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इगास व देव उठावनी एकादशी को श्री बद्रीनाथ के दर्शनों का पुण्य प्राप्त करें

Pahado Ki Goonj

देहरादून, जीतमणि  पैन्यूली ,श्री बद्रीनाथ जी के दर्शन देव उठावनी एकादशी को श्री बद्रीनाथ भगवान के दर्शन कर व्रत रखें आज केदिन भगवान को विधिविधान से जगाया जाता है वैसे तो यह तिथि तीन बार साल में आती है शादी व्याह मुंडन संस्कार किया जाता है कार्तिक मास की एकादशी तिथि को जगत के पालन हार करने वाले भगवान विष्णु को  विधिविधान से पूजा करने के बाद निद्रा से जगाया जाता है। आज  भगवान विष्णु के रूप शालिग्राम से तुलसी माता के विवाह का शुभ दिन है शादी कराई जाती है।  कल सांम की फ़ोटो

अन्य त्योहार के मनाने के अलावा आज के व्रत दान पुण्य श्रद्धा से करने की मान्यता है कि भगवान विष्णु जी पूजा करने से हमारे घर परिवार में खुशहाली आये।

टिहरी गढ़वाल रियासत का यह एतिहासिक दिन है

आजके ही दिन टिहरी रियासत के राजा को  श्री बद्रीनाथ के रूप में जानते हैं।उनके के सेना पति माधो सिंह भंडारी तिब्बत से लड़ाई जीत कर ईद दिन घर आये थे। उनके सकुशल घर पहुंचे की व लड़ाई में जीत की खुशी में इगास मनाई जाती है। कुमाऊं मंडल जो उस समय राज्य का हिस्सा था तो उनके लिए यह दीपावली के बाद का पर्व नई दिवाली  के रूप में होगया तब   उत्तराखंड में पहले तो इतना सौहार्द रहा कि वह दीपावली  के दिन  सेनापति ,सैनिक  घर नहीं पहुंचे तो दीपावली कई सालों तक नहीं मानते थे । टिहरी गढ़वाल रियासत के 138 गढ़ या हिस्से  मुरादाबद  कुमाऊं मंडल से लगा है। बिजनोर पौड़ी गढ़वाल से लगा उत्तरप्रदेश  का हिस्सा है यहां से लेकर तिब्बत का साम्राज्य रहा था पूरे राज्य में देश केलिए कुर्वानी देने वालों का देश माना जाता रहा एक प्रकार से सैनिकों की रक्षा करने के लिए हम यह त्यौहार को देश की रक्षा करने वाले सैनिकों की कुशलता के लिए व्रत के  रुप ,मोन व्रत स्वरूप नहीं मानते हैं।अब कुछ  हिस्सों में  देखा देखी कर अपने भौतिक सुख  से अहम घमंड होने के चलते भाई बन्दुओं  समाज  की अनदेखी कर के  मनाने लगे ।अब  वह दोनों दीपावली मानते हैं। परन्तु प्रमुख रूप से इगास है

उत्तराखंड में कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन  जौनसार में नई दीपावली, टिहरी गढ़वाल में इगास कुमाऊँ में बूढ़ी दीपावली के रूप में मनाने की परम्परा है।उत्तराखंड में सरकार भुला रही है ।

आज से  पट बन्द होने तक बर्फ में लुफ्त उठाने वाले के लिए सुनहरा अवसर भी है। इस समय साधु सन्तों के लिए भी तपस्या रत रहने में आवाजाही कम होने से ठीक है साथ ही नए साधकों के लिए ध्यानमें एकाग्रता बढ़ाने मे अनुकूल  मौसम है।

उत्तराखंड सरकार को इस पर्व पर कोई अच्छी योजना लागू कर  माधो सिंह भण्डारी को सच्ची श्रद्धांजलि देने के लिए कार्य करने की आवश्यकता है। सरकार ने इस  पर्व पर सरकार ने कोई बैधानिक छुटी नही दी है यह हमारी संस्कृति पहचान को भुलाने का तरीका है इसका शासनादेश दो बार बना फर्जी उसकी पुलिस में रिपोर्ट  लिखाने के आदेश होगये है।इससे जनता में  आक्रोश है। इगास पर्व पर देश वासियों के जीवन से अंधकार दूर कर  खुशाल बनाने की कामना भगवान बद्रीविशाल से करते हैं ।

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