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खरसाली गांव में मां यमुना की विदाई की तैयारी सुरु होगई

Pahado Ki Goonj

 

बडकोट / यमनोत्री धाम के लिए मां यमुना की विदाई की तैयारियां खरसाली गांव में जोर-शोर से चल रहीं हैं। इसके लिए पूरा गांव सजा दिया गया है। फूलों के साथ ही पतंग (वंदनवार) से सजावट की गई है। घरों और रास्तों की सफाई की गई है। प्रवासी ग्रामीणों के साथ ही श्रद्धालु भी मां यमुना की विदाई में शरीक होने पहुंच रहे हैं।
अक्षय तृतीया के पावन पर्व पर मां यमुना की विदाई भाई शनि देवता की अगुआई में एक बेटी के समान मायके सी की जाती है। (शनिदेव का यहाँ चमत्कारिक एवं अद्भुत मन्दिर है।) मां यमुना इसी दिन अपने धाम यमुनोत्री में विराजती हैं। विदाई के लिए चलने वाले अनुष्ठान भी चल रहे हैं। अक्षय तृतीया (इस बार 07 मई, 2019) के पावन पर्व पर हर वर्ष 6 माह के शीतकालीन मायके के प्रवास के बाद मां यमुना की वापसी यमुनोत्री धाम के लिए होती है। इस दिन खरसाली गांव में ग्रामीणों सहित क्षेत्र के लोग एकत्र होकर खरसाली गांव को सजा कर मां यमुना की विदाई एक बेटी की तरह करते हैं। विदाई का अवसर इस कदर भावुक होता है कि स्थानीय महिलाओं के आंखों में अश्रुधारा तक देखने को मिलती है। महिलाएं मां की विदाई को गांव के अंतिम छोर तक जाती हैं, जबकि तीर्थ पुरोहितों सहित क्षेत्र के पुरुष व बालिकाएं यमुनोत्री धाम तक मां यमुना को पहुंचाने जाती हैं।
गंगा को चढ़ता है हलवे और मिश्री का भोग
पतित पावनी मां गंगा को हलवे और मिश्री का भोग चढ़ता है। गंगोत्री में श्रद्धालु इलायची सहित हलवे और मिश्री का भोग मां को चढ़ाते हैं। गंगोत्री धाम में श्रद्धालु गंगा स्नान के बाद मंदिर के आसपास की दुकानों से इलाचयी, श्रीफल, मिश्री का प्रसाद खरीदते हैं और उसके बाद तुलसी के साथ मां को भोग लगाते हैं। शाम को आरती के बाद मंदिर के पंडे श्रद्धालुओं को हलवे का प्रसाद वितरित करते हैं।

गंगोत्री- यमुनोत्री के बारे में कुछ तथ्य

6 किलोमीटर पैदल (जानकी चट्टी) से चलकर पहुंचते हैं श्रद्धालु यमुनोत्री धाम, यमुनोत्री धाम खरसाली से 5 किमी पैदल दूरी पर है।
ऋषिकेश से यमुनोत्री की दूरी कुल 200 किमी है, जबकि देहरादून से 170 किमी
6 महीने तक गंगोत्री और यमुनोत्री में दर्शन देंगीं मां गंगा और यमुना
पंरपरा
– हर वर्ष बैसाख की अक्षय तृतीया को खुलते हैं, दोनों धामों के कपाट
– कार्तिक मास की यम द्वितीया को बंद होते हैं यमुनोत्री धाम के कपाट
– यमुनोत्री में विभिन्न थोक बारी-बारी से करते हैं यमुना की पूजा
– खरसाली के उनियाल लोग युमनोत्री धाम के पुजारी हैं।
– पूजा काल में पुजारी का ब्रह्मचर्य का पालन करना होता है जरूरी
– गंगा जल को ही गंगोत्री धाम का मुख्य प्रसाद माना गया है।
– गंगोत्री के पुजारी मुखबा में रहने वाले सेमवाल लोग हैं।
– दिवाली के बाद हर साल गोवर्धन को बंद होते हैं गंगोत्री धाम के कपाट
– गंगोत्री तीर्थ में तीन दिन विश्राम (पद्मपुराण) का विशेष महात्म्य है।
मदन पैन्यूली

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