पौंटी सीट पर जमीनी नेता आगे
उत्तरकाशी की पौंटी जिला पंचायत सीट पर दिग्गजो की इज्जत दांव पर लग गई है। जो भी उम्मीदवार मैदान में है वह नौजवान है। उन्हें कोई थकान भी महसूस नहीं हो रही है। चुनाव के इस नये कानून ने ऐसे नौजवानो को मौका दिया है। जबकि इस नये कानून ने इस सीट पर बड़े-बड़े कद्दावार नेताओं को चुनाव लड़ने का पाठ पढा दिया है। फिलवक्त यहां टक्कर कांटें की बताई जा रही है।
ज्ञात हो कि इस सीट पर कोटी गांव के सुखदेव रावत, कांडा गांव के पूर्व प्रधान पवन पंवार, कृष्णा गांव के देवेन्द्र रावत, कन्सेरू गांव के रमेश रावत और भाटिया गांव के श्याम डोभाल जिला पंचायत पौंटी के लिए चुनावी मैदान में अपनी-अपनी बैतरणी पार करना चाहते है। यमुना के आर-पार बसे इस सीट पर लगभग 30 गांवो के लोग मतदान करेंगे। यह मतदान किसकी किस्मत को चमकायेगा, यह समय की गर्त में है।
पौंटी जिला पंचायत सीट पर कांग्रेस के कद्दावार नेता रहे सुखदेव रावत को मालूम नहीं है कि उनकी अगली रात कहां कटेगी। वे अपने जनसंपर्क को एकदम जमीनी रूप दे चुके है। कभी गांव की चैपाल पर युवा, बुजुर्गो से मिल रहे हैं तो कभी माता-बहनो से मिल रहे है। वे जनसभा को पंसन्द नहीं कर रहे है। उनके साथी बता रहे हैं कि सुखदेव रावत का पहले से ही गुण ऐसा रहा है कि वह भाषणों की लफ्पाजी में विश्वास नहीं करते है। वे लोगो से बतिया रहे हैं कि आज यदि वह उनके बीच में पहली बार आया हो तो वे उनकी शिकायत कर सकते हैं। किन्तु वह तो मतो को अपने पक्ष में करने के लिए मतदाताओं से भावनात्मक रिश्ते बता रहे है। इसके अलावा सुखदेव रावत अपने क्षेत्र में लोकप्रिय इस मायने में बताये जा रहे हैं कि वे सदैव अपने क्षेत्र के दुख में, सुख में, दर्द में लोगो के साथ हिस्सा लेते हैं। गांव के अधिकांश ग्रामीण बता रहे हैं कि सुखदेव पूर्व से ही व्यवहार कुशल लड़का है। उन्होंने कभी भी वोट की राजनीति नहीं की है। जबकि इधर कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को मतो को एकत्र करने में कोई समस्या भी नहीं आ रही है। क्योंकि सुखदेव पौंटी जिला पंचायत क्षेत्र में कांग्रेस के अलाव व्यक्तिगत पहचान भी रखते हैं।
इसी क्षेत्र के यानि काण्डा गांव के पूर्व प्रधान रहे पवन पंवार भी अपनी पिछली कार्यकुशलता बावत इस सीट पर चुनावी बैतरणी पार लगाना चाहते हैं। लोगो का मानना है कि यदि पवन पंवार ने अपनी ग्राम सभा में प्रधान रहते विकास के कार्य बखूबी किये होंगे तो काण्डा गांव के लोग एक तरफा मतदान कर सकते हैं। हालांकि ऐसा अब तक कहीं हुआ नहीं है। वैसे भी बताया जा रहा है कि पवन पंवार की कांग्रेस पार्टी से नजदीकी है। इसी क्रम में ठीक यमुना के तट पर बसा गांव कृष्णा है। जहां के देवेन्द्र रावत ने पौंटी जिला पंचायत सीट से चुनाव में जीत हासिल करने की विश्वसनीय हुंकार भरी है। वे भी भाजपा के नजदीकी कार्यकर्ता बताये जाते हैं। भाजपा के करीबी कार्यकर्ता कहे जाने वाले रमेश रावत भी किसी से कम नहीं है। वे अपनी सरकारी सेवा को छोड़कर चुनाव में हाथ अजमाना चाहते है। वे इंजीनियर रहे है और अपने कौशल की इंजीनियरिंग चुनाव जीतने में आजमा रहे हैं। कहने का तात्पर्य यह है कि चार में से तीन भाजपा व दो कांग्रेस से ताल्लुक रखने वाले प्रत्याशी पौंटी जिला पंचायत सीट से चुनावी समर में गोता लगा रहे हैं।
दूसरी तरफ भाजपा के कद्दावार नेता श्याम डोभाल हैं। वे वर्तमान में जिला उत्तरकाशी में भाजपा के जिला अध्यक्ष हैं। उनकी पहचान इस क्षेत्र में एक शुद्ध राजनीतिक कार्यकर्ता की है। मगर श्री डोभाल के साथ भाजपा के अन्य संगठन बिना प्रचार के क्षेत्र में डेरा डाले हुए हैं। इस तरह यदि मतो की गणना का अनुमान लगाया जाये तो क्या भाजपा समर्थित प्रत्याशी श्याम डोभाल मजबूत उम्मीदवार दिखाई देते है? मतदान का आंकलन करना थोड़ा सा यहां कठिन हो रहा है। इसलिए कि यमुना की दांयी तरफ और बांई तरफ बसी बसासत को इन उम्मीदवारो के पक्ष में मतदान करना है। यमुना की दायीं तरफ से दो, तो वहीं यमुना की बांयी तरफ से तीन उम्मीदवार मैदान में है। मतो का ध्रुवीकरण यदि क्षेत्रवाद की भेंट चढ गया तो भी सुखदेव रावत को जीत हासिल करने के लिए ऐड़ी चोंटी का जोर लगाना पड़ सकता है।
कुलमिलाकर इस सीट पर जहां दिग्गजो की इज्जत दांव पर है, वहीं राष्ट्रीय पार्टियों में नाक का सवाल भी खड़ा हो गया है। बताया जा रहा है कि इस सीट पर राजनीतिक पार्टियों का कोई असर सामने नहीं आ रहा है। यहां जो उम्मीदवार राष्ट्रीय राजनीतिक पार्टियों के कद्दावार नेता मैदान में है, उनकी अपनी-अपनी पहचान है। जो इस चुनावी अभियान में मुखर रूप से सामने आ रही है। अब जीत-हार किसकी होगी, यह तो समय ही बता पायेगा, परन्तु दिग्गजो की टक्कर कांटे की नजर आ रही है। बहरहाल जो भी यहां कमजोर साबित होगा वह राजनीतिक संगठन का कारण बन सकता है।