देहरादून, 05 फरवरी 2019, जिला स्तरीय वनाग्नि प्रबन्धन समिति की बैठक जिलाधिकारी एस.ए मुरूगेशन की अध्यक्षता में कलैक्टेरट सभागार में सम्पन्न हुई।
बैठक में जिलाधिकारी ने वन विभाग समेत अन्य सम्बन्धित विभागों के अधिकारियों को निर्देशित किया कि वे वनाग्निकाल में आपसी समन्वय बनाकर कार्य करें। उन्होंने कहा कि वनो की अग्नि से सुरक्षा के लिए व्यापक तैयारियां अभी से शुरू कर ली जायं। उन्होंने कहा कि वनाग्नि की अधिकतर घटनाएं मानव जनित हैं, जिनको रोकने के लिए वन पंचायतों, महिला मंगल दलों को सक्रिय भूमिका निभानी होगी, ताकि वनाग्नि से होने वाली दुर्घटनाओं से पर्यावरणी वित्तीय क्षति को कम किया जा सके। उन्होंने कहा कि वनाग्नि की दुर्घटनाओं के लिए समयान्तर्गत ग्राम समितियों का भी गठन कर लिया जाय। उन्होंने वनाग्नि सप्ताह के दौरान स्कूल कालेजों के बच्चों के माध्यम से भी गांव-गांव में जन जागरण अभियान चलाये जाने को कहा। उन्होंने कहा कि वनाग्नि से जहां वन औषधि सम्पदा नष्ट होती है वहीं इससे वन्यजीवों के प्राण भी संकट में पड़ते हैं। इसके लिए व्यापक स्तर पर अग्नि सुरक्षा योजना से लोगों को जनजागरूक किया जाना भी नितान्त आवश्यक है। उन्होंने बताया कि जंगलों में आग लगने से वन्य जीव-जन्तु एवं अनेक सुक्ष्म जीव जलकर समाप्त हो जाते हैं, जिससे पर्यावरण पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। जिला स्तरीय वनाग्नि प्रबन्धन समिति की बैठक में जानकारी देते हुए प्रभागीय वनाधिकारी राजीव धीमान एवं उप निदेशक राजाजी टाइगर रिजर्व हिमांशु बगारी ने संयुक्त रूप से अवगत कराया कि वनाग्नि 15 फरवरी से लेकर 15 जून तक होती है उसको कम करने के लिए वन विभाग को ग्रामीणों के साथ ही अन्य विभागीय अधिकारियों के सहयोग की आवश्यकता रहती है। उन्होंने बताया कि मुख्य सड़कों के किनारे के बफर जोन एवं अग्नि पट्टियों को साफ रखना आवश्यक है तथा वनों के समीप रहने वाले निवासियों को अग्नि दुर्घटना के कुप्रभावों की जानकारी देकर आग की समस्या के प्रति चेतना जागृत करना जरूरी है। उन्होंने बताया कि ग्रामवासी अच्छी घास पैदा हो इसके लिए जंगलों में आग लगाते हैं, जो भ्रम की स्थिति है। उन्होंने बताया कि फसल कटने के बाद खेतों में असावधानी पूर्वक घास/पत्ते(आड़ा) जलाने से, राहगीरों एवं चरवाहों द्वारा सुलगती सिगरेट, बीड़ी एवं दिया सलाई की तिल्ली फैंकने से, कैम्पिंग स्थलों में खाना बनाने एवं कैम्प फायर आयोजन करने से, सार्वजनिक सड़कों पर डावर डालते समय बरती गयी असावधानियों से, वन क्षेत्रों से गुजरती विद्युत लाईनों में सार्ट-सर्किट होने से तथा अधिक तापमान, कम नमी, वायु वेग व लगातार शुष्कता बनने में वनों में आग तेजी से फैलती है। उन्होंने बताया कि वन अग्नि दुर्घटना के कई दुष्परिणाम भी सामने आते है। उन्होंने बताया कि वनाग्नि दुर्घटना के नियंत्रण के लिए जनपद के विभिन्न स्थानों पर अग्नि सुरक्षा समिति का गठन कर लिया गया है तथा जनपद में 116 कू्र स्टेशनों की भी स्थापना के साथ ही फायर वाचरों की तैनाती भी कर ली गयी है। उन्होंने बताया कि अग्निकाल में वनाग्नि नियंत्रण हेतु मोबाइल कू्र द्वारा नियंत्रण किया जाता है। इसके अलावा कू्र स्टेशनों से अग्नि नियंत्रक स्टाफ की तैनाती, काउन्टर फायर लाइनों का कटान, अग्निशमन पुलिस राजस्व एवं अन्य विभागों के साथ ही जनसहयोग की भी आवश्यकता जताई। उन्होंने बताया कि वनाग्नि को रोकने के लिए जिलाधिकारी की अध्यक्षता में जिला स्तरीय समिति, ब्लाक प्रमुख की अध्यक्षता में विकासखण्ड स्तरीय समिति, ग्राम प्रधान की अध्यक्षता में ग्राम पंचायत स्तरीय समिति तथा वन पंचायत सरपंच की अध्यक्षता में पंचायती वनों हेतु वनाग्नि सुरक्षा समिति का गठन किया गया है। जानकारी देते हुए अवगत कराया गया कि वनाग्नि की घटनाओं को रोकने के लिए अग्नि नियंत्रण कक्ष की स्थापना, अग्निकाल की घोषणा, अपील का प्रकाशन तथा जिला विकासखण्ड, ग्राम स्तरीय व वन पंचायत स्तरीय वनाग्नि सुरक्षा समितियों की बैठक का आयोजन कर लिया गया है तथा 15 फरवरी से अग्नि सुरक्षा सप्ताह भी चलाया जायेगा। बैठक में जानकारी देते हुए बताया गया कि जनपद देहरादून के अन्तर्गत वन प्रभाग देहरादून के लिए 33, कालसी वन प्रभाग के लिए 25, चकराता वन प्रभाग के लिए 27, मसूरी वन प्रभाग के लिए 19 तथा राजाजी टाइगर रिजर्व के लिए 12 क्रू स्टेशन बनाये गये हैं। इसी प्रकार वन प्रभाग देहरादून के लिए 9 वायरलेस सेट, 2 मोबाइल सेट, 14 हैण्डसेट, कालसी वन प्रभाग के लिए 20 वायरलेस सेट, 4 मोबाइल सैट तथा 25 हैण्डसेट, चकराता वन प्रभाग के लिए 9 वायरलेस सैट, 5 मोबाइल सैट तथा 47 हैण्डसैट, मसूरी वन प्रभाग के लिए 16 वायरलेस सैट, 4 मोबाइल सैट तथा 38 हैण्डसैट के अलावा राजाजी टाइगर के लिए 28 वायरलेस सैट, 63 मोबाइल सैट तथा 105 हैण्डसैट लगाये गये हैं। उन्होंने अधिशासी अभियन्ता लोक निर्माण विभाग देहरादून, ऋषिकेश, मसूरी, कालसी, चकराता से अग्निकाल के दौरान यथासम्भव डामरीकरण कार्य न किये जाने की अपेक्षा की है साथ ही अग्निशमन अधिकारी को अग्निकाल के दौरान आबादी के निकट क्षेत्र में वनाग्नि की दुर्घटना होने पर वन विभाग को आपसी सहयोग प्रदान करने की अपील की। इसी क्रम में जिला आपदा प्रबन्धन अधिकारी से अपेक्षा की है कि वे वनाग्नि दुर्घटना की सूचना प्राप्त होने पर तत्काल प्रभागीय कार्यालय में स्थित मास्टर कन्ट्रोलरूम को तत्काल सूचना उपलब्ध कराये जाने का भी अनुरोध किया। उन्होंने समस्त विभागीय अधिकारियों से अपेक्षा की है कि वे वनाग्नि के समय वन विभाग को अपना अपेक्षित सहयोग प्रदान करें। उन्होंने निवेदन किया कि पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु तथा आकाश प्रकृति केे मूल तत्व एवं हमारी सृष्टि के आधार हैं हम इन्हे बना नही सकते केवल बचा सकते है। वनों एवं वन्यजीवों की सुरक्षा से इनकी सर्वाधिक सुरक्षा होती है इसके लिए वनाग्नि तथा वनों का क्षति पंहुचाने वाले अन्य कारकों, शरारती तत्वों पर नियंत्रण करने के लिए वन विभाग को आवश्यक सहयोग करें।
जिला अग्नि प्रबन्धन समिति की इस बैठक में लोक निर्माण विभाग, जिला उद्यान अधिकारी, मुख्य अग्निशमन अधिकारी समेत विभिन्न विभागों के जिला स्तरीय अधिकारी उपस्थित थे।