मोबाइल फोन धरती में हो रहे बदलाव की वजह से बंद हो जाएंगे
धरती में हो रहे बदलाव की वजह से बंद हो जाएंगे मोबाइल फोन!
धरती के एक हिस्से में मौजूद इसका चुंबकीय क्षेत्र कमजोर हो रहा
पहाडोंकीगूँज डेस्क
देहरादून। धरती के एक हिस्से में मौजूद इसका चुंबकीय क्षेत्र कमजोर हो रहा है। इससे हो सकता है आने वाले दिनों में फोन काम करना बंद कर दें। चुंबकीय क्षेत्र कमजोर होने से सैटेलाइट से लेकर स्पेस क्राफ्रट तक काम करना बंद कर सकते हैं। वैज्ञानिक समझ नहीं पाये है कि ऐसा क्यों हो रहा है।
धरती के एक बड़े हिस्से में चुंबकीय शक्ति कमजोर हो गई है। यह हिस्सा करीब 10 हजार किलोमीटर में फैला है। इस इलाके के 3000 किलोमीटर नीचे धरती के आउटर कोर तक चुंबकीय क्षेत्र की शक्ति में कमी आई है। अफ्रीका से लेकर दक्षिण अमेरिका तक करीब 10 हजार किलोमीटर की दूरी में धरती के अंदर चुंबकीय क्षेत्र कमजोर की ताकत कम हो चुकी है। सामान्य तौर पर इसे 32,000 नैनोटेस्ला होनी चाहिए थी। लेकिन वर्ष 1970 से 2020 तक यह घटकर 24 से 22 हजार नैनोटेस्ला तक जा पहुंची है। नैनोटेस्लास चुंबकीय क्षमता मापने की इकाई होती है।
वैज्ञानिकों को जो सैटेलाइट डाटा मिले हैं उसने उनको चिंता में डाल दिया है। वैज्ञानिकों मुताबिक पिछले 200 सालों में धरती की चुंबकीय शक्ति में 9 फीसदी की कमी आई है। वैज्ञानिकों का कहना है कि अफ्रीका से दक्षिण अमेरिका तक चुंबकीय शक्ति में काफी कमी देखी जा रही है। वे इसे साउथ अटलांटिक एनोमली कहते हैं। वैज्ञानिकों के मुताबिक बदलाव 200 सालों से धीरे-धीरे हो रहा था। इसलिए ही पृथ्वी की चुंबकीय क्षेत्र की शक्ति कम होती जा रही है।
ये जानकारी यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ईएसए) के सैटेलाइट स्वार्म से मिली है। धरती के इस हिस्से पर चुंबकीय क्षेत्र में आई कमजोरी की वजह से धरती के ऊपर तैनात सैटेलाइट्स और उड़ने वाले विमानों के साथ कम्युनिकेशन करना मुश्किल हो सकता है। इस वजह से ही मोबाइल फोन बंद होने की आशंका जताई जा रही है। वैज्ञानिकों का मानना है कि आम लोगों को इसका पता नहीं चलता, लेकिन यह हमारी रक्षा करता है। अंतरिक्ष में खास तौर पर सूर्य से आने वाली हानिकारक शक्तिशाली चुंबकीय तरंगे, अति आवेशित कण इसी चुंबकीय क्षेत्र के कारण धरती पर नहीं पहुंच पाते हैं जिनसे धरती पर रहने वालों को नुकसान हो सकता है।
वैज्ञानिकों को यह बात सबसे ज्यादा परेशान कर रही है दूसरा हिस्सा जहां पर सबसे कम तीव्रता है वह अफ्रीका के पश्चिम में नजर आ रहा है। इसका संकेत है कि साउथ अटलांटिक एनामोली दो अलग-अलग सेल्स में बंट सकता है। ईएसए के मुताबिक यह चुंबकीय क्षेत्र पृथ्वी की सतह के नीचे की बाहरी सतह वाली परत में बह रहे गर्म तरल लोहे के कारण बनता है। हाल ही में ईएसए वैज्ञानिकों ने इस परत में बहुत साफ बदलाव देखा था। उन्होंने पाया था कि पृथ्वी की बाहरी सतह की परतें सतह की तुलना में घूमने लगी हैं।