उत्तराखंड शासन का कारनामा ब्रिडकुल को बना रहे निकम्मा
देहरादून:उत्तराखंड शासन में उत्पल कुमार सिंह मुख्य सचिव इसके संस्थापक प्रबंध निदेशक रहे आज उनके कार्यकाल में उनके द्वारा अभिसिंचित पौधा आगे बढ़ने की आस लागये हुए है।
देहरादून:उत्तराखंड सरकार के सारे कार्य बाहर की निर्माण एजंसियों से किया जाता रहा वह एक प्रकार से दुधारू गया यहाँ के अधिकारियों एवं नेताओं के लिए बनती गई ।हालत यह हुई कि एक कार्य के 3,4बार आगणन बनाने पर भी कार्य पूरे नहीं हुये ।सरकार की वजह से दोहरी मार जनता पर पड़ी एक कार्य समय पूरा नहीं हुआ दूसरा किराए के मकान पर कार्यलय, संस्थान के चलाने से करोड़ों करोड़ किराया भरने से नुकसान पहुंचा दिया।
इन परेशानियों को लेकर मुख्यमंत्री भुवन चन्द्र खंडूरी ने वर्ष 2008 में उत्तराखंड में निर्माण एजेंसी उत्तराखंड राज्य अवस्थापना विकास निगम लिमिटेड का गठन किया ।उत्पल कुमार सिंह सचिव उत्तराखंड शासन बर्तमान में मुख्य सचिव इसके संस्थापक प्रबन्ध निदेशक12-5-2008 को बनाया गया ।इनको सुरू में काम दिया गया ।इन्होंने अच्छा कार्य किया आज निगम ने अपना
कार्यलय खड़ा कर दिया सभी अधिकारी कर्मचारियों ने बड़े मनोयोग से निगम को बढ़ाने का कार्य किया।लाखो रुपये कार्यलय के किराये की देन दारी से बचा दिया ।
उत्तराखंड के विकास में निगम का बड़ा योगदान है ।
इनके कार्य करने के तरीकों से पिछली सरकार ने उत्तराखंड में होने वाले विकास कार्यों को समय पर पूर्ण करने की इच्छा शक्ति का परिचय दिया ।उत्तराखंड की जरूरतों के अनुसार इस निगम का बड़ा रूप देकर उत्तराखंड राज्य स्थापना विकास निगम लि0 का ब्रिज रोपवे ,टनल इंफ्रास्ट्रक्चर कारपोरेशन उत्तराखंड लि0 बड़ा नाम देने में अनुभवी विदेशों में भी जिन्होंने अच्छे कार्य कराये । बर्तमान प्रबंध निदेशक ई मनोज कुमार सेमवाल की सेवा का लाभ उत्तराखंड केलिये लिया। परन्तु सरकार कम खर्चा कर ज्यादा काम समय से करने वाली निर्माण एजेंसी को कार्य न देकर बाहरी एजेंसियों को कार्य देकर उत्तराखंड के विकास में उत्तराखंड के लोगों को रोजगार से वंचित करने का कार्य कर रही है। इस प्रकार सरकार के अंग शासन में जो भी जुमेदार पद पर बैठें हैं उनके पास समय के साथ साथ बड़े निगम की सोच के अनुरूप ,निगम की कार्य छमता बढ़ाने के लिए कार्य दिलाने की भावना साधना नहीं बन पा रही है ।यह जनता के लिये चिंता का विषय होरहा है ।आने वाले समय के लिये निगम में कार्य करने वाले अधिकारियों कर्मचारियों के बेतन भते देने की समस्या है। कारण स्पस्ट है बिना कार्य किये निगम सेंटेक्स कहां से मिलने लगेगा। उनका वेतन सेंटेक्स से लिया जाता है ।यही उनकी असली पूंजी है। इसको मिलने में कार्य प्रारंभ करने के बाद 8,9 माह लग जाते हैं
लोक प्रियसरकार को समय रहते अच्छे निगम को बचाने के लिये अधिकारीयों की इच्छा शक्ति जगाने की आवश्यकता है ।
1 -यह निगम उत्तराखंड सरकार का उपक्रम है।
2- इनके कार्य कराने वाले अनुभवी अधिकारियों को उत्तराखंड की भौगोलिक स्थिति की जनकारी है।
3-निगम को कार्य मिलने से उत्तराखंड के लोगों को रोजगार मिलेगा ।
4 -सरकार का राजस्व बढ़ेगा
कैसे बचा सकते हैं।
5-नये लोगों को प्रोजेक्ट मिलने से रोजगार मिलेगा
6-बड़े कार्य देने से उत्तराखंड की बेरोजगारी दूर होगी। जिसके लिए जनता का बलिदान हुआ।
7-निगम के अच्छे कार्य करने से उत्तराखंड सरकार की अलग बनेगी पहचान ।
केंद्र सरकार,राज्य सरकार के उत्तराखंड में होने वाले कार्य को ब्रीडकुल को दिलाया जाय इसकी केंद्रीय मंत्री नितीन गड़गरी भारत सरकार से पहल की जानी चाहिए। सरकार के सलाहकारों को जनहित में जागरूक दिखाई देना होगा।
रेलवे लाइन का कार्य केंद्रीय मंत्री के माध्यम से दिलाया एवं जल विद्युत, सुरंगों, रोपवे दिया जा सकता है!
उत्तराखंड शासन में उत्पल कुमार सिंह मुख्य सचिव इसके संस्थापक प्रबंध निदेशक रहे आज उनके कार्यकाल में उनका उनके द्वारा अभिसिंचित पौधा आगे बढ़ने की आस लागये हुए है। जनता अन्य कार्य दाई एजेंसी की कार्य शैली को देखते हुए कह रही है । कि उत्तराखंड शासन का कारनामा ब्रिडकुल को बना रहा निकम्मा
एक निगम को कितना बड़ा कार्य चाहिए
1-निगम के बेतन भते के लिए कार्य चालू रहने चाहिए
2-उनको पहले कार्य प्रारम्भ करने इस बीच दूसरे काम को सुरू करने के लिये मिलना चाहिए
3-नये कार्य करने के लिये उनको कार्य का अवार्ड होना चाहिए
इन सब कामो को कराने के लिए क्रमश उत्तराखंड में4से6 महीने का समय लगता है यह कार्यक्रम समय से हो तो निगम कार्य कर सकते हैं। अन्यथा निगम का घाटा शासन बाबुओं की सोच रखने वालों की लापरवाही से सरकार को भरने के लिए तैयार रहना चाहिए।
जनता की आवाज सुनकरआज से 36साल पूर्व की विकास की सोच रखने वाले महान लोगों के प्रति आपका ध्यान दिलाना आवश्यक है
हमारे अपने पड़ोसी राज्य
हिमाचल प्रदेश के अधिकारियों को लगता है कि जनता को बाहर की संस्था ,निगम से असुभिधा हो रही है तो प्रदेश के विकास की उनकी इच्छा शक्ति को तो दाद देनी चाहिए । यह वर्ष 1982 की बात है कि पौंटा साहब के किसानों का गन्ना डोईवाला मिल मे आता था तो उनको काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था ।उनकी दिक्कत को वहाँ के के तत्कालीन कृषि निदेशक स्वतंत्रत कुमार आई ए यस ने महसूस किया ।उन्होंने अगामी पिराई सत्र से पूर्व 4माह से भी कम समय मे 9 जुलाई से19 नवम्बर केबीच पौंटा साहिब में फैक्ट्री के लिए जमीन अधिग्रहण,बिजली, पानी, प्रोजेक्ट वित्तिय व्यबस्था टेंडर फैक्टरी के सेड ,मशीनों के बिठाया जाना आदि कार्य से तैयार कर गना पिराई का काम सुरू करा कर जनता को राहत दी और उनकी इच्छा शक्ति की बात यह है कि अपने आप इस बीच सरकार की ओर से प्रशिक्षण केलिये अमेरिका में रहे । इसकी जानकारी वहां की सरकार से आर टी आई के जिज्ञासु ले सकते हैं। इस सोच को उत्तराखंड के विकास के लिए करने की आवश्यकता है।
इनसब बात का कहने का लबो लबादा यह है कि अब निगम उत्तराखंड सरकार के हित के लिए बनाया गया है तो ब्रिडकुल को बड़े काम मिलते रहे ताकि निगम की शाख बढ़े प्रदेश से बाहर,विदेशों में ब्रिडकुल के कुशल प्रबंधन को काम मिल सके ।