सरकार शीघ्र वार्ता करें
उत्तराखंड पत्रकार संयुक्त संघर्ष मोर्चा का 2अगस्त 019से आमरण अनशन सुरु होगा
देहरादून,उत्तराखंड पत्रकार संयुक्त संघर्ष मोर्चा का धरना आज आठवें भी जारी रहा। मोर्चा के धरने में सदस्य पत्रकारों ने 11 सूत्रीय मांग पत्र सूचना महानिदेशक कार्यालय के माध्यम से मुख्यमंत्री को भिजवाया है। और अल्टीमेटम दिया है कि यदि तत्काल इन मांगों पर कार्रवाई शुरू करने का आश्वासन नहीं दिया जाता तो कल 2 अगस्त को सुबह 11:00 बजे से आमरण अनशन शुरू कर दिया जाएगा।
उत्तराखंड पत्रकार संयुक्त संघर्ष मोर्चा के सदस्य पत्रकार संजीव पंत आमरण अनशन पर बैठेंगे तथा उनके साथ दो अन्य पत्रकार क्रमिक अनशन शुरू करेंगे।
गौरतलब है कि 31 तारीख को निकाले गए मशाल जुलूस में विभिन्न यूनियनों और अलग अलग मीडिया माध्यमों के 74 पत्रकारों की रिकॉर्ड तोड़ शिरकत के बाद संयुक्त संघर्ष मोर्चा का हौसला बुलंद है और यह भी निर्णय लिया गया कि जल्दी ही पत्रकार संयुक्त संघर्ष मोर्चा से ही एक दल दिल्ली स्थित जंतर-मंतर पर भी धरना देगा और पूरे देश को यह बताया जाएगा कि किस तरह से उत्तराखंड सरकार राज्य के पत्रकारों के साथ दमन की नीति अपनाते हुए सौतेला व्यवहार कर रही है।
धरना स्थल पर एकत्रित पत्रकारों ने एक सुर में यह बात रखी कि जल्दी ही सरकार उनकी मांगों पर अपना रुख स्पष्ट करें ताकि उत्तराखंड पत्रकार संयुक्त संघर्ष मोर्चा के बैनर तले पत्रकार अपनी आगे की रणनीति बना सकें।
गौरतलब है कि कि 25 जुलाई को अमर बलिदानी श्री देव सुमन की जयंती पर केवल चुनिंदा चहेते पत्रों को ही नियमावली के खिलाफ जाकर विज्ञापन देने के विरोध में शुरू हुआ सरकार हमारे आजादी के अमर शहीदों को भूलने के घृणित कार्य करते हुए यह संदेश देने का प्रयास किया है कि इस विज्ञापन न देने पर क्या प्रतिक्रिया व्यक्त करते हैं।एक प्रकार से यह पत्रकारिता करनेवाले का मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने या उनको अंधेरे में धकेलने की कोशिश करने वाले लोगों लिटमस टेस्ट किया है। इसके बावजूद विरोध हर मंच पर होने लगा है विश्व के सबसे आंदोलन कारी अमर शहीद को भूलने की भूल गलत की गई है।यह ज्वाला अब सावन की वर्षात मे भड़क उठी है।अमरवलीदानीयों की आत्मा देश के लोकतंत्र को बचाने के लिए किसी न किसी रूप मे सरकार को सचेत रहने के लिए मनन करनेवाले मनुष्यों के द्वारा उठाएगी।ओर उठवा दिया है अब यह क्रंतिकारी लौ बुझाने से नहीं बुझेगी।इस प्रकार के विरोध में
सांकेतिक धरना पहले “ताला और माला” आंदोलन में बदला तथा उत्तराखंड की पत्रकारिता के इतिहास में पहली बार राज्य सूचना विभाग पर तालाबंदी की गई। इसके बाद जुलाई महीने के अंतिम दिन कल 31 जुलाई को देहरादून की सड़कों पर विशाल मशाल जुलूस निकाला गया।
अब यह तय किया गया है कि यदि कल 2 तारीख 11:00 बजे तक सरकार धरना स्थल पर आकर न्यायोचित मांगों को नहीं मानती है तो आमरण अनशन शुरू कर दिया जाएगा।
बीते दिन के मशाल जुलूस के बाद से विभिन्न संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी धरना स्थल पर आकर अपना समर्थन व्यक्त करने के लिए उत्तराखंड पत्रकार संयुक्त संघर्ष मोर्चा के सदस्यों से संपर्क किया है।
पिछले 24 घंटों में तेजी से बदले घटनाक्रम से इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं कि पत्रकारों के साथ की गई एक मनमानी के खिलाफ शुरू हुआ यह आंदोलन बहुत जल्दी ही व्यापक स्वरूप ग्रहण कर सकता है और पूरा राज्य इसकी चपेट में आएगा यह पत्र एंव पोर्टल का मानना है।जिलाधकारी को जगह जगह से ज्ञानपन प्रदेश में दिए जारहे हैं।इस प्रकरण की जनकारी को हल्के में लेना सरकार की जनता के प्रति सूचना देने वाले विभाग की दशा और दिशा लोकतंत्र के भविष्य के लिए देखते हुए आगे आंदोलन में सरीख होने का संकेत देरही है।