कैसी विडम्बना है उत्तराखंड में जिन छात्रों ने 2014 के लोकसभा चुनाव में अपने भविष्य के लिये मोदी सरकार को लाने के लिये मोदी मोदी बोला और उन्हें सता मिली और जन हित के वायदे झूठे साबित होने पर निराश हजारों कि छात्र छात्राओं ने सड़क पर अपना भूखे पेट बेरोजगारी का दर्द बयां करने वही आज देहरादून उत्तराखंड सरकार के शीत कालीन बजट सत्र में रोजगार पाने के लिये नारे लगाते विधानसभा कूच करते हुए अपनी बात रखी ।
छत्रों का आक्रोश
त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार की तमाम गलत नीतियों के चलते आज उत्तराखंड के बेरोजगार सड़को पर आने को विवश है।।। लूट खसोट के इस 18 सालो में हुक्मरानों ने पहाड़ो के पारंपरिक स्वरोजगार को भी युवाओं के रोजगार का एक साधन न बना पाना चिन्ता का विषय है… इनके कुशाशनो का ही परिणाम है कि आज देव भूमि में चाहे किसान हो या कर्मचारी, छात्र हो या मातृ शक्ति, उत्तराखंड आंदोलनकारि हो या युवा सभी अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहे है।
बाबा केदार की इस धरती पर व्यवस्था तंत्र का ये अत्याचार परिवर्तन की नींव रखेगा, अंत में संघर्ष ही हमारा एकमात्र रास्ता है।
सचिन थपलियाल
पूर्व महासचिव छात्रसंघ
डी.ए.वी. महाविद्यालय, दे.दून