क्या आप जानते हैं विश्व की सबसे मंहंगी ज़मीन सरहिंद, जिला फतेहगढ़ साहब (पंजाब) में है, जो मात्र ४वर्ग गज है।
कयों हुई ये छोटी सी ज़मीन सबसे महंगी? जरूर जानिये – रोंगटे खड़े कर देनें वाली ऐतिहासिक घटना।
यहां पर श्री गुरु गोविंद सिंह जी क दोे छोटे साहिबजादों की शहादत के बाद उनके अंतिम संस्कार के लिए भूमि देने से इंकार कर दिया और शर्त रखी की अंतिम संस्कार की पुरी भूमि पर स्वर्ण मोहरे बिछाई जाए वही कीमत उस भूमि की होगी
सेठ दीवान टोडर मल ने यह ज़मीन ७८000 सोने की मोहरें (सिक्के) दे कर मुस्लिम बादशाह से खरीदी थी।फिर वहा साहबजादो का अंतिम संस्कार हुवा
।सोने की कीमत के मुताबिक इस ४ वर्ग गज जमीन की कीमत २५00000000 (दो अरब पचास करोड़)बनती है।
दुनिया की सबसे मंहंगी जगह खरीदने का रिकॉर्ड विश्व मे कहीं नहीं है ! आजतक दुनिया के इतिहास में इतनी मंहंगी जगह कहीं नही खरीदी गयी।
और….दुनिया के इतिहास में ऐसा युद्ध ना कभी किसी ने पढ़ा होगा ना ही सोचा होगा, जिसमे १0 लाख की फ़ौज का सामना महज ४२लोगों के साथ हुआ था और जीत किसकी होती है..??
उन ४२ सूरमो की !
यह युद्ध ‘चमकौर युद्ध’ (Battle of Chamkaur) के नाम से भी जाना जाता है जो कि मुग़ल योद्धा वज़ीर खान की अगवाई में १0 लाख की फ़ौज का सामना सिर्फ ४२ सिखों से, ६ दिसम्बर १७०४ को हुआ जो कि गुरु गोबिंद सिंह जी की आज्ञा से तैयार हुए थे !
नतीजा यह निकलता है की उन ४२ शूरवीरों की जीत होती है और हिंदुस्तान में मुग़ल हुकूमत की नींव, जो बाबर ने रखी थी, उसे जड़ से उखाड़ दिया गया।
औरंगज़ेब ने भी उस वक़्त गुरु गोविंद सिंह जी का लोहा माना और घुटने टेक दिए और ऐसे मुग़ल साम्राज्य का अंत हुआ।
औरंगजेब की तरफ से एक प्रश्न किया गया गुरु गोविंद सिंह जी से, कि यह कैसी फ़ौज तैयार की आपने जिसने १0 लाख की फ़ौज को उखाड़ फेंका?
गुरु गोविंद सिंह जी ने जवाब दिया,
“चिड़ियों से मैं बाज लडाऊ,
गीदड़ों को मैं शेर बनाऊ
सवा लाख से एक लडाऊं,
तभी गोविंद सिंह नाम कहाउँ !!” गुरु गोविंद सिंह जी ने जो कहा वो किया और जिन्हें आज हर कोई शीश झुकता है। यह है हमारे भारत की अनमोल विरासत जिसे कभी पढ़ाया ही नहीं जाता!
अगर आपको यकीन नहीं होता तो एक बार जरूर Google में लिखे ‘बैटल ऑफ़ चमकौर’ और सच आपको स्वयं पता लग जाएगा।
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कुछ आगे
चमकौर साहिब की जमीन, आगे चलकर, एक समृद्ध सिख ने खरीदी। उस को इसके इतिहास का कुछ पता नहीं था। जब पता चला कि यहाँ गुरु गोविंद सिंह जी के दो बेटे शहीद हुए थे, तो उन्होंने यह ज़मीन गुरु महाराज जी के बेटों की यादगार ( गुरुद्वारा साहिब) के लिए देने का मन बनाया।
जब अरदास करने के समय उस सिख से पूछा गया कि अरदास में उनके लिए गुरु साहिब से क्या विनती करनी है ….तो उस सिख ने कहा के गुरु जी से विनती करनी है कि मेरे घर कोई औलाद ना हो ताकि मेरे वंश में कोई भी यह कहने वाला ना हो कि यह ज़मीन मेरे बाप दादा ने दी है।
वाहेगुरु…
और यही अरदास हुई और बिलकुल ऐसा ही हुआ कि उन सिख के घर कोई औलाद नहीं हुई।
अब हम अपने बारे में सोचें
५०….१०० रु. दे कर क्या क्या माँगते हैं _
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Sun Jan 19 , 2020
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