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स्वस्थ पत्रकारिता से स्वस्थ चिंतन संभव- राज्यपाल उत्तराखंड

Pahado Ki Goonj

स्वस्थ पत्रकारिता से स्वस्थ चिंतन संभव- राज्यपाल उत्तराखंड

हरिद्वार, 3 अक्टूबर, उत्तराखंड की राज्यपाल श्रीमती बेबीरानी मौर्य ने कहा कि अच्छी पत्रकारिता स्वस्थ चिंतन को बढ़ाती है। उनकी नजर में संस्कृति और विरासत को आगे बढ़ाने वाली पत्रकारिता ही अच्छी पत्रकारिता है।

वे आज यहां इंडियन फेडरेशन आफ वर्किंग जर्नलिस्ट (आईएफडब्लूजे) की 131 वीं वर्किंग कमेटी की बैठक को संबोधित कर रही थी। जिसे हरिद्वार के तुलसी मानस मंदिर के प्रांगण में आयोजित किया गया। सम्मेलन की शुरुआत उत्तराखंड की राज्यपाल श्रीमती बेबीरानी मौर्य के उद्घाटन एवं तुलसी मानस मंदिर के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अर्जुन पुरी के आर्शीवचन से हुयी।

देश भर से आए 300 से अधिक पत्रकारों से माननीया राज्यपाल ने अपील की कि वे अपने विचार विर्मश में समाज को नयी दिशा देने वाली पत्रकारिता पर जोर दें। अपने व्यक्तिगत अनुभवों के आधार पर उन्होंने कहा कि उन्हें तमाम सारी जानकारियां पत्रकारों के माध्यम से मिलती रही हैं। मेरा मानना है कि पत्रकारिता की विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए वे खबरों को लिखने या दिखाने के पहले उसकी जांच अवश्य कर लें।

आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अर्जुन पुरी ने कहा कि संत और संपादक दोनो का ही समाज को बनाने में बड़ा महत्व है। पत्रकारों को अच्छे और बुरे दोनो के बीच में रह कर काम करना पड़ता है। किंतु नारद की तरह से सत्यान्वेषियों का साथ देना चाहिए।

आईएफडब्लूजे के उपाध्यक्ष  हेमंत तिवारी ने देश भर से आए सभी पत्रकारों का स्वागत किया और संगठन के भावी कार्यक्रमों के बारे में विस्तार से बताया। महासचिव परमांनद पांडे ने वर्किंग जर्नलिस्ट एक्ट में संशोधन व मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशों को लागू कराने के लिए सरकार से आग्रह किया। मध्य भारत वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन के संयोजक अवधेश भार्गव ने कहा कि अभी तक राज्य सरकार से केवल अधिमान्यता प्राप्त पत्रकारों को ही सुविधाएं मिलती हैं जिसे समस्त पत्रकारों पर लागू किया जाना चाहिए। मध्य प्रदेश के साथी रमेंद्र पांडे ने जोर दिया कि पत्रकार सुरक्षा कानून बनाया जाए और इसे लागू कराने के लिए टास्क फोर्स गठित की जाए।

स्टेट यूनियन आफ वर्किंग जर्नलिस्ट (एसयूडब्लूजे), उत्तराखंड के अध्यक्ष शंकरदत्त शर्मा ने राज्यपाल श्रीमती मौर्य व आचार्य महामंडलेश्वर अर्जुन पुरी एव सभी पत्रकारों का स्वागत किया। एसयूडब्लूजे के वरिष्ठ पत्रकार मनोज सैनी, गुलबहार गौरी व अशोक पांडे ने राज्यपाल एवं विशिष्ट अतिथियों को प्रतीक चिन्ह भेंट किए।

इंडियन एक्सप्रेस इंपलाइज यूनियन के महामंत्री सीएस नायडू ने कहा कि पत्रकारों को अपने हकों को पाने के लिए फिर से संगठित होना होगा। उनके प्रशिक्षण और अभ्यास के लिए समय समय पर शिविर लगने चाहिए। असम वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन के महासचिव टुटूमुनि फूंकन के कहा कि यूनियन के प्रयासों से ही असम सरकार ने वरिष्ठ पत्रकारों को पेंशन देना शुरु किया है। उनकी यह पेंशन राशि पीएफ से संबद्ध मिलने वाली पेंशन के अतिरिक्त होगी। हरियाणा वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन के अध्यक्ष व आईएफडब्लूजे के सचिव रणदीप घंघस ने बताया कि यूनियन के संघर्ष के फलस्वरुप हरियाणा ने सेवानिवृत्ति पत्रकारों को देश भर में सबसे ज्यादा पेंशन दी जा रही है। वरिष्ठ पत्रकार जयंत वर्मा ने सामाजिक सरोकारों से जुड़ी पत्रकारिता के लिए लोगों को प्रेरित किया । उन्होंने स्वंय किसानों की समस्याओं व कर्ज से तबाही को उजागर करने के लिए उच्चतम न्यायालय में पीआईएल दाखिल किया जिसमें उन्हें पूरी सफलता मिली। उन्होंने यह भी बताया कि 1918 में लागू सूदखोरी कानून को उन्हीं की पीआईएल के नाते बदल दिया गया।

आईएफडब्लूजे के राष्ट्रीय सचिव के असदउल्लाह ने कहा कि चेन्नई यूनियन आफ जर्नलिस्ट समय समय पर पत्रकारों के हितों के लिए लड़ाई लड़ती रही है। कर्नाटक से आए जी वेंकटेश भोवी, सोमशेखर गांधी, पच्चा वेंकट मणि ने अपने प्रदेश की पत्रकारों की समस्याओं को सामने रखा। यूपी वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन के पश्चिमी उत्तर प्रदेश के संगठन संयोजक मुजम्मिल हुसैन ने पत्रकारिता एवं पत्रकारों की समस्याओं पर विस्तार से अपनी बात रखी और कहा कि जल्दी ही पश्चिम उत्तर प्रदेश के हर जिले व वार्ड में किया जाएगा।

कार्यक्रम का संचालन आईएफडब्लूजे के राष्ट्रीय सचिव सिद्धार्थ कलहंस ने किया।

वर्किग कमेंटी की बैठक का दूसरा चरण गुरुवार चार अक्टूबर को बद्रीनाथ में होगा जिसमें पत्रकार सुरक्षा कानून के मसौदे पर चर्चा होगी। बैठक में हिस्सा लेने आए पत्रकार हेमकुंड साहिब, फूलों की घाटी व अन्य स्थानों का दौरा कर पर्यटन की संभावनाओं पर अध्ययन करेंगे।

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