प्रधान न्यायाधीश जे.एस. खेहर के नेतृत्व वाली पांच न्यायाधीशों की एक संविधान पीठ ने याचिकाओं को दायर करने में हुई देरी और उनके गुणदोष के आधार पर खारिज कर दिया.
पीठ में न्यायमूर्ति पी सी घोष, न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एम सप्रे और न्यायमूर्ति यू यू ललित भी थे. पीठ ने कहा, ”वर्तमान याचिकाएं इस अदालत द्वारा दो दिसम्बर 2015 को रिट याचिकाओं और आपराधिक अपील पर दिए गए फैसले की समीक्षा के लिए दायर की गई हैं. 2016 की समीक्षा याचिका संख्या 560-564 दायर करने की निर्धारित अवधि के 208 दिन बाद दायर की गई है, जबकि 2017 की 27 नम्बर समीक्षा याचिका दायर करने की निर्धारित अवधि से 358 दिन बाद दायर की गई है. इतनी अधिक देरी का कोई संतोषजनक स्पष्टीकरण नहीं दिया गया है.”
पीठ ने कहा, ”इसलिए यद्यपि वर्तमान याचिकाएं विलंब के आधार पर ही खारिज करने योग्य हैं, इसके बावजूद हमने समीक्षा के लिए याचिकाओं, संबंधित फैसले और उससे जुड़े दस्तावेजों पर ध्यानपूर्वक गौर किया. हम इससे संतुष्ट हैं कि मामले के रिकार्ड के आधार पर कोई त्रुटि स्पष्ट नहीं है जिससे संबंधित फैसले पर पुनर्विचार की जरूरत हो. वर्तमान याचिकाओं में कोई दम नहीं है.”
पीठ की ओर से फैसला कल पारित किया गया और इसे उच्चतम न्यायालय की वेबसाइट पर आज मुहैया कराया गया. पीठ ने कहा, ”समीक्षा याचिकाएं, तदनुसार विलंब के साथ ही गुणदोष के आधार पर खारिज की जाती हैं.”