देहरादून। 24 जनवरी को 29 साल बाद नवग्रहों में सबसे विलक्षण गुणों वाले शनिदेव अपने घर लौट रहे हैं। सबसे धीरे चलने वाले ग्रह के रूप में विख्यात शनि को इसी कारण मंदाग्रह भी कहा गया है। शनि का यह शानि परिवर्तन, मिथुन और तुला राशि वालों पर ढाई वर्षों तक प्रभाव डालेगा। अन्य राशियों पर शनि की साढेसती का प्रभाव लंबे समय तक बना रहेगा। ज्योतिषाचार्य डॉ. प्रतीक मिश्रपुर के अनुसार शनि किसी भी राशि से वापसी की यात्रा 28 से तीस वर्षों में पूरी करते हैं। अन्य ग्रहों को इतना लंबा समय नहीं लगता। शनिदेव इससे पूर्व फरवरी 1991 में मकर राशि में आए थे। इसके बाद उनकी मकर वापसी अब फिर हो रही है। डॉ. मिश्रपुरी ने बताया कि 24 जनवरी मौनी अमावस्या के दिन प्रात 9.54 बजे जब मौनी अमावस्या का स्नान चल रहा होगा, तब शनि उत्तराषाढा नक्षत्र में मकर राशि में प्रवेश करेंगे। यह शनि की अपनी राशि है। वे 2022 तक फिर इसी राशि में रहेंगे। दिसंबर 2020 में इसी वर्ष शनि धनु राशि में कुछ समय के आएंगे, लेकिन फिर मार्गी होकर मकर में प्रवेश कर लेंगे। 2022 तक के ढाई वर्षों में शनि वक्री गति भी प्राप्त करेंगे। शनि की ढैया मिथुन और तुला पर चलेगी। जबकि धनु, मकर और कुंभ पर शनि की साढेसती का प्रभाव पड़ेगा। ये तीनों राशियां लंबे समय तक प्रभावित रहेगा। मिथुन राशि पर शनि की ढैया पीड़ा, रक्त विकार, स्त्री कष्ट आदि रोगों को करणों की जनक बनेगी। इसी प्रकार यह ढैया तुला के जातकों को अशांति, शरीर कष्ट, खराब संबंध आदि का दुख देगी। डॉ. मिश्रपुरी ने बताया कि धनु, मकर और कुंभ पर आ रही साढेसती भी बहुत कष्टमय होगी। शेष राशियों पर इस परिवर्तन कर कोई नहीं पड़ेगा। शनि और सूर्य की युती 24 जनवरी से 14 फरवरी तक रहेगी। ऐसा होने से सत्ता संग्राम के संकेत मिलते है। यद्यपि शनि के मकर में आने से आर्थिक सुधारों का दौर शुरू हो जाएगा।