रविवार 11 नवम्बर यानि प्रथम विश्व युद्ध की समाप्ति की शताब्दी तारीख यानि 100वर्ष पूर्ण हो चुके हैं प्रथम विश्व युद्ध को,28जुलाई 1914 से 11नवम्बर 1918 तक चला पहला महायुद्ध ,यूँ तो भारत उस वक्त अंग्रेजों के अधीन था,भारत में स्वतन्त्रता की चिंगारी भड़की ही हुई थी,लेकिन जैसे ही प्रथम विश्व युद्ध शुरू हुआ तो भारत के नेताओ ने ये सोचकर अंग्रेजों को अपने जवानों को लड़ने के लिए दे दिया कि शायद अंग्रेज युद्ध समाप्ति के बाद हमारे देश को स्वतन्त्र कर देंगे,हालाँकि अंग्रेजों ने युद्ध समाप्ति के बाद देश को आजाद नही किया लेकिन भारतीय सेना के जाबांजो ने विश्व भर में अपने अदम्य साहस और वीरता का परिचय जरूर दिया,इस युद्ध में भारतीय सिपाही सम्पूर्ण विश्व में अलग-अलग लड़ाइयों में लड़े। भारत ने युद्ध में जनशक्ति और सामग्री दोनों रूप से भरपूर योगदान किया। भारत के सिपाही फ्रांस और बेल्जियम , एडीन, अरब, पूर्वी अफ्रीका, गाली पोली, मिस्र, मेसोपेाटामिया, फिलिस्तीन, पर्सिया और सालोनिका में ही नही बल्कि पूरे विश्व में विभिन्न लड़ाई के मैदानों में बड़े पराक्रम के साथ लड़े। हमारे गढ़वाल राईफल्स रेजिमेण्ट के दो सिपाहियों नायक दरबान सिंह नेगी और राइफल मैन गब्बर सिंह नेगी को संयुक्त राज्य का उच्चतम वीरता पदक विक्टोरिया क्रॉस भी मिला था।हमारे देश के लगभग 8 लाख सैनिकों ने इस युद्ध में भाग लिया,जिसमे 47746 वीरगति को प्राप्त हुए और 65000 सैनिक घायल हुए थे।इस युद्ध की समाप्ति के शताब्दी वर्ष पर हमे हमारे वीर सैनिकों के पराक्रम ,उनके द्वारा विकट परिस्थियों में दिखाए गए युद्ध कौशल और उनके अदम्य साहस पर गर्व करने का एक गौरवशाली क्षण देता है,हमे हमारे वीर सैनिकों ने सदैव गौरवान्वित किया है,हमारे ही बीच के उत्तराखण्ड के सुदूरवर्ती चमोली जिले के नायक दरबान सिंह नेगी जी,और टिहरी गढ़वाल के राइफलमैन गब्बर सिंह नेगी जी के अदम्य साहस के बूते दोनों ही वीरों को सर्वोत्तम वीरता पुरस्कार विक्टोरिया क्रॉस से सम्मानित किया गया जो पूरे भारत के लिए एक गौरवशाली उपलब्धि तो है ही साथ ही हमारे देश की लड़ाकू सेना( इंफेंट्री)के एक महत्वपूर्ण हिस्सा गढ़वाल राइफल्स के लिए बेहद गौरवशाली और हर्षित करने वाला क्षण था,क्योंकि क्रॉस विक्टोरिया से सम्मानित दोनों ही वीर वीसी नायक दरबान सिंह नेगी,और वीसी राइफल मैन गब्बर सिंह नेगी जी गढ़वाल राइफल्स के जाबांज जवान थे, आज भी इन दोनों वीरों की गाथाएं गढ़वाल राइफल्स के वीर सैनिको को आगे बढ़ने और अदम्य साहस के साथ शत्रुओं पर वार करने की शक्ति और साहस देती,धन्य है गढ़वाल राइफल्स ,धन्य है भारत की धरती जहाँ ऐसे वीर पुरुष जन्मे जिन्होंने अपने पराक्रम से भारतीय सेना को विश्व में सर्वोच्च सम्मान आज से 100 वर्ष पहले ही प्रथम महायुद्ध में दिला दिया था,प्रथम विश्व युद्ध के शताब्दि वर्ष पर हम देश के उन सभी वीरों को नमन करते हैं। जिन्होंने इस महायुद्ध में वीरगति प्राप्त की साथ ही उन सभी वीरों को प्रणाम करते हैं जो वीरता के साथ महायुद्ध में डटे रहे,आज वो सभी वीर भले ही हमारे बीच प्रत्यक्ष रूप से मौजूद नही है लेकिन उन वीरों के अदभुत युद्ध कौशल,उनके साहस, उनकी वीरता शूरता आज हम सभी के लिए एक प्रेरणा है,सीमा पर मौजूद जवानों के लिए उनका बलिदान एक महान आदर्श के रूप में अंकित है,उनके खून का एक एक कण हमारे देश के गौरवशाली इतिहास को बयां करता है,हमारे खून में ऐसे वीरों का अहसास है जिन्होंने अपनी मातृभूमि के नाम को सदैव ऊँचा किया,हमें गर्व है ।हम उस पावन धरा के निवासी हैं जहाँ पर वीसी नायक दरबान सिंह नेगी,वीसी राइफलमैन गब्बर सिंह नेगी ने जन्म लिया उसी देवभूमि पर मेरा भी जन्म हुआ,ऐसे महान रणबांकुरों को शत शत प्रणाम।
प्रथम महायुद्ध की समाप्ति के 100वर्ष पूरे होने 27 पूर्व पहाड़ों की गूंज परिवार राष्ट्रीय साo समाचार पत्र के सम्पादक विश्व में सुख,शांति और खुशहाली की कामना केलिये कार्य करते रहे हैं।
,आतंकवाद,उग्रवाद,नक्सलवाद का समूल नाश करने के लिए पत्र के सम्पादक जीतमणि पैन्यूली ने 2अगस्त 1991 से 22अगस्त 1991 गोमुख से दिल्ली तक सद्भावना पद यात्रा की है उसके बाद कई सद्भावना यात्रा का आयोजन कर देश को मजबूत बनाने का कार्य करते आरहे हैं । उत्तराखंड और हमारे भारत देश सहित सम्पूर्ण विश्व में खुशहाली आये और ऐसे महायुद्ध से कभी भी विश्व को न गुजरना पड़े,साथ ही इस अवसर पर महान वीर शहीद भारतीय सेना के जाबांज रणबांकुरों को नमन करते हैं।
जय हिन्द, जय हिन्द की सेना।
वीसी नायक दरबान सिंह अमर रहे।
वीसी राइफलमैन गब्बर सिंह नेगी अमर रहे।
चन्द्रशेखर पैन्यूली सदस्य पहाड़ो की गूंज परिवार