केंद्रीय सेंसर बोर्ड ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को पत्र लिखा है। बोर्ड ने कहा है कि सरकार सिनेमोटोग्राफ एक्ट में जरूरी संशोधन करने पर विचार करे, ताकि यू-टय़ूब पर मनमर्जी की फिल्में, लघु फिल्में या कैप्सूल दिखाने को नियंत्रित किया जा सके। सेंसर बोर्ड को केवल सिनेमा हॉलों में रिलीज होने वाली फिल्मों को प्रमाण पत्र देने का अधिकार है। सेंसर बोर्ड ने सरकार से कहा कि यू-टय़ूब पर दिखाई जाने वाली फिल्मों को भी उसके दायरे में लाया जाए नहीं तो बोर्ड की कोई अहमियत नहीं रह जाएगी।
कई बार ऐसा भी देखा गया है कि सेंसर बोर्ड ने जिन फिल्मों के सीन काटे, निर्माताओं ने यू-टय़ूब पर दिखा दिए। इससे सेंसर बोर्ड के होने या न होने का कोई अर्थ नहीं रह जाता। क्योंकि यह समय डिजिटल युग का है और आने वाले समय में डिजिटल का और भी प्रसार होने वाला है।