भारत के किसानों की हित को ध्यान रखते हुए उनके के लिए पहाड़ों की गूंज हिंदी राष्ट्रीय साप्ताहिक पत्र ने वर्ष उनकी समस्याओं को समय समय पर प्रकाशित किया
किसानों की मूल समस्या उनको फसल के नुक्सान की प्रतिपूर्ति/छति पूर्ति देने का है ।पत्र ने सुखा, बाढ़,ओला बृष्टि के नुकसान को 50000₹/हेक्टेयर देने के लिए सुझाव दिया।जिसमें भारत मे दिल्ली श्री केजरीवाल सरकार ने लागू कर अपने राज्य के किसानों को 2015 से देना सुरु किया। उत्तराखंड में अल्प संसाधनों से हरीश रावत सरकार ने भी किसानों को 1500 प्रति परिवार देने का काम किया।
प्रशन यह है कि महाराष्ट्र के जागरूक किसान जिसे राष्ट्रीय पुरस्कार दिया गया है।उन्होंने अपनी फसल 5महीने में तैयार कर प्याज पैदा किया उस प्याज को बेचकर कर 1₹40पैसा किलो की दरसे प्राप्त धन राशि में मनीऑर्डर का रुपये घर से लगा कर भारत के प्रधानमंत्री को भेज कर लोकतंत्र में किसानों की अनदेखी का विरोध दर्ज किया यह सोचने की बात है।
यदि किसानों को फसल की सही कीमत बाजार में नहीं मिल पा रही है तो सरकार को बाजार भाव के आधा कीमत किसानों को देने की व्यवस्था करनी चाहिए। अभी प्याज या अन्य फसलों का मंडी भाव जो है सप्ताह के तीन दिन के भाव जोड़कर उसमें तीन का भाग देकर उस भाव का आधा कीमत फसल की किसानों को देने की व्यवस्था की जानी चाहिए।यह कार्य केन्द्र सरकार को करना चाहिए। ताकि किसान बैंक के व्याज, क़िस्त ,फसल का बीज की कीमतें के लियेआस्वस्थ हो जाय। वह अपने बच्चों की रेख देख भी करने में समर्थ बान बने।आज देश का 3लाख 88 हजार करोड़ रुपए बड़े उधोग पतियों का माफ् कर देश के प्रत्येक नागरिक का 8,80000आठ लाख अस्सी हजार रुपए का हिस्सा देदिया ।यदि इतने रुपये का बैंक व्याज भी देते तो प्रत्येक नागरिक को 8000 रुपये व्याज से प्रत्येक नागरिक का घर ठीक से चलता पर वोटरों की चिंता किसी को नहीं है । लोकसभा में बैठकर सस्ता भोजन पाने वाले वी आई पी देश के किसानों की चिंता कर अवश्य ध्यान दें।आज दिल्ली आकर कर्ज के बोझ से दवे किसान ने रैली में आत्महत्या करदिया यह चिंता का विषय है। जनता के धन से नेताओं को सुभिदा मिल रही है ।उनको जनता के लिए सोचने के लिये मनुष्य होकर मनन करने के लिए समय निकाल ने की आवश्यकता है। इस समाचार के माध्यम से सरकार को जगाने के लिए 5 आदमी को शेयर करें।ताकि आपके द्वारा भेजे गये सन्देश देश के लिए बारदान साबित हो