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उत्तराखंड प्रमुख संघठन को अपनी पहचान बनाने के लिए काम करना चाहिए-जीतमणि पैन्यूली

Pahado Ki Goonj

देहरादून, उत्तराखंड में प्रमुख संघठन में विबाद पद के लिए हो रहा है।यह सस्ती लोकप्रियता का संघठन बन कर उभरा हुआ है।यह एक पिंड के रूप में दिखाई देने लगा है।अब प्रमुख संघठन जो राहु केतु के रूप में दिखाई देने लगा है। व्यक्ति ही संघठन को बनाये रखने  में विश्वास पैदा करता है।
आज प्रमुख संघठन अपने स्वार्थ के चलते संगठन के लिए यानि जनता को सुभिधा देने के लिए असंघठित हो रहे हैं। प्रमुख संघठन के सदस्य विकास के लिए होने वाली परेशानियों को दूर करने के लिए है ।नकि जनता के विकास के सपनों की गर्दन संख्या बल से मरोड़ कर अपने हित की बात के लिए है।यह आर्ट ऑफ अर्निंग का संंघठन के रूप में  कार्य करना होगया है।यह संगठन जोत सिंह बिष्ट ने प्रमुख लोगों के माध्यम से जन प्रतिनिधियों के लिए एवं उनके द्वारा जनता, गावँ वासियों को विकास में रही बाधाओं को सरकार के माध्यम से दूर करने का कार्य कराने के लिए किया होगा। पर संघठन ने अपने हितों की बात प्रमुख लोगों के लिए योजनाओं का आंबटन अलग निधि आदि माँगो तक सीमित रहा है। वास्तव में

पंचायत राज कायम न कर सकना हमारी अपनी कमी के लिए स्वार्थ सबसे बड़ा कारण बन कर उभरा हुआ है

समाचार पोर्टल का मानना है जहाँ राम है वहीं अयोध्या बनाने का प्रयास करते हुए,हमारे कार्य करने से पलायन मुख्य समस्या उत्तराखंड के जनमानस के लिए दूर करने की हो सकती है। प्रमुख छेत्र का प्रतिनिधि छेत्र का संरक्षक भी होता है।विकास में प्रमुख की बड़ी भूमिका होती है।इसकी परिकल्पना प्रधान संघठन से उपजी है।पहाड़ों मेँ निवास करने वाले लोगों की पीड़ा को एक सरकारी कर्मचारी ने समझा और अपनी इच्छा शक्ति से सरकारी सेवा में रहते हुए प्रधान के द्वारा गाँव के विकास  में आरही कठिनाई यों को दूर करने के सपनों के लिए,मेहनत करने वाले

“प्रधान संघठन टिहरी गढ़वाल”  प्रधान संघठन के जनक हर्षमणी भट्ट  थाला ओन प्रतापनगर  निवासी हैं ।वह बरिष्ट प्रशासनिक अधिकारी जिलाधिकारी टिहरी गढ़वाल कार्यलय में सेवा रत  रहते हुए जनता की सेवा के लिए संघठन में पकड़ पकड़ कर समझाने का काम करते रहे ।यह पीड़ा उत्तराखंड के कर्मचारियों के संघठनो में उत्तराखंड के विकास के लिए होजाय तो उत्तराखंड स्वर्ग बनने में देर नहीं लगेगी ।वह सेवा रत रहते हुए इसको1984-85 से  प्रधान संगठन को पनपाया है। उन्होंने शिद्दत से प्रधानो की परेशानियों को उठाया ।उन्ही लोगों की परिकल्पना है कि वर्ष 1988 में स्व राजीव गांधी प्रधानमंत्री रहते हुए रोजगार गारंटी योजना गाँव में लागू हुई। और अधिकार प्रधान को देने के लिए पंचायत एक्ट बनाने की बात की।यह अभीतक परवान क्यों चढ़ने नहीं पाया, प्रश्न यह है कि आपने पद पर रहते हुए अपनी सुभिधा पाने के अलावा उत्तराखंड के पलायन रोकने के लिए आप क्या प्रयास करते है।वह चाहे तो काफी कुछ कर सकते हैं पर इच्छा शक्ति से अपने घर ,गाँव से पहल करनी होगी।यह दिखाई देता है।
पहाडोंकीगूँज राष्ट्रीय साप्ताहिक समाचार पत्र एवं www .ukpkg. com के सम्पादक जीतमणि पैन्यूली अपने प्रधान रहते हुए विधायक ,सांसद से हटकर कार्य करने का जज़्बा रखा ।एक मायने में उनकी भी चलने नहीं दी। जन प्रतिनिधियों के संज्ञान में लाना उचित होगा कि पन्त नगर विश्विद्यालय कैम्पस रानीचोंरी टिहरी गढ़वाल को जिला योजना से धन आंबटन होता था ।यह 19 85 से दिया जाता था।
1988 में प्रधान बनने के बाद बैठक में बोल तो सदस्य सकते थे ।हम सदस्य नहीं थे । देख ही सकते थे ।देखा कि उत्तराखंड में हमारे विकास के लिए, सभी आयमो पर काम करने के लिए, नगदी फसल ,आदि को बढ़ावा देने के लिए यह कैम्पस बनाया गया है ।इसको दिये बजट के सदुपयोग के लिए पूछने के लिए जिला की बैठकों में मैंने सभी जन प्रतिनिधियों बात की पर कोई कुछ नही बोल पाया। लिहाजा मुझे सूझा कि अब अपने आप 20सूत्रीय कमेटी का सदस्य नामित होने के बाद ही कुछ हो पायेगा । इस लिहाजा से सदस्य नामित होने पर  जिलाधिकरी राजीव गुप्ता की अध्यक्षता में बैठक हुई ।उसमें उनके बजट की बात आई तो मैंने प्रश्न किया कि इनके द्वारा गांव में कैम्प लगा कर जनता, कास्तकारों के साथ साथ काम करने के लिए कहा जाय ।लैब टू लैंड कार्यक्रम चलाया जाय। अन्यथा बजट रोक दियाजाय। रोक दिया जाय पर सदन में सभी अधिकारियों ने विरोध करने का मन बनाया था।पर जनता के पैसे के लिए अधिकारी जबाब देह होजाते तो आज तक भारत में गरिबी दिखाई नहीं देती।हम प्रतिनिधि जबाबदार बनाने के लिए चुनाव से आगे आये लोग ही हैं।जबाब देने के लिए हमने चुनाव लड़ा था।हम भी अड़ गए।तब
इस पर सहमति करते हुए उनके द्वारा प्रथम कार्यक्रम कोटाल गाँव भदुरा प्रतापनगर विकास मेले में बैज्ञानिकों का सहयोग किसानों को मिला। तब से जो सब्जी उत्पादन में क्रांतिकारी परिवर्तन लिखवार गावँ वासियों के द्वारा प्रधान बनाने के सहयोग से प्रारंभ करने का काम सम्भव हुआ है।उसमें आगे बढ़ोतरी की कोशिश अभी तक नहीं हो पाई है।
छेत्र के साथ साथ अन्य जगह के लोगों को लिखवार गाँव के द्वारा अभिनव कार्य को लेकर काफी कुछ करने का मौका  जिला की बैठक में मिला।अन्य छेत्र में शिविर लगाने के लिए लोगों ने फायदा के लिए समय, रुपये खर्च कर लेना प्रारंभ किया है । गुणात्मक सुधार के लिए प्रमुख लोगों को कार्यक्रम बनाने की आवश्यकता है। पद पाने के लिए अराजनीतिक संघठन के माध्यम से राजनीति में आकर मोह पैदा करने से भला उत्तराखंड में उत्तराखंड के वासियों के लिए प्रेम पैदा करने का काम करने की तलाश करें।घर ,समाज के द्वारा आपकी सकरात्मक ऊर्जा का असर पड़ता आपको दिखाई देने लगेगा। आपके मन को सकुन मिलने के लिए काम करने की आवश्यकता है। विकास के प्रमुख प्रत्येक नागरिक को बनाने से बनेगा तब विकास दिखाई देने लगेगा।कास्तकारों के साथ प्रमुख ,मुख्यमंत्री ,प्रधानमंत्री दिखाई देने का काम कोई भी जागरूक जन प्रतिनिधि,सामाजिक कार्यकर्ता करता है तो वह स्वागत योग्य सभी प्रदेश वासियों के लिए परोक्ष अपरोक्ष रूप से वह लाभ होगा। इसके लिए संख्या बल की आवश्यकता नहीं है।आत्म बल की आवश्यकता से काम करने से उसका नाम दिखाई देने लगेगा।

प्रमुख संघठन प्रदेश सरकार में होरहे अनाप शनाप खर्चे की कटौती के लिए काम सेमिनार सुझाव देकर करते तो अच्छा होता पंचायत राज लागू करने के लिए काम करते तो अच्छा होगा।विश्व बैंक ,एशियन ,नावर्ड बैंक से बैठक करा कर ।सरकार के लिए अच्छा सुझाव दिया जाता तो कुछ बात बनती। अपनी बात कर सरकार से हटकर कम खर्च से योजनाओं को लागू कराने का काम करते।इसके लिए प्रमुख संघठनो के सदस्यों को बिचार करना चाहिए।आपकी इच्छा शक्ति से ज्ञान मिल सकता है ।काम करने की इच्छा शक्ति को आपको जगाना होगा।पद पाने के लिए  संघठनो को काम करते रहने के लिए कार्यक्रम बनाने की सोच को बढ़ावा देना होगा। अब उत्तराखंड में मा मंत्री  अन्य मुख्य अतिथि को अपने साथ  गावँ के बृद्ध महिला, पुरूष को साथ साथ लेकर उद्धघाटन  करने की परिपाटी डालनी चाहिए। यह सम्मान देने के व कराने के लिए प्रत्येक प्रधान, सामजिक कार्य करने वाले लोग बिचार करेंगे तो गावँ आवाद के साथ साथ बृद्ध लोगों की सेवा करने के लिए परिवार वालों को बातावरण दिखाई देने लगेगा । सामजिक  सौहार्द बढ़ेगा।

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सम्मानित सुधी पाठकों से अनुरोध है कि पहाड़ों की गूंज राष्ट्रीय हिंदी साप्ताहिक  समाचार पत्र 10 वें वर्ष में प्रवेश करने जारहा है ।पत्र की खबरों का संज्ञान देश, प्रदेश की सरकारों ने लेकर जन हित के कई काम  किये। कार्य करने के फल स्वरूप पत्र की लोकप्रियता देश में बढ़ी है।इस अबसर पर  पहाड़ों की गूंज प्रकाशन समुह उत्तराखंड में रोजगार को बढ़ावा देने पलायन को रोकने के लिए ठोस अल्प प्रयास विशेषांक के रूप में 7मार्च 2020 को  प्रकाशित करने जारहा है। उत्तराखंड के पर्यटन , तीर्थ ,एवं अन्य रमणीय स्थानों की रुचिकर जानकारी   से सुधी पाठकों में  उत्तराखंड आने के लिए  जिज्ञासा को बढ़ावा देने के लिए  ।देश में विदेशी , कारपोरेट कार्यलयों, प्रत्येक जिला पंचायत, विकास खण्ड, नगर पालिका परिषद , सांसद ,विधायक महान भाव  तक पहुचाने का प्रयास है । तीर्थ स्थल पर्यटक स्थल ,सहासिक खेल हमारे प्रदेश के लिए रोजगार के अबसर देते हैं।इस वर्ष 30 अप्रैल से प्रारंभ होने वाली चारधाम यात्रा व आगामी वर्ष 2021 में होने वाले कुम्भ में आने के लिए पत्रिका की पठनीय सामग्री जिज्ञासा बढ़ाने में सहायक सिद्ध होगी।  आपके सहयोग  से ही सम्भव होगा। अपनी ओर से शुभकामना ,संस्थान  प्रगति आख्या विज्ञापन  प्रकाशन के लिए ।

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