पुरोला उत्तरकाशी( मदन पैन्यूली ) सरकार स्वच्छ भारत मिशन का पूरे देश में दावा करती है जिसका ताजा उदाहरण उत्तरकाशी जनपद के सुदूरवर्ती बडियार क्षेत्र में आज भी 60 प्रतिशत ग्रामीण खुले में शौच करने को विवश हैं। यहां शौचालय के नाम पर ग्रामीणों के पास केवल पिट्स बने हैं। जिससे ग्रामीणों को गांव से दूर शौच के लिए जाना पड़ता है। गत सप्ताह राइंका गुंदियाट गांव के छात्र-छात्राएं सात दिवसीय एनएसएस शिविर पर बड़ियार क्षेत्र में थे। इस दौरान जब छात्रों ने स्वच्छता अभियान को लेकर सर्वे किया जो उनके सम्मुख कई समस्याएं आई। राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यक्रम अधिकारी मखन सिंह नेगी ने शिविर की कार्ययोजना की जानकारी देते हुए बताया कि बड़ियार क्षेत्र के पौंटी, किमडार, कसलौ, सर, छानिका, डीगाड़ी, लेवटाडी आदि गांव में स्वच्छता एवं जनजागरूकता अभियान के लिए छात्रों द्वारा किये गए सर्वे में पता चला कि 60 प्रतिशत से भी अधिक ग्रामीण अभी भी शौचालय बिना खुले में शौच करते हैं। कहा कि इन गांव के ग्रामीणों के पास शौचालय के नाम पर केवल पिट बने हैं। जो यह दर्शाता है कि यह क्षेत्र अभी भी विकास की मुख्य धारा से कोसों दूर हैं तथा जागरूकता की कमी है। कहा कि इतना ही नहीं जिला प्रशासन जल स्रोतों के सरंक्षण के लिए हर साल कार्ययोजना बनाता है। लेकिन उसके बाद भी इन गांव में प्राकृतिक पेयजल स्रोतों व नालियां रखरखाव के अभाव में जर्जर स्थिति में हैं। वहीं स्थानीय निवासी कैलाश रावत ने बताया कि सबसे बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण आज तक किसी भी विभागीय अधिकारी ने इन गांव की ओर रूख नहीं किया। क्षेत्र के विकास के लिए योजनाएं तो बनती है लेकिन वह गांव तक नहीं पहुंच पाती है।यह प्रश्न खड़े करता है कई तरह के सवाल।उन्होंने कहा कि क्षेत्र में सड़क एवं पुलों के बिना जहां नदियों एवं नालों को पार करते कई घटनाएं हो गई हैं। स्वास्थ्य, शिक्षा, दूरसंचार की सुविधाएं ग्रामीणों को मुहैया नहीं हो पा रही है। जिससे यहां आये दिन ग्रामीण पलायन करने को मजबूर दिखाई दे रहा है सरकार को कैसे सुदूर इलाकों में स्वास्थ्य शिक्षा दूरसंचार जैसी प्रमुख सुविधाएं मुहैया कराने पर विशेष ध्यान देना चाहिए।