1 अप्रैल की जगह नया “मूर्ख बनाने का दिवस” 05 अगस्त को । उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने हर रोज जम्मू कश्मीर से हटाई गई धारा 370 पर सुनवाई शुरु !

Pahado Ki Goonj

साइंटिफिक-एनालिसिस

01 अप्रैल की जगह नया “मूर्ख बनाने का दिवस” 05 अगस्त को!

02 अगस्त से उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने हर रोज जम्मू कश्मीर से हटाई गई धारा 370 पर सुनवाई शुरु कर दी हैं |

यूरोपीयन कलेन्डर जो आज भारत में कानूनी रूप से मान्य व उसके अनुसार पूरी संवैधानिक व्यवस्था चल रही हैं उसमें 1 अप्रैल के दिन को अप्रैल-फूल दिवस के नाम से कुख्यात कर रखा हैं | इसके पीछे का सच क्या हैं यह पूर्णतया स्पष्ट नहीं हैं क्योंकि जितने मुंह उतनी बातें प्रचलन में हैं | आजकल फेक न्यूज़/पोस्ट के माध्यम से इसके साथ आये दिन नई-नई किन्वती जोडी जा रही हैं |

यह दिवस अंग्रेजों के शासन काल में थोपा गया था इसलिए नये आजाद इंडिया में सबका साथ सबका विकास मूलमंत्र के साथ मूर्खता-दिवस की नई तारिख भारतीयता की आत्मीयता के साथ अमृतकाल में तय करी गई हैं | यह तारीख अब 1 अप्रैल की जगह 05 अगस्त करी जा रही लगती हैं | 05 अगस्त, 2019 को जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने की मूर्खता का खेल खेला गया | इसके साथ ही नये केन्द्र शासित प्रदेश बनाने का कानून बनाया गया |

सबसे बड़ा सच यह हैं कि अनुच्छेद 370 कभी हटाया ही नहीं गया | 05 अगस्त, 2019 को केन्द्र सरकार ने राष्ट्रपति के एक अध्यादेश के जरिये जम्मू कश्मीर में लागू अनुच्छेद 370 के खंड एक को छोड़कर शेष प्रावधानों को निरस्त करा था | इसको और अधिक सामान्य भाषा में समझे तो एक कार का माडल डेल्टा हैं और उसके दो वर्जन A व B हैं | इसमें से एक वर्जन A की कुछ मशीनरी व इंटिरियर की सीट कवर को हटा दिया और वर्जन B को पुरी तरह चलन से बन्द कर दिया | इसे आप 35A के साथ 370 के वो प्रावधान कह सकते हैं जो जम्मू कश्मीर के नागरिकों को कुछ विशेष अधिकार व सुविधाएं देते थे | इसमें जम्मू कश्मीर के स्थाई निवासियों द्वारा ही जमीन खरीदने व दूसरे राज्य के लोगों की वहां के निवासी से विवाह न करने की बाध्यता प्रमुख थी | सच तो यही हुआ कि कार का माडल “डेल्टा” अभी भी चालू हैं वो हटाया नहीं गया |

यदि अनुच्छेद 370 को खत्म कर दिया जाता तो संविधान के अनुसार जम्मू कश्मीर भारत का हिस्सा नहीं रहता | नये केन्द्र शासित प्रदेश बनाने का कानून एक राज्य के रहते हुए कैसे पारित हो गया यह जरूर संविधान का घोर उल्लंघन व कानूनी अपराध हैं | इस बिन्दु या मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय सुनवाई कर सकता हैं व राष्ट्रपति की अनुमति को उनके शपथ की अवेहलना का विषय बना सकता हैं क्योंकि राष्ट्रपति कोई राजा नहीं होता | सत्ता में बैठे राजनीति की पृष्ठभूमि वाले लोग इसे “जुमला” बता हाथ धोकर गंगा स्नान कर पाप मुक्त होने के नये भारत के रामबाण उपाय से परिचित हैं | इसलिए वे चुप बैठे रहे |

सत्ता की भूखी राजनैतिक दलों वाली सरकार को बिना चुनाव के एक नये राज्य का अधिकार यानि सत्ता मील रही थी इसलिए उसने देशवासीयों को मूर्ख बनाने का हौ हल्ला बहुत जोर-शौर व ढोल, वीणा, बांसुरी, नगाड़े बजाकर जारी रखा | यह अलग बात हैं कि राजनैतिक दलों के पढे लिखे वाले लोग भी देशवासी होने के नाते स्वयं महामूर्ख बन रहे थे | पाकिस्तान ने भी अनुच्छेद 370 हटाने का रायता फैला दुनिया के देशों को मूर्ख बनाने में बहुत मदद करी |

अनुच्छेद 370 हटाने के मामले पर पहले 5 जजों की संविधान पीठ ने सुनवाई करी जब याचिका केन्द्र के फैसले की संवैधानिक वैधता का था | अब दुबारा 5 जजों की संविधान पीठ डेली बेसिस पर सुनवाई कर रही हैं | इसमें याचिका आर्टिकल 370 खत्म करने व राष्ट्रपति के आदेश को चुनौती देने का हैं | इससे पहले 11 जुलाई, 2023 को चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ जी की अगुवाई वाली बेंचने अलग-अलग पार्टियों के लिए लिखित याचिका दाखिल करके स्वत: महामूर्ख बनने की डेडलाईन 27 जुलाई तय कर दी | इसके साथ केन्द्र सरकार से 370 हटाने के कारणों को पूछते हुए शपथ-पथ ले लिया ताकि वो बाद में थूक कर चाटने व पल्टी मारने के मुहांवरे का सत्यापन कर पतली गली से खिंसक न सके |

पांच न्यायाधीशों ने सुनवाई क्यों शुरु करते हुए लगातार जारी रखी, यह हमें नहीं पता… शायद समय को बर्बाद कर 05 अगस्त की तारीख का इंतजार करना हो सकता हैं | सुप्रीम कोर्ट में दाखिल सभी याचिकाएं सुनवाई के पहले चन्द सैंकंडों में ही निरस्त हो जानी चाहिए, जिस तरह जंतर-मंतर पर बैठी महिला पहलवानों की याचिका यह कहते हुए सुनवाई से निरस्त कर दी गई कि आवेदन सिर्फ एफ आई आर दर्ज कराने के लिए किया जो अब दिल्ली पुलिस ने दर्ज कर दी | अनुच्छेद/धारा 370 हटाई ही नहीं गई व राष्ट्रपति ने आदेश अपनी मर्जी से न देकर पूरी तरह कानूनी रूप से कैबिनेट की मंजूरी से उनके पास आने पर किया | संसद ने इस अध्यादेश को कानूनी मंजूरी देकर बाद में पास करा उसे उन परिस्थितियों में देखना एक अलग पहलू हैं |

कानूनी रूप से सबकुछ सही हो और कहीं पर भी धारा 370 हटाने का विवरण न हो, लेकिन मीडिया की किसी भी आज की खबर व न्यूज़ चैनलों की बहस में देख ले सभी जगह अनुच्छेद 370 को हटाने को प्राथमिका दे रखी हैं | उसने हर खबर व अपडेट को 370 हटाने के पहलू से जोड़कर व्याखित करा हैं व साइंटिफिक-एनालिसिस का आधार, स्लोगन, मूलमंत्र, टैग लाईन “साइंटिफिक-एनालिसिस ऑन करंट न्यूज़” हैं |

शैलेन्द्र कुमार बिराणी

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