देहरादून: देहरादून के हिंदी भवन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रस्तावित उत्तराखंड यात्रा के दौरान दिए जाने वाले खुले मांगपत्र पर चर्चा का आयोजन फ्रेंड्स ऑफ़ हिमालय के नेतृत्व में अनेक जनसंगठनों ने संयुक्त रूप से किया। विदित हो कि मांगपत्र बनाने के लिए पिछले एक महीने से अनेक चर्चाओं और गोष्टियोँ का आयोजन राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में किया गया था।
इस विचार गोष्ठी में अनेक मुद्दों पर गहन चर्चा हुई तथा निम्नांकित मुद्दों पर सर्वसहमति बनी :-
• पर्यावरण रक्षा के एवज में उत्तराखंड को केंद्र सरकार की तरफ से 10000 करोड़ रुपए का ग्रीन बोनस तत्काल दिया जाय। ग्रीन बोनस को सीधे जनता तथा सम्बंधित ग्राम पंचायतों को दिया जाय।
• उत्तराखण्ड राज्य में वन अधिकार अधिनियम 2006 को यथाशीघ्र लागू करते हुए उत्तराखंड राज्य को वन प्रदेश घोषित करने के साथ राज्य के नागरिको को वनवासी का दर्जा दिया जाय।
• उत्तराखंड के निवासियों को पीढ़ी दर पीढ़ी से पर्यावरण की रक्षा की एवज में प्रति परिवार प्रति माह एक गैस सिलेंडर तथा 100 यूनिट बिजली निशुल्क उपलब्द कराई जाय।
• उत्तराखंड राज्य के निवासी बेरोजगारों को केंद्र सरकारी नौकरियो में आरक्षण का लाभ दिया जाय। स्थानीय लोगो को रोजगार उपलब्ध कराने हेतु हिमालयी क्षेत्रो में पैदा होने वाली जड़ी बूटियों के दोहन का अधिकार स्थानीय समुदाय को दिया जाय।
• वन अधिकार अधिनियम 2006 के अनुसार राज्य के हर परिवार को आवासीय भवन के निर्माण हेतु लकड़ी,पत्थर,रेत,बजरी,मीटी, निशुल्क उपलब्ध कराई जाय तथा वन प्रबंधन एवं सुरक्षा का अधिकार स्थानीय समुदाय को दिया जाय।
• उत्तराखंड के लिए जल नीति बनाई जाय तथा उत्तराखंड से निकलने वाली नदियों के जल पर सर्व प्रथम अधिकार उत्तराखंड राज्य की जनता का हो। पुराने और नए प्रस्तावित बांधो के जल और बिजली पर पहला अधिकार प्रभावित जनता, ग्रामों, जिले और फिर राज्य का अधिकार हो।
• प्रस्तावित परियोजनाओं में द्वितीय श्रेणी के कर्मचारी कम से कम 80% हो; तथा तृतीया और चतुर्थ श्रेणी में 100 फीसदी स्थानीय मूल के निवासी हों। स्थानीय मूल के निवासियों में भी प्राथमिकता प्रभावित गांव, ब्लॉक और जिले के लोगों को मिले। जो व्यक्ति सीधे नौकरी नहीं कर रहा होगा उसे रॉयल्टी दी जाय।
• पंत नगर विश्वविधालय को केंद्रीय विश्वविधालय का दर्जा दिया जाय।
• राज्य के दोनों मंडलों के पर्वतीय क्षेत्र में एक एक AIMMS की स्थापना की जाय।
• पर्वतीय क्षेत्र की जरूरतों के मद्देनजर पर्वतीय क्षेत्र में IIT की तर्ज पर विशेष तकनीकी और कृषि एवं वानिकी विश्वविद्यालय स्थापित किये जायें।
• महिलाऔ को संवैधानिक तौर पर किसान का दर्जा दिया जाय ताकि वो सरकार से मिलने वाले लाभ ले सकें।
इस परिचर्चा में तय किया गया कि उपरोक्त प्रस्तावो को उचित माध्यम से प्रधानमंत्री को दिया जाय ताकि जब वो इन्वेस्टर्स समिट में हिस्सा लेने आएं और देश विदेश के इन्वेस्टर्स से मुखातिब हों तो वो उपरोक्त मांगो की दिशा में उचित निर्णय ले सकें।
इस चर्चा में परिचर्चा में हिस्सा लेने की सहमति देने वाले प्रमुख व्यक्ति : किशोर उपाध्याय ( पूर्व मंत्री), बच्ची राम कंसवाल ( कम्युनिस्ट नेता), प्रेम बहुखंडी, डॉक्टर एस एन सचान (रिटायर्ड प्राध्यापक, DAV College), जय प्रकाश उत्तराखंडी ,ई हर्षमणि व्यास ( केंद्रीय अध्यक्ष – धाद), डॉक्टर महेश कुड़ियाल , जनरल के डी सिंह, जोत सिंह बिष्ट (पूर्व अध्यक्ष, मंडी परिषद), एस पी नौटियाल (रिटायर्ड जॉइंट कमिश्नर सेल्स टैक्स ), पूजा सुब्बा ( गोर्खाली सुधार सभा), हर्षपति उनियाल ( रिटायर्ड इंजीनियर), मनोज ध्यानी (राज्य आंदोलनकारी), संजय भट्ट ( सामाजिक कार्यकर्ता), अभिनव थापर सामाजिक कार्यकर्ता, डॉक्टर बी पी मैठाणी (पूर्व निदेशक, ग्रामीण विकास संस्थान), त्रेपन सिंह चौहान (चेतना आंदोलन), कपिल डोभाल (चकबंदी आंदोलन), रेशमी पैन्यूली (सामाजिक कार्यकर्ता), हरि प्रसाद व्यास (पूर्व कंपनी सचिव गढ़वाल मंडल विकास निगम), हेमलता नैथानी, सुचिता उनियाल, रविंद्र नेगी, गरिमा खत्री, ने हिस्सा लिया।