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पंचायत चुनाव में भी दिख रही कांग्रेस फेल

Pahado Ki Goonj

देहरादून। देश की राजनीति के साथ ही उत्तराखण्ड में भी काग्रेस पूरी तरह से हर मामले में विफल साबित हो रही है। त्रिवेन्द्र सरकार को कांग्रेस हर मामले में घेरने में अब तक विफल साबित हुई है। हालात ऐसे होते दिख रहे है कि उत्तराखण्ड में विपक्ष नाम की कोई चीज नही रह गयी है। उत्तराखंड में पंचायत चुनाव की प्रक्रिया जारी है और पिथौरागढ़ उपचुनाव का ऐलान हो चुका है लेकिन विपक्ष लगातार निष्प्रभावी ही नजर आ रहा है। राजनैतिक पर्यवेक्षक मानते हैं कि विपक्षी पार्टी कांग्रेस उत्तराखंड में प्रभावी भूमिका नहीं निबाह पा रही है। प्रदेश में ऐसे कई मुद्दे आए जिन पर विपक्ष हमलावर हो सकता था लेकिन कांग्रेस कोई आंदोलन खड़ा करने में नाकाम रही. उत्तराखंड में पंचायत चुनाव जारी हैं और बीडीसी सदस्यों को हाईजैक करने का मुद्दा गरम है, लेकिन कांग्रेस इसे भी कैश नहीं कर पा रही है। 2017 के विधानसभा और 2019 के लोकसभा चुनावों ने उत्तराखंड में कांग्रेस की राजनीतिक नींव हिला दी थी। लेकिन ऐसा लगता है कि कांग्रेस ने इन भारी ऐतिहासिक हारों से सबक नहीं लिया। नतीजा यह हुआ कि पिछले तीन साल में कांग्रेस सत्तारूढ़ भाजपा के खिलाफ कोई ठोस जनांदोलन खड़ा नहीं कर पाई।
अभी जारी क्षेत्र और जिला पंचायत चुनावों में प्रदेश में सदस्यों को हाइजैक करने का मुद्दा सबसे गरम है। इस मामले में हाईकोर्ट भी एक जनहित याचिका को स्वीकार कर चुका है। यानी कि यह एक रेडीमेड मुद्दा है. लेकिन कांग्रेस अब भी बीजेपी पर आरोप ही लगा रही है। कांग्रेस का कहना है कि सत्ता की ताकत का इस्तेमाल कर बीजेपी बीडीसी अध्यक्ष के पदों पर कब्जा करना चाहती है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट कांग्रेस के इस आरोप को खारिज करते हैं और कहते हैं कि कांग्रेस विपक्ष का रोल ठीक से नहीं निभा पा रही है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह कमजोर विपक्ष के बयान पर पलटवार करते हुए पूछते हैं कि कभी सत्ता पक्ष वाली पार्टी राजभवन में विपक्ष की शिकायत करने गई है। प्रीतम सिंह ने कहा कि यह ही मजबूत विपक्ष की निशानी और सबूत है। सच तो ये है कि पिछले तीन सालों में कांग्रेस ने जो भी मुद्दे उठाए हैं वे सिर्फ अपनी मौजूदगी दर्ज करने के लिए. लेकिन 2022 में सत्ता वापसी के लिए कांग्रेस को जनता से जुड़े मुद्दे उठाने की औपचारिता करने की अपनी आदत को छोड़ना होगा और मुद्दों को सड़क से जनता तक ले जाना पड़ेगा तभी इसकी खोई हुई राजनीतिक जमीन वापस पा सकती है।

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