उत्तराखण्ड पशुओं के सेक्स सोर्टेड सीमन बनाने वाला पहला राज्य
- किसानों व पशुपालकों की आय बढ़ाने में महत्वपूर्ण पहल।
- ऋषिकेश में शुरू हुई प्रयोगशाला में 90 प्रतिशत बछिया उत्पन्न करने की तकनीक।
- सीमन की हर डोज पर कुल 800 रूपए की सब्सिडी।
- सचिवालय स्थित मीडिया सेंटर में सचिव, पशुपालन आर.मीनाक्षी सुंदरम ने प्रेसवार्ता में योजना के बारे में विस्तार से जानकारी दी।
देहरादून:उत्तराखण्ड अब सेक्स सोर्टेड सीमन उत्पादित करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है। ऋषिकेश में शुरू की गई प्रयोगशाला में ऐसी तकनीक प्रयोग की जा रही है जिससे 90 प्रतिशत बछिया उत्पन्न होने की सम्भावना रहेगी। तकनीक की सहायता से किसानों व पशुपालकों की आय को बढ़ाने में यह एक बड़ी पहल होगी। शनिवार को मीडिया सेंटर, सचिवालय में आयोजित प्रेस वार्ता में विस्तार से जानकारी देते हुए सचिव पशुपालन आर मीनाक्षी सुंदरम ने बताया कि कुल 47 करोड़ 50 लाख लागत की इस योजना में 90 प्रतिशत केंद्रांश है जबकि 10 प्रतिशत राज्यांश है। इसमें पशुपालक को प्रति डोज केंद्र व राज्य सरकार से 400-400 रूपए की सब्सिडी मिलेगी।
सचिव मीनाक्षी सुंदरम ने बताया कि सामान्यतः मादा बछिया होने की 50 प्रतिशत सम्भावना होती है। परंतु प्रयोगशाला में प्रयोग की जा रही तकनीक युक्त सेक्स सोर्टेड सीमन से मादा बछिया होने की 90 प्रतिशत सम्भावना है। केंद्र व राज्य सरकार द्वारा अनुदान देने से पशुपालक को सेक्स सोर्टेड सीमन की एक डोज लगभग 300 रूपए में प्राप्त हो जाएगी जबकि इसकी बाजार दर लगभग 1200 रूपए है।
भारत सरकार के राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत ऋषिकेश के पास श्यामपुर में शुरू की गई सेक्स सोर्टेड सीमन प्रयोगशाला के लिए 18 राज्यों को चुना गया था। इसमें से तीन राज्य समय सीमा में इसका प्रस्ताव दे पाए। इनमें से उत्तराखण्ड के प्रस्ताव को उचित मानते हुए मंजूरी दी गई। इस प्रकार उत्तराखण्ड देश का पहला राज्य है जहां इस प्रकार की तकनीक प्रयोग की जा रही है। इसके लिए अमरीका की फर्म इगुरान सोर्टिंग टेक्नालाजी एल.एल.पी. से अनुबन्ध किया गया है। उत्तराखण्ड लाइव स्टाक डेवलपमेंट बोर्ड द्वारा इसे संचालित किया जा रहा है। इस सीमन को बेचने के लिए दूसरे राज्यों से भी बात चल रही है। ऐसा होने से राज्य की आय में इजाफा होगा। जिसका फायदा अंततोगत्वा यहां के किसानों व पशुपालकों को मिलेगा।
सचिव सुंदरम ने बताया कि पशुपालन में और भी अनेक महत्वपूर्ण पहल की गई हैं। जो कि किसानों व पशुपालकों की आय को बढ़ाने में गेमचेंजर साबित होंगी। कालसी में 15 करोड़ की लागत से भ्रूण प्रत्यारोपण का सेन्टर आफ एक्सीलेन्स स्थापित किया गया है। यहां देश के पशु चिकित्साविदों और वैज्ञानिकों को भुू्रण प्रत्यारोपण तकनीक का गहन प्रशिक्षण दिया जाएगा, जिससे उच्च नस्ल के पशुओं में वृद्धि की जाएगी। इससे प्रदेश व राष्ट्र के दुग्ध उत्पादन में वृद्धि होगी। पशुलोक ऋषिकेश में 10.33 करोड़ रूपए की लागत से क्रॉस ब्रीड हीफर रियरिंग फार्म की स्थापना की जाएगी। इससे उत्तराखंड के पशुपालकों को उन्नत नस्ल की बछियां तैयार कर उपलब्ध कराई जाएंगी।
सचिव सुंदरम ने बताया कि राज्य में वर्तमान में अच्छी किस्म की ऊन का उत्पादन नहीं हो रहा है। भेड़ों के नस्ल सुधार के लिए केंद्र को प्रस्ताव भेजा गया था। इस प्रस्ताव को स्वीकृत कर लिया गया है। इससे एक-दो माह में राज्य में आस्ट्रेलिया से मेरीनो नस्ल की भेड़ आयात की जाएंगी। कुल 240 भेडों में 200 मादा व 40 नर होंगे। दो जेनरेशन तक इनकी ब्रीडिंग केंद्र पर ही कराई जाएगी। जब इनकी संख्या लगभग 350 तक हो जाएगी तो इन्हें किसानों व पशुपालकों के समूह को उपलब्ध करवाया जाएगा। वर्तमान में लुधियाना में भी आस्ट्रेलिया से ऊन का आयात किया जाता है। अगर हम इसका 15 प्रतिशत भी कर सकें तो पशुपालकों की आय में काफी इजाफा होगा।
इसी प्रकार राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम ने राज्य के कृषि सेक्टर के लिए 3300 करोड़ का पैकेज दिया है। इस पैकेज में पशुपालन सेक्टर को भी बढ़ावा दिया जाना है। भेड़-बकरी पालकों के लिए अलग से त्रि-स्तरीय सहकारी ढांचा गठित किया गया है। इसमें लगभग 10 हजार भेड़ व बकरी पालकों को संगठित किया गया है। प्रदेश में मीट उत्पादन को आधुनिक ढंग से विकसित किया जाएगा। इसमें मीट की क्वालिटी पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। इससे उत्पादकों के साथ उपभोक्ताओं को भी फायदा होगा।