देहरादून: गैरसैंण राजधानी ले जाने के लिये 213वें दिन आंदोलन रत धरना स्थल से उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी मनोज ध्यानी ने तेजतर्रार युवा नेता कन्हैया कुमार के पक्ष में एक पोस्ट देखी| उसमें कुछ आजादी की पंक्तियां लिखी गई थी| एक पंक्ति में लिखा था *’ब्राह्मणवाद से आजादी’*| मेरा प्रश्न है *ब्राह्मणवाद* भी तो *जातिसूचक* ही हुआ न? बाकी सब तो ठीक है, पर *ब्राह्मणवाद* … *क्या इसका विलोमार्थ ठाकुरवाद होगा …. या फिर बनियावाद …या फिर दलितवाद ….या फिर मुलस्लिमवाद* … आखिर कहाँ रूकेगी यह बहस? हम जात-पात का घाव कहाँ और किस हद तक कुरेदते रहेंगे| क्या ऐसी जातिगत सोच व शब्दावली से राष्ट्र आगे बढेगा? किसी ने सच कहा है, भारत के लोग स्वयं इस देश का बंटाधार करने के लिए काफी हैं| मेरी विनती वर्तमान राजनीति से निजात पाईए …बहुत बेहतर, सभी कांधा लगाएंगे, परंतु जाति निरपेक्ष सादर बनना भी तो सीखिए।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने रोहित शेखर तिवारी के आकस्मिक निधन पर गहरा दुःख व्यक्त किया है
Wed Apr 17 , 2019