कोर्ट मामले में लगातार छह दिनों तक सुनवाई करेगी। और आज सुनवाई का दूसरा दिन है। पीठ ने कहा कि अगर ये धर्म का मामला है, तो अदालत इसमें दखल नहीं देगी लेकिन अगर यह धर्म का मामला नहीं निकला तो सुनवाई आगे चलती रहेगी। कोर्ट ने सुनवाई के लिए तीन बिंदु निर्धारित किए हैं। कोर्ट ने कहा है कि क्या तीन तलाक को पवित्र माना जा सकता है, इस पर सुनवाई की जाएगी।
जस्टिस केहर ने संबंधित पक्षों से कहा कि वे इस बात पर ध्यान दें कि क्या तीन तलाक इस्लाम का बुनियादी हिस्सा है। उन्होंने संबंधित पक्षों से यह भी बताने को कहा कि उनके हिसाब से क्या तीन तलाक लागू करने योग्य बुनियादी अधिकार है। अदालत की संवैधानिक पीठ ने तलाक के मुद्दे पर फैसला करने के दौरान निर्देश जारी करने को लेकर व्यापक मानदंडों पर सुझाव भी मांगे।
जस्टिस खेहर के अलावा संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में जस्टिस कुरियन जोसेफ, जस्टिस रोहिंटन फली नरीमन, जस्टिस उदय उमेश ललित और जस्टिस अब्दुल नजीर शामिल हैं। संविधान पीठ के सदस्यों में सिख, ईसाई, पारसी, हिन्दू और मुस्लिम सहित विभिन्न धार्मिक समुदाय से हैं। कोर्ट ने कहा कि दोनों पक्षों को मामले में अपने तर्क रखने के लिए दो-दो दिन दिए जाएंगे. उसके बाद दोनों पक्षों को प्रत्युत्तर देने के लिए एक-एक दिन दिया जाएगा।
पीठ सात याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है जिनमें पांच याचिकाएं मुस्लिम महिलाओं ने दायर की हैं। उन्होंने समुदाय में प्रचलित तीन तलाक की प्रथा को चुनौती दी है। याचिकाओं में दावा किया गया है कि तीन तलाक असंवैधानिक है।