताने वाले व्यक्ति द्वारा खोले गए वाटर पार्क में रोजाना किसी न किसी कार्यक्रम के बहाने सोशल डिस्टेंसिंग की जमकर धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। बुधवार को भी वाटर पार्क में वृक्षारोपण कार्यक्रम के बहाने एक कार्यक्रम आयोजित हुआ। जिसमें जिले के भाजपा जिला अध्यक्ष हरिप्रकाश वर्मा समेत भाजपा के तमात पदाधिकारियो को आमंत्रित किया गया था। कार्यक्रम के दौरान दर्जनों लोगों की भीड़ भी इकट्ठा हुई अवस्था में नेताजी के साथ सेल्फी भी खिंचाई। इस दौरान कई ऐसे लोग भी देखे गए, जो सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ाते रहे और उनके चेहरों पर न तो फेस कवर रहा और न ही मास्क लगा था। अब सवाल उठता है कि जब सोशल डिस्टेंसिंग का पाठ पढ़ाने और कोरोना संक्रमण से बचाव की जिम्मेदारी संभालने वाले लोग ही इसका उल्लंघन करेंगे, तो आम आदमी क्या करेगा। अब सवाल उठता कि क्या नियम कानून सब छोटे लोगों के लिए ही है। इन धनाढ्य लोगों के लिए कानून की धज्जियां उड़ाने पर कोई कार्यवाही नही बनती। नागरिकों ने शासन के मानकों की अनदेखी कर बगैर परमिशन चलाए जा रहे वाटर पार्क प्रबंधन के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।
आखिर कब तक भरेंगे हाईवे पर ये ‘माैत’ के गड्ढे***

***पलिया जाने बाले स्टेट हाइवे मार्ग पर कढैया गांव में टूटी सड़क से गुजरते वाहन****

खुटार शाहजहांपुर
जितेन्द्र सिंह

सूूबे में भाजपा सरकार से लोगों को काफी उम्मीदें बंधी कि सड़कों और हाईवे की दुर्दशा अब बीते दिन की बात हो जाएगी। अब हाईवे की सूरत बदल जाएगी। मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी भी सत्ता में आते ही सड़कों को छह माह के अंदर गड्ढा मुक्त करने का दावा किया। हकीकत है कि मुख्यमंत्री का दावा भी कागजों का पेट भरने तक सीमित रह गया। अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के कारण सड़कों की स्थिति बद से बदतर हो गई। इस बीच रही सही कसर बारिश ने सड़कों की सूरत बिगाड़ कर पूरी कर दी। जिले में कहने के लिए यह नेशनल हाईवे हैं, लेकिन हैं गांव के रास्तों से भी बदतर। सड़क दिखाई नहीं देती। पता नहीं चलता कि गड्ढों में सड़क है, या सड़क में गड्ढे। कुछ ऐसी हालात है खुटार से पलिया कलां की ओर जाने बाले स्टेट हाइवे पर गांव कढैया के पास स्टेट हाइवे पर बहुत ही गहरे गड्ढे हो गये हैं।जिस कारण आये दिन बहां बड़े वाहन फस जाते है।और जाम की समस्या बनी रहती हैं।गुरुवार को उधर से गुजर रहे भूसी से भरा ओवरलोड ट्रक उन गढ्ढो में फस गया जिससे इधर उधर वाहनों की लंबी कतारें लग गई।लेकिन लोक निर्माण विभाग के अधिकारी इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहे।गहरे गड्डों की बजह से कोई बड़ा हादसा हो सकता है। इससे पूर्व भी वहां कई बाइक सवार गड्ढों में गिरकर घायल हो चुके हैं।गहरे गड्डो के कारण उधर से गुजरने बाले बड़े वाहनों का पलटने का खतरा भी बना रहता है।सड़क के किनारे ही आबादी है लोगों के घर बने हुए हैं जल्द ही इस ओर ध्यान नहीं दिया गया तो कोई अप्रिय घटना घट सकती है। यह हाईवे जनपद खीरी के पलिया कला तक बना हुआ है वहीं से नेपाल की सीमा सटी हुई है इस हाईवे पर वाहनों का आवागमन बहुत ज्यादा बना रहता है।ग्रामीणों की शिकायत पर गड्ढों भरे गए थे पर घटिया सामग्री के प्रयोग के कारण वह एक बरसात में ही उखड़ गये और फिर गहरे गहरे गड्ढे हो गए।

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