नसीरुद्दीन शाह ?
नसीरुद्दीन शाह, मुंबई में ही रहते हो भुला लेकिन क्या कभी तुमने ये सोचा सुना और जाना है कि ,आजादी के 70 बाद भी, ऐसा ही डर मुंबई के कई लोगों को आज भी भिंडी बजार, नागपाड़ा , ग्रांट रोड ,मालवाणी और बांद्रा में जाते हुए लगता है ,बस एक अफवाह फैलने की देर है ?
मुंबई में हालाँकि बम भी फट चुके हैं और आतंकी हमले भी हो चुके हैं ,फिर भी किसी ने ऐसा बयान नहीं दिया ,जानते सब हैं ,पुलिस हो या प्रशासन ? बल्कि लोग ये कहते फिरते हैं ” आई लव मुंबई ” ? और भारत की आर्थिक राजधानी होने के कारण सब करमजलों की निगाहें मुंबई पर ही टिकी रहती हैं ?
और जानते हो कि ,इस शहर की एक बड़ी खासियत है कि, यहाँ के लोगों में मुसीबत और दुख -संकट की घड़ी में एक दूसरे की मदद करने का जोश ,जज्बा और जुनून है . अगर नफरत की चिंगारी न फैलाई जाए तो हर बरसात में होनेवाले जलभराव के कारण उत्पन्न बाढ़ की स्थिति अनेकों बार हिंदू ,मुस्लिम ,सिख ,इसाईयों ने एक दूसरे की सहायता भी की है और अपनी दरियादिली भी दिखाई है ? उस वक्त वो किसी से ये नहीं पूछते कि, तुम्हारा मजहब क्या है ?
और सीरिया ,लेबनान ,इराक ,अफगानिस्तान, तुर्की आदि में बम -विस्फोट करने और मारने -काटने से पहले कौन किसी का मजहब पूछता है या होगा वहां तो मुस्लिमों में आपस में ही डर और खौफ है और ये खौफ कहाँ नहीं पहुंचा अमेरिका के ट्विन -टावर से लेकर ,लंदन की भूमिगत रेल और फ़्रांस तक ? कोई हिंदुस्तान छोड़कर जाएगा तो कहाँ तक जाएगा ?
भारतीय सेना शायद विश्व की अकेली सेना है जो सब्सिडी प्राप्त पत्थरबाजों के खौफ का शिकार है ,उनके बच्चों को चिकित्सा और शिक्षा की सहायता देती है बूढों और औरतों को बाढ़ से बचाती है और बदले में पत्थर खाती है ? और कश्मीरी पंडितों के मन में घर कर गए खौफ के बारे में भी क्या कभी सोचा है तुमने ?
ऐसा ही खौफ टीपू सुल्तान के ज़माने में मोपलाओं ने भी झेला ? कितने हिंदुओं को 800 साल के मुगलिया शासन के दौरान मार -पकड़कर मुसलमान बनाया गया वो तो भगवान ही जाने पर इस सत्य ने हिंदू समाज में एक मुहावरे या कहावत की शक्ल ही अख्तियार करली है ?
ऐसा नहीं कि यह नफरत और खौफ कम नहीं किया जा सकता पर फिर सियासत कहाँ से होगी ,मजहब के नाम पर रोटियां कैसे सेकी जाएंगी ? इतिहास की भूलों से कौन वाकिफ नहीं है ?
और खाड़ी देशों की असलियत और हकीकत ये है कि ,आज अमेरिका ,ब्रिटेन और फ़्रांस वहां से अपनी फ़ौज हटालें तो शेखों की सत्ता, बंदूक और तोप छोड़ो ,हॉकी लेकर ही पलट देंगे लोग ?
अब्दुल कलाम के बारे में शायद तुम्हारे उतने लोगों को पता भी न हो ,जितने हमारे लोग उनकी विद्वता ,सादगी और देशभक्ति के आगे सर झुकाते हैं ,वीर अब्दुल हमीद से लेकर रसखान तक हिंदु लोगों के आदर और श्रद्धा के पात्र रहे हैं पर समझेगा कौन तो फिर सब जीते रहो शक और डर के माहौल में ?
गरीब के लिए निवाले से पहले हम राष्ट्र की सुरक्षा के नाम पर हम युद्धक विमान और विमान वाहक पोत खरीदते रहेंगे ,हमारे प्रतिस्पर्धी भी खरीदेंगे और हम उनसे और जादा और उन्नत तकनीक वाले खरीदेंगे और रूस -अमेरिका माल कमाते रहेंगे ,हथियारों की सौदागर कंपनियां ,दलाल और राजनीतिज्ञ कमीशन लेते रहेंगे और किसान आत्महत्या करते रहेंगे ,गरीब भूख से बिलबिलाते रहेंगे ?
आलू -प्याज उचित मूल्य न मिलने के कारण सड़क पर फेंक दिए जाते हैं और बंदूक और तोपों के भाव बढ़ जाते हैं ? सब धर्मों के प्रमुख मिलकर बैठें और कुछ जिद और जबरन हक़ छोड़कर व अतीत की भूलों को ठीक करके न्याय कर दिया जाय तो ये धरती जो दोजख की आग में जल रही है ,यहीं जन्नत बन जाए कई लोग असमय जन्नतनशीन होने से भी बच जाएँ ?
अमन का पुल बनाकर ही खौफ का दरिया पार किया जा सकता है ——