फेडरेशन द्वारा बजट पूर्व मांगो में एकल बिंदु जीएसटी हेतु कम्पोस्टिव स्कीम को सीमा रहित एवं जीएसटी पंजीकृत फर्मो आयकर 20 % एवं मालिकों को 5 लाख तक की छूट की मांग
राष्ट्र के सभी व्यापार मंडलो का राष्ट्रीय परिसंघ , फेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया व्यापार मंडल द्वारा श्री पीयूष गोयल जी ,केंद्रीय रेल मंत्री एवं अतिरिक्त प्रभार वित्त मंत्रालय को बजट हेतु व्यापारी कल्याण हेतु सुझाव भेजे गए है और श्री पीयूष गोयल जी से आशा व्यक्त की है कि एक चार्टर्ड अकाउंटेंट होने के नाते ,वर्तमान अर्थव्यस्था की सुस्ती से वह भली भांति परिचित होंगे और उनके नेतृत्व में आगामी 2019 का अंतरिम बजट सुखद और आशाओ के परिपूर्ण होगा ।
फेडरेशन द्वारा अपने सुझाव पत्र में कहा गया है कि भारत का व्यापारी वर्ग नोट बंदी एवं जीएसटी के उपरांत एक दयनीय अवस्था से गुजर रहा है और बढ़ते हुए ऑनलाइन व्यापार ने तो खुदरा देशी व्यापार के अस्तित्व पर ही प्रश्न चिन्ह लगा दिया हो । यधपि सरकार द्वारा पिछले कुछ समय में देशी व्यापारियों को जीएसटी में कुछ रहत दी गयी है और विदेशी कारोबारियों पर भी कुछ नियम कड़े किया गए है । राष्ट्र का खुदरा व्यापारी आगामी बजट में कुछ राहत की अपेक्षा करता है ।
जीएसटी के अंतर्गत सुझाव देते हुआ मांग की है कि जीएसटी के अंतर्गत सभी खुदरा एवं थोक दुकानदारों को कम्पोजीशन स्कीम के अंतर्गत लाना चाहिए और रूपए 1.50 करोड़ की लिमिट को समाप्त करना चाहिए । इस प्रकार एकल बिंदु जीएसटी स्वतः ही लागु हो जायेगा ।
आयकर के अंतर्गत सुझावों में मांग की गयी है कि जीएसटी के अंतर्गत पंजीकृत साझेदार फर्म या LLP पर आयकर की दर 20 प्रतिशत होनी चाहिए जो वर्तमान में 30 प्रतिशत है और कंपनी करदाता पर यह दर 25 प्रतिशत है और जो व्यापारी जीएसटी के अंतर्गत पंजीकृत के स्वामी है ,या पार्टनर है या निदेशक है उनपर व्यक्तिगत आयकर की छूट की सीमा 5 लाख होनी चाहिए । आयकर प्रावधानों के अंतर्गत संशोधन लाना चाहिए जिसके अंतर्गत छोटे खुदरा एवं थोक व्यापारियों,जिनकी वार्षिक बिक्री 10 करोड़ तक है को स्त्रोत पर कर कटौती ( टीडीएस) से मुक्त किया जाए । आयकर एवं जीएसटी अधिकारी सिर्फ उन्ही फर्मो में जांच के लिए जाए जिन फर्मो की वार्षिक बिक्री 10 करोड़ या अधिक है । आयकर पर से शिक्षा एवं उच्च शिक्षा सेस पूर्णतः समाप्त करना चाहिए
डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने हेतु सुझाव के अंतर्गत मांग की गयी है कि डेबिट कार्ड / क्रेडिट कार्ड वाली कंपनियों द्वारा व्यापारियों से जो भुगतान देने में जो ट्रांसक्शन चार्जेज के नाम से कटौती की जाती है उसे सरकार वहन करे जिससे प्रत्येक व्यापारी डिजिटल माध्यम से भुगतान प्राप्त करने में संकोच न करे ।
व्यापारी कल्याण हेतु सुझाव देते हुऐ मांग की गयी है कि देश के खुदरा व्यापारियों हेतु एक अलग मंत्रालय ” देशी व्यापार मंत्रालय ” की स्थापना की जानी चाहिए ताकि देशी कारोबारियों के विकास एवं हितो से सम्बंधित सभी मामलो की तीव्र गति से निपटारा हो सके और प्रत्येक कारोबारी सेगमेंट / खंड के लिए एक व्यापार संवर्धन बोर्ड की स्थापना होनी चाहिए जिसमे व्यापारी प्रतिनिधियों को समुचित प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए । व्यापारी कल्याण हेतु पुनः मांग की गयी है की भारत सरकार की आयुष्मान योजना की तरह व्यापारियों के लिए एक विशेष चिकित्सा एवं वृद्ध अवस्था बीमा योजना लागु करनी चाहिए ।
ऑनलाइन कारोबार को नियंत्रित करने हेतु सुझाव दिया गया है कि ऑनलाइन व्यापार पर लगाम लगाने हेतु सरकार को कानून लाना चाहिए औरऑनलाइन बिक्री पर 5% की दर से विशेष कर लगाना चाहिए जिससे छोटे दुकानदारों का अस्तित्व बना रहे ।
राष्ट्र के अंतर्गत सुस्त पडी व्यापारिक गतिविधियों को बढ़ाने हेतु सुझाव दिया गया है कि जीएसटी के अंतर्गत पंजीकृत लघु कारोबारियों को बैंक ऋण के ब्याज में विशेष छूट मिलनी चाहिए ताकि कारोबारी अपना कारोबार बढ़ा सके और युवाओ को ज्यादा से ज्यादा रोज़गार दे सके । फेडरेशन द्वारा न्यूनतम मजदूरी के विषय में मांग की गयी है राजनीतिक कारणों से विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा विवेकरहित तरीके से न्यूनतम मजदूरी में बढ़ोतरी की जा रही है , जिसे वहन करना लगभग असंभव सा हो रहा है और न्यूनतम मजदूरी के कारण रोजगार देने के स्थान पर रोजगार समाप्त हो रहा है । आठ केंद्र सरकार द्वारा न्यूनतम मजदूरी के विषय में व्यापारी संगठनों के विचार विमर्श कर एक तर्कयुक्त न्यूनतम मजदूरी तय की जानी चाहिए ।
राजेश्वर पैन्यूली
राष्ट्रीय प्रवक्ता