देहरादून। कोरोना के खिलाफ जंग जीतने का दावा करने वाली उत्तराखण्ड सरकार पर हुए कोरोना के बड़े हमले से सूबे में हड़कंप मचा हुआ है। काबीना मंत्री सतपाल महाराज, उनकी पत्नी, परिजनों व स्टाफ के कोरोना पाजिटिव मिलने के बाद अब मुख्यमंत्री सहित तमाम मंत्रियों व अधिकारियों को होम क्वारंटीन कर दिया गया है। उत्तराखण्ड देश का पहला ऐसा राज्य है जहां पूरी सरकार ही कोरोना की चपेट में आ गई है।
जिस शासनकृप्रशासन पर प्रदेश वासियों और प्रवासियों को कोरोना से बचाने की जिम्मेवारी थी वह सरकार खुद अपनी लापरवाही के कारण कोरोना का शिकार हो जाये तो ऐसे में सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठना लाजमी है। अब लोग पूछ रहे है कि क्या सभी को आरोग्य सेतू एप डाउनलोड करने की नसीहत देने वाली सरकार के किसी मंत्री व अधिकारी ने आरोग्य सेतू एप डाउनलोड नहीं किया था। अगर किया था तो फिर इस एप ने उन्हे सतपाल महाराज के कोरोना संक्रमित होने की जानकारी क्यों नहीं दी?
महाराज जिनके आवास पर क्वारंटीन परिसर का नोटिस चस्पा था उन्होने नियमों का उल्लंघन क्यों किया? क्यों वह कैबिनेट की बैठक में गये। जिसके कारण पूरी सरकार और सचिवालय प्रशासन संकट में फंसा हुआ है। हास्यापद बात यह है कि अभी भी सत्ताधारी व अधिकारी स्वंय के लो रिस्क में होने की बात कहकर क्वांरटाइन होने से बचने का प्रयास कर रहे है। हाई रिस्क व लो रिस्क की आड़ में अब डीएम दून को तय करना है कि इन मंत्रियों व अधिकारियों को 14 दिन के लिए क्वारंटीन किया जायेगा या नहीं। फिलहाल यह मंत्री व अधिकारी स्वतः होम क्वारंटीन है यह जानकारी मदन कौशिक ने दी है।
मुख्यमंत्री अधिकारियों को क्या क्वांरटीन नियमों का पालन न करने वालों पर धारा 307(हत्या का प्रयास) में मुकदमा दायर करने के निर्देश देते है। क्या ऐसे में वह सतपाल महाराज के खिलाफ भी 307 का मुकदमा दर्ज करायेंगे? या फिर उन पर यह नियम लागू नहीं होगा। इस मामले ने सरकार को ऐसे कई सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है। जो सरकार खुद को कोरोना से नहीं बचा सकी वह जनता को क्या बचायेगी? क्या कोरोना को लेकर बने नियम कानून सिर्फ आम आदमी के लिए ही बने है? भाजपा मुख्यालय पर चस्पा क्वांरटीन नोटिस से भी भाजपा ने कोई सबक लेने की जरूरत क्यों नहीं समझी।