परियोजना के तहत राष्ट्रपति संपदा में चार महीने की रिकार्ड समय अवधि में अलग-अलग भवनों की छतों पर 2.23 करोड़ रूपये के निवेश से सौर पैनल लगाए गए हैं.
मुखर्जी ने कहा, ”आज हम जिसकी स्थापना कर रहे हैं, यह भविष्य का इंतजाम है. सौर ऊर्जा उत्पादन के मकसद से इस पहल का हिस्सा बनना मेरे लिए सुखद अवसर है.” राष्ट्रपति ने कहा कि भारत में 30 करोड़ लोग बिजली से वंचित हैं और उन्हें बिजली प्रदान करना एक चुनौती है.
मुखर्जी ने कहा, ”हमें ऊर्जा संरक्षण करना चाहिए ताकि जरूरतमंदों को बिजली का उनका हिस्सा मिले. विकास की जरूरत जहां भी होती है, ऊर्जा जरूरी होती है और एक हिस्से को अगर ऊर्जा नहीं मिले तो वह पीछे रहता है. बिजली की अवश्य बचत होनी चाहिए और जरूरत के मुताबिक इस्तेमाल होना चाहिए, ताकि इसे जरूरतमंदों को मुहैया कराया जा सके.”
उन्होंने कहा, ”जीवाश्म ईंधन के इस्तेमाल और कार्बन उत्सर्जन की सीमा पर भारत ने पेरिस जलवायु परिवर्तन समझौते पर दस्तखत किए हैं. जीवाश्म ईंधन की जगह नवीन ऊर्जा का इस्तेमाल समय की जरूरत है. हमारे पास पर्याप्त सौर ऊर्जा की मात्रा है जिसका जरूर इस्तेमाल होना चाहिए.”
मुखर्जी ने कहा, ”नवीकरणीय ऊर्जा हमारे पर्यावरण के लिए अच्छी है क्योंकि यह कार्बन उत्सर्जन घटाता है. इससे राष्ट्रपति संपदा और ऊर्जा सक्षम बनेगी. हमारा लक्ष्य 2020 तक 100 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन का है जो जरूर हासिल किया जाना चाहिए.”