देहरादून (चन्द्रशेखर पैन्यूली )विश्व वन दिवस 21 मार्च की आप सभी को मंगलकामनाएं,हम सबको अपनी बहुमूल्य धरोहर वन सम्पदा की रक्षा के लिए अपने अपने स्तर से प्रयास करने होंगे,ताकि जल,इमरती,लकड़ी,चारा पत्ती सहित हमारे पर्यावरण को संतुलित रखकर हमे प्राणवायु देने वाले जंगलों का अस्तित्व बना रहे,भारत में 1950 और पूरे विश्व में 1971 में शुरू हुए विश्व वन दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य पर्यावरण और पेड़ो के प्रति सचेत रहकर हम पर्यावरण की रक्षा के लिए जरूरी कदम उठाएं रहा है,आज के दौर में बढ़ते प्रदूषण और वनों के अंधाधुंध कटान से हम सभी बड़े खतरे की तरफ बढ़ रहे हैं।विश्व वन दिवस पर मैं जंगलों को बचाने में अपने जीवन भर सेवा देने वाले वन अधिकारियों,वन रक्षकों और वन मित्रों, पर्यावरण वैज्ञानिकों,पर्यावरण मित्रों को सलाम करता हूँ जो दिन रात,विश्व की अमूल्य धरोहर वनों को बचाने में प्रयासरत है,मैं भारतवर्ष के उत्तराखण्ड राज्य का निवासी हूँ मुझे गर्व है कि वनों को बचाने की आवाज मेरे सुदूरवर्ती पहाड़ो से निकलकर विश्व के कोने कोने तक पहुंची है,मैं नमन करना चाहता हूँ गौरा देवी जी को और उनकी टीम की सभी मात्र शक्ति को,मैं प्रणाम करता हूँ विश्व विख्यात पर्यावरणविद आदरणीय चण्डी प्रसाद भट्ट जी को,आदरणीय सुन्दर लाल बहुगुणा जी को,आदरणीय जगत सिंह चौधरी जंगली जी को,आदरणीय कल्याण सिंह रावत मैती जी को,त्रिलोक चन्द्र सोनी जी आदि लोगों सहित ये कुछ उन महान लोगों के नाम नाम है जो आजीवन वनों और पर्यावरण के प्रति असाधारण काम करके लोगों को सचेत कर रहे हैं, और पूरे विश्व को वनों के संरक्षण का संदेश देकर एक अलख जगाए हुए है।मुझे बेहद खुशी और गर्व है कि वनों की सुरक्षा में तैनात रहने वाले वन विभाग उत्तराखण्ड में हमारे गाँव के ज्योति प्रसाद पैन्यूली दो भाई फोरेस्टर अंग्रेजों के समय रहे फिर उनका लड़का रमेश प्रसाद रेन्जाधिकारी रहा अब मेरे चाचा अनिल कुमार पैन्यूली जी भी है जो वर्तमान में चेला रेंज अधिकारी पद पर कार्यरत है,साथ ही मुझे बेहद खुशी है कि मैं उस उत्तराखण्ड का निवासी हूँ जहाँ प्रकृति का आशीर्वाद हमे खूब मिला है जहाँ का लगभग 66 प्रतिशत भूभाग वनों से आच्छादित है,जहाँ भारतीय वन अनुसंधान केंद्र देहरादून भी स्थित है ,जहाँ से पूरे विश्व को वनों के प्रति हमेशा एक नया सन्देश जाता है,जहाँ के लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी पेड़ो पर ऐसी रचना लिखते हैं कि लोग पेड़ो और पर्यावरण के प्रति सचेत होते हैं, जहाँ पेड़ो को पुत्रों की संज्ञा मिलती है,पुनः विश्व वन दिवस पर सभी को बहुत बहुत बधाई,आइये वनों को संरक्षित करने का संकल्प लें, वनों को आग से बचायें,साल में एक पेड़ जरूर लगाएं और प्रकृति के सुंदर सुवाहने मौसम का आनंद उठाएं,याद रखें वन हमारी अमूल्य धरोहर है।साथ ही आज विश्व कविता दिवस,विश्व रंगभेद उन्मूलन दिवस ,विश्व कठपुतली दिवस भी है,सम्पूर्ण विश्व समुदाय को उपरोक्त सभी दिवसों की हार्दिक बधाई,हमारे देश में इस वर्ष आज होली का त्यौहार भी है,सभी देशवासियों को होली की हार्दिक बधाई,कैसा संयोग है कि आज होली के साथ विश्व रंगभेद उन्मूलन दिवस भी है ,कविता दिवस और वन दिवस भी है जो हमे आपसी भाई चारे बढ़ाने ऊंच नीच मिटाने के साथ साथ पर्यावरण संरक्षण का संदेश देता है, आपके संज्ञान में लाना होलीहैं कि उत्ततराखं टिहरी गढ़वाल रियासत में लिखवार गांवँ
अपने मूल गाँव पनियाला सेे बसे उन्होंने अपनी खेतों के बीच जंगल विकसित किया यह जंगल वर्ष 1986-87 के भीषण सूखे में गावँ के पशुओं के लिए चारा पति देता रहा गावँ में सूखे के बाबजूद सामान्य जीवन लोगों ने जिया है यह सोच हमारे पूर्वजों ने 500 वर्ष पूर्व विकसित की है परंतु प्रचार प्रसार के अभाव में उनका नाम नहीं प्रयोग किया जाता है परन्तु जीवित जंगल उनके कार्यों को बयान करते हैं।तो पत्र दावे से कह सकता है कि विश्व की शोधकर्ताओं को हमारे गाँव आकर हमारे पूर्वजों के योगदान के लिए शोध कर उनके किये अपूर्व कर्यो का इतिहास में बर्णन किया जाना चाहिए।पत्र का मानना है कि वन दिवस मनाने की प्रेरणा इन्हीं मनीषियों के कार्यों को बढ़ावा देने के लिए है।
अंतराष्ट्रीय वन दिवस की हार्दिक बधाई ।
जय हिन्द, जय भारत। जय उत्तराखण्ड।