HTML tutorial

विश्व में बन गए सुपर पावर या अब भी कुछ बाकि है

Pahado Ki Goonj

पुरानी कहावत है “Rome was not built in a day”,
पर अब नयी आ गयी है . ‘But it collapsed in a week”, ..

.तो भैया कर ली तरक्की , जीत लिए देश , कर ली औध्योगिक क्रांति, कमा लिए पेट्रो डॉलर , बना लिए मॉल्टी नेशनल कारपोरेशन , कर लिया जिहाद , बन गए सुपर पावर या अब भी कुछ बाकि है ?

एक सूछ्म से परजीवी ने आपको घुटनो पर ला दिया ? न एटम बम काम आ रहे न पेट्रो रिफाइनारी ? आपका सारा विकास एक छोटे से जीवाणु से सामना नहीं कर पा रहा ?? क्या हुआ , निकल गयी हेकड़ी ?? बस इतना ही कमाया था इतने वर्षों में ? की एक छोटे से जीव ने घरो में कैद कर दिया ???

मध्य युग में पुरे यूरोप पे राज करने वाला रोम ( इटली ) नष्ट होने के कगार पे आ गया , मध्य पूर्व को अपने कदमो से रोदने वाला ओस्मानिया साम्राज्य ( ईरान , टर्की ) अब घुटनो पर हैं , जिनके साम्राज्य का सूर्य कभी अस्त नहीं होता था ।

उस ब्रिटिश साम्राज्य के वारिश बर्मिंघम पैलेस में कैद हैं , जो स्वयं को आधुनिक युग की सबसे बड़ी शक्ति समझते थे , उस रूस के बॉर्डर सील हैं , जिनके एक इशारे पर दुनिया क नक़्शे बदल जाते हैं , जो पूरी दुनिया के अघोषित चौधरी हैं ,

उस अमेरिका में लॉक डाउन हैं और जो आने वाले समय में सबको निगल जाना चाहते थे , वो चीन , आज मुँह छिपाता फिर रहा है और सबकी गालिया खा रहा है।

और ये सब आशा भरी नज़रो से देख रहे हैं हमारे ६९ वर्ष के नायक  नरेंद्र मोदी की तरफ , उस भारत की ओर जिसका सदियों अपमान करते रहे , रोंदते रहे , लूटते रहे ।

और ये सब किया हैं एक इतने छोटे से जीव जो ने दिखाई भी नहीं देता, मतलब ये की एक मामूली से जीव ने आपको आपकी औकात बता दी।

वैसे बता दूँ , ये कोरोना अंत नहीं, आरम्भ है , एक नए युद्ध का , एक ऐसा युद्ध जिसमे आपके हरने की सम्भावना पूरी है ।

जैसे जैसे ग्लोवल वार्मिंग बढ़ेगी , ग्लेशियरो की बर्फ पिघलेगी , और आज़ाद होंगे लाखो वर्षो से बर्फ की चादर में कैद दानवीय विषाणु , जिनका न आपको परिचय है और न लड़ने की कोई तयारी , ये कोरोना तो झांकी है , चेतावनी है , उस आने वाली विपदा की , जिसे आपने जन्म दिया है।

भारत में आदि काल यज्ञ करने की परम परा ऋषि मुनियों में  जंगलों में करने की रही है । उस समय भी  आज के युग मे मानवता को नष्ट करने वाले दैत्यों रूपी रहे ।राजा रावण के राक्षस बशिष्ठ ऋषि के यज्ञ में बाधा डालने आते थे।

तब उन्होंने अपने द्वारा जगत कल्याण के लिए किये जाने वाले यज्ञ की रक्षा राजा दशरथ से राजकुमार श्री राम और लक्ष्मण को सहायता करने के लिए मांग कर यज्ञ संम्पन किये।

प्रत्येक माह में आने वाली अमावस्या ,संक्रांति के दिन यज्ञ होता था।कहीं कहीं आज भी होता है । इससे जहाँ बाताबरण शुद्व होता है ।वहीं  भगवान इंद्रदेव प्रसन्न होकर वर्षा करते हैं जिससे हजारों प्रकार के  बीमारी फ़ैलाने वाले जीवाणु नष्ट हो जाते हैं।

वर्षा के जल मिलने से खेतों में अन्न किसान पैदा करता है, प्रकृति हरीभरी रहती है।अन्न जल ग्रहण करते हुए जीवन  राज्य का चलता है।

राज्य में खुशहाली रहती है। अब सारे विश्व को इस प्रकार यज्ञ करने के लिए भारत का अनुसरण करना चाहिए।

मैनचेस्टर की औध्योगिक क्रांति और हारवर्ड की इकोनॉमिक्स संसार को अंत के मुहाने पे ले आयी ।।बधाई ।

और जानते हैं, इस आपदा से लड़ने का तरीका कहाँ छुपा है ??

तक्षशिला के खंडहरो में , नालंदा की राख में , शारदा पीठ के अवशेषों में , मार्तण्डय के पत्थरो में ।।हमारे ग्रन्थों में

सूछ्म एवं परजीवियों से मनुष्य का युद्ध नया नहीं है , ये तो सृष्टि के आरम्भ से अनवरत चल रहा है , और सदैव चलता रहेगा , इस से लड़ने के लिए के लिए हमने हर हथियार खोज भी लिया था , मगर आपके अहंकार, आपके लालच , स्वयं को श्रेष्ठ सिद्ध करने की हठ धर्मिता ने सब नष्ट कर दिया ।

क्या चाहिए था आपको???? स्वर्ण एवं रत्नो के भंडार ?
यूँ ही मांग लेते , राजा बलि के वंशज और कर्ण के अनुयायी आपको यूँ ही दान में दे देते ।
सांसारिक वैभव को त्यागकर आंतरिक शांति की खोज करने वाले समाज के लिए वे सब यूँ भी मूल्य हीन ही थे , ले जाते ।

मगर आपने ये क्या किया , विश्व वंधुत्वा की बात करने वाले समाज को नष्ट कर दिया ?
जिसका मन आया वही अश्वो पर सवार होकर चला आया , रोदने ,लूटने , मारने , जीव में शिव को देखने वाले समाज को नष्ट करने ।

कोई विश्व विजेता बनने के लिए तक्ष शिला को तोड़ कर चला गया, कोई सोने की चमक में अँधा होकर सोमनाथ लूट कर ले गया , तो कोई किसी आसमानी किताब को ऊँचा दिखाने के लिए नालंदा की किताबो को जला गया ,

किसी ने उम्मत को जिताने के लिए शारदा पीठ टुकड़े टुकड़े कर दिया , तो किसी ने अपने झंडे को ऊंचा दिखाने के लिए विश्व कल्याण का केंद्र बने गुरुकुल परंपरा को ही नष्ट कर दिया ।

और आज करुण निगाहों से देख रहे हैं उसी पराजित, अपमानित , पद दलित , भारत भूमि की ओर , जिसने अभी अभी अपने घावों को भरके अंगड़ाई लेना आरम्भ किया है ।

किन्तु , हम फिर भी निराश नहीं करेंगे , फिर से माँ भारती का आँचल आपको इस संकट की घडी में छाँव देगा , श्रीराम के वंशज इस दानव से भी लड़ लेंगे , ऋषि दधीचि के पुत्र अपने शरीर का अस्थि मज्जा देकर भी आपको बचाएंगे ।

किन्तु…

किन्तु, मार्ग उन्ही नष्ट हुए हवन कुंडो से निकलेगा , जिन्हे कभी आपने अपने पैरों की ठोकर से तोडा था ।
आपको उसी नीम और पीपल की छाँव में आना होगा , जिसके लिए आपने हमारा उपहास किया था ।
आपको उसी गाय की महिमा को स्वीकार करना होगा , जिसे आपने अपने स्वाद का कारण बना लिया ।
उन्ही मंदिरो में जाके घंटा नाद करना होगा , जिनको कभी आपने तोडा था
उन्ही वेदो को पढ़ना होगा ,, जिन्हे कभी अट्टहास करते हुए नष्ट किया था
उसी चन्दन तुलसी को मष्तक पर धारण करना होगा , जिसके लिए कभी हमारे मष्तक धड़ से अलग किये गए थे ।

ये प्रकृति का न्याय है और आपको स्वीकारना होगा।

फिर कहती हूँ , इस दुनिया को अगर जीना है , तो सोमनाथ में सर झुकाने आना ही होगा , तक्षशिला के खंडहरो से माफ़ी मांगनी ही होगी , नालंदा की ख़ाक छाननी ही होगी । पहाडोंकीगूँज राष्ट्रीय साप्ताहिक समाचार पत्र एवं न्यूज पोर्टल  वेब चैनल के सम्पादक  जीतमणि पैन्यूली का  विश्व के लिए है कहना। विश्व कल्याण के लिए

100 gm जौ,200gm तिल 150gm घी को प्रत्येक महीने के 15 ता या दुतीय शनिवार या रविवार को आम,  की लकड़ी,गाय के गोबर( सूखा कर)  के कण्डों से जलाते  रहना।।

इस महान विश्व रक्षा  सूत्र (फ़ार्मले ) के लिए भारत को  सभी देश प्रति व्यक्ति 2 डॉलर रायल्टी देते रहना।

सर्वे भवन्तु सुखिनः , सर्वे सन्तु निरामया ,
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु , मा कश्चिद् दुःख भाग भवेत् …

 

Next Post

राहत भरी खबर: एमआईटी का अध्ययन, भारत में गर्मी कम करेगी कोरोना का कहर

नई दिल्ली। कोरोना वायरस की महामारी से जूझ रहे देश के लिए यह खबर राहत भरी हो सकती है। मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) ने उम्मीद जताई है कि जैसे-जैसे धूप और गर्मी बढ़ेगी हो सकता है कोरोना का प्रकोप भी वैसे-वैसे कम होगा। वायरस के पनपने की परिस्थितियों के […]

You May Like