आल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड के महासचिव मौलाना वली रहमानी ने कहा ‘‘ऐसे जाहिलाना बयान पर कोई प्रतिक्रिया देना मैं जरूरी नहीं समझता। तलाक के मसले की द्रौपदी के चीरहरण से तुलना तो कोई जाहिल ही कर सकता है।’’ आल इण्डिया शिया पर्सनल ला बोर्ड के प्रवक्ता मौलाना यासूब अब्बास ने कहा कि तलाक और द्रौपदी के चीरहरण में अन्तर है। दोनों के बीच तुलना नहीं की जानी चाहिये।
आल इण्डिया मुस्लिम वूमेन पर्सनल ला बोर्ड की अध्यक्ष शाइस्ता अम्बर ने भी कहा ‘‘तलाक के मामले की द्रौपदी के चीरहरण से तुलना नहीं की जानी चाहिये। अगर योगी इसे तर्क के रूप में पेश कर रहे हैं तो यहां हिन्दू महिलाओं को भी दहेज के लिये जलाया जा रहा है। प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को उनकी समस्याओं पर भी ऐसी ही टिप्पणी करनी चाहिये।’’
सोमवार को मुख्यमंत्री ने पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर की 91वीं जयन्ती पर लखनऊ में आयोजित कार्यक्रम में तीन तलाक के मुद्दे का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘कुछ लोग देश की इस (तीन तलाक) ज्वलंत समस्या को लेकर मुंह बंद किये हुए हैं, तो मुझे महाभारत की वह सभा याद आती है, जब द्रौपदी का चीरहरण हो रहा था, तब द्रौपदी ने उस भरी सभा से एक प्रश्न पूछा था कि आखिर इस पाप का दोषी कौन है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि देश का राजनीतिक क्षितिज तीन तलाक को लेकर मौन बना हुआ है। सच पूछें तो यह स्थिति पूरी व्यवस्था को कठघरे में खड़ा कर देती है। अपराधियों के साथ-साथ उनके सहयोगियों को और मौन लोगों को भी।’’