मोरी ब्लाक में स्वास्थ्य सेवाएं खुद पडी बीमार
मोरी / उत्तरकाशी-दूर के ढोल सुहावने लगते हैं जी हाँ यह कहावत पीएचसी मोरी पर सटीक बैठ रही है ।जिलाधिकारी द्वारा गोद लेने पर भी नहीं बदलते प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मोरी की हालत सिवाय रंग रोगन के ।
जनपद उत्तरकाशी के विकास खण्ड मोरी के 92 राजस्व गांव में निवास करने वाली 36 हजार की जनसंख्या की स्वास्थ्य का जिम्मा सम्भाले स्वास्थ्य केंद्र व्यवस्थाओं और डाक्टरों के अभाव में खुद अस्वस्थता के दौर से गुजर रहा है । अस्पताल को जिला अधिकारी द्वारा गोद लेने से आशा एक किरण जरूर दिखी लेकिन सिवाय रंग रोगन लगाने के कोई परिवर्तन नहीं हुआ ।अस्पताल में आलम यह है कि महिला डाक्टर तो छोडिए स्टाफ नर्स तक नहीं है ।जब कि यहां 60से80तक तक ओपीडी रहती है।अस्पताल में एक्सरे तो छोडिए खून जांच करने तक की सुविधा नहीं है ।क्षेत्र में सीमांत गांव में आधा दर्जन से अधिक एएनएम सेंटर में एएनएम न होने से ताले लटके है जिससे टीकाकरण,गर्भवती महिलाओं की स्वास्थ्य जांच जैसी जरूरी सेवाएं प्रभावित हो रही है ।हालांकि अस्पताल प्रशासन का दावा है कि जहां एएनएम सेंटर में स्टाफ नहीं है वहां व्यवस्था पर स्टाफ भेजकर टीकाकरण जैसी जरूरी सेवाएं चलाई जा रही है । बहरहाल क्षेत्र की जनता के लिए पीएचसी सफेद हाथी बन कर रह गया है।क्षेत्रीय जनता को मामूली सी जांच और दवाओं के लिए पुरोला उत्तरकाशी विकास नगर तथा देहरादून के चक्कर लगाने पड रहे हैं । जिलाधिकारी द्वारा अस्पताल को गोद लेने से एक बार आशा जरूर जगी थी लेकिन कोई लाभ होता नहीं दिख रहा है। हालांकि जो स्टाफ तैनात है यथा सुविधा मरीजों की सेवा में लगे रहते हैं लेकिन सुविधाओं के अभाव में वे चाहते हुए भी कुछ नहीं कर पाते ।