नई दिल्ली। राहुल गांधी जल्दी ही फिर कांग्रेस की कमान संभाल सकते हैं। पार्टी में इसकी चर्चा शुरू हो गई है। इसका एक बड़ा संकेत महाराष्ट्र में सरकार गठन से भी मिला है, जब हाल ही में बनी शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस गठबंधन वाली महाविकास अघाड़ी की सरकार में अचानक कांग्रेस के कोटे से बाला साहेब थोराट के साथ नितिन राउत को मंत्री बनाया गया और नाना पटोले को विधानसभा अध्यक्ष के लिए कांग्रेस ने नामित किया।
जबकि पहले मंत्रिमंडल के लिए थोराट के साथ अशोक चह्वाण और विधानसभा अध्यक्ष के लिए पृथ्वीराज चह्वाण के नामों की चर्चा तेज थी। कांग्रेस सूत्रों के अनुसार नितिन राउत और नाना पटोले के नाम राहुल गांधी ने दिए हैं। दोनों को ही राहुल का करीबी माना जाता है।कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक राहुल गांधी अब खुद भी पार्टी की कमान संभालने के इच्छुक हैं। उन्हें अहसास हो गया है कि लोकसभा चुनावों में पार्टी की करारी हार के बाद उन्होंने पार्टी अध्यक्ष पद छोड़ने का जो फैसला किया था, वह तब के माहौल को देखते हुए लिया गया था। लेकिन अब जबकि अर्थव्यस्था की खस्ता हालत की वजह से मोदी सरकार का ग्राफ तेजी से नीचे गिरा है और जिस तरह हरियाणा में भाजपा बहुमत नहीं पा सकी और महाराष्ट्र में भाजपा को सत्ता से बाहर होना पड़ा, ऐसी बदली परिस्थितियों में कांग्रेस को अब विपक्ष की राजनीति में फ्रंट फुट पर आकर खेलना होगा और इसके लिए राहुल गांधी अब खुद को तैयार पा रहे हैं।इसीलिए अपने अज्ञातवास से लौटते ही राहुल ने लोकसभा में सबसे पहले महाराष्ट्र में राज्यपाल द्वारा एकाएक देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार को मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री की शपथ दिलाए जाने का विरोध दर्ज कराते हुए प्रश्नकाल में सवाल पूछने से इनकार कर दिया। इसके बाद प्रज्ञा ठाकुर के विवाद में भी राहुल ने आक्रामक प्रतिक्रिया दी और लोकसभा में भाजपा सांसद द्वारा विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव लाने की घोषणा के जवाब में कहा कि वह अपने बयान पर कायम हैं। इन दो सार्वजनिक हस्तक्षेपों से राहुल ने विपक्ष की राजनीति में खुद को फिर आगे ला दिया। मुंबई कांग्रेस के एक नेता के मुताबिक सरकार के गठन में राहुल गांधी के हस्तक्षेप से दो बातें साफ हैं। पहली ये कि राहुल पूरी तरह से पुराने ढांचे को बदलकर अपना नया आधार तैयार कर रहे हैं। इसीलिए अगर मराठा बाला साहेब थोराट, जो नम्र स्वभाव स्वभाव वाले हैं, को मंत्री बनाया गया तो अंबेडकरवादी बौद्ध दलित नितिन राउत को मंत्री और बेहद आक्रामक किसान नेता नाना पटोले, जो कुनबी समुदाय से आते हैं, को विधानसभा अध्यक्ष पद देकर राहुल ने सामाजिक समीकरणों को साधने की कोशिश की है।
जबकि कांग्रेस के ज्यादातर वरिष्ठ नेता अशोक चह्वाण और पृथ्वीराज चह्वाण के नामों पर सहमत थे। लेकिन राहुल गांधी ने महाराष्ट्र के प्रभारी मल्लिकार्जुन खड़गे के जरिए इन दोनों नामों पर मुहर लगवाई। कांग्रेस के एक अन्य वरिष्ठ नेता का कहना है कि भले ही सोनिया गांधी कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष हैं, लेकिन अभी भी फैसले लेने में राहुल गांधी की राय ली जाती है और अगर वह किसी बात पर जोर देते हैं, तो उसे माना जाता है। बताया जाता है कि अध्यक्ष पद संभालने के बाद सोनिया गांधी के भरोसेमंद वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी के सांगठनिक मामलों के महासचिव के.सी. वेणुगोपाल, जिन्हें राहुल ने यह जिम्मेदारी दी थी, को बदलकर बुजुर्ग नेता सुशील कुमार शिंदे को इस पद पर लाने का सुझाव सोनिया को दिया, तो राहुल ने उस पर वीटो कर दिया।
इसी तरह सोनिया के अध्यक्ष पद संभालने के बावजूद कांग्रेस के केंद्रीय पदाधिकारियों की जिम्मेदारियों में कोई खास फेरबदल नहीं हुआ। कांग्रेस सूत्रों ने यह भी कहा कि जब महाराष्ट्र में शिवसेना एनसीपी के साथ सरकार बनाने की बातचीत शुरु हुई, तो सोनिया ने यह सुझाव देने वाले नेताओं से कहा कि वह राहुल से भी बात करें। तब इन नेताओं ने कहा कि राहुल जी तो बाहर हैं, उनसे कैसे संपर्क हो, तो कहा गया कि उन्हें ईमेल से बताया जाए। इसके बाद लगातार राहुल गांधी को ईमेल से महाराष्ट्र के घटनाक्रम की जानकारी दी जाती रही। यही नहीं सूत्रों का यह भी कहना है कि राहुल के ही सुझाव पर प्रियंका गांधी को सिर्फ और सबसे ज्यादा ध्यान उत्तर प्रदेश पर ही देने को कहा गया है। इसीलिए कार्यकर्ताओं और उम्मीदवारों के बार-बार अनुरोध के बावजूद प्रियंका गांधी चुनाव प्रचार के लिए न महाराष्ट्र और न ही हरियाणा गईं, साथ ही झारखंड के स्टार प्रचारकों की सूची में भी उनका नाम शामिल नहीं किया गया।अगर राहुल को फिर पार्टी अध्यक्ष बनाया जाना है, तो उसकी क्या प्रक्रिया होगी, इस सवाल के जवाब में कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य रहे एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि कार्यसमिति की बैठक बुलाकर यह फैसला कभी भी लिया जा सकता है और बाद में उसका महासमिति का अधिवेशन बुलाकर उसका अनुमोदन कर लिया जाएगा। कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि अभी पार्टी के शीर्ष स्तर पर इस पर राय मशविरा हो रहा है। सहमति बनते ही कार्यसमिति की बैठक इस मुद्दे पर बुलाई जाएगी। जिसमें राहुल को दोबारा कांग्रेस अध्यक्ष बनाने पर विस्तृत चर्चा के बाद अंतिम फैसला लिया जाएगा।