उत्तराखण्ड का ज्यादा बजट बेतन में जाता है और विकास के काम का बजट कम है।जनता के काम को टालने वाले कर्मचारी ज्यादा हैं ।वह हमारे बीच के है ।तो उनको सुधारने का काम भी हमे करना है,,,,,,,
https://ukpkg.comन्यूज़ पोर्टल का उत्तराखण्ड सरकार से कहना है ।कर्मचारियों की मांग तो मान लेनि चाहिए ।उनके मामले में सरकार बैक पुट आजाती है ?कारण जनहित मे निजी स्वार्थ आगे आना ।अब चाहे मंत्री हो या कर्मचारी सब का बोझ जनता के उपर है। जनता अपने को कुछ निकमे कर्मचारियों की वजह से परेशान होकर निरास रहती है। सरकार को ही जनता का जबाब देना होता है उसकी ही जबाब दारी है कर्मचारियों की नहीं ।अब मंत्रिमंडल एक निर्णाय ले कि जिन कर्मचारियों ने जनता का किसी कार्य को करने के लिये 3बार झूट बोल कर काम 1माह तक न किया हो तो उसका एक दिन के बेतन कटौती कर नही दिया जाएगा।तो कर्मचारी यूनियन की कार्य करने की शैली बदलने के लिए तैयार रहना पड़ेगा ।इसके लिये जिस दिन मंत्रिमंडल तैयारी करेगा उसी दिन आधा कर्मचारियों को बेतन नही देना पड़ेगा क्योंकि कर्मचारियों के तो 6-6माह से जनता को झूठ बोल कर जनता को परेशान कर रखा है ।आज17 साल बीतने को हैं जनता दिन पर दिन दुःखी इन कर्मचारियों से होती जारही है जो बाप का कहना नही मानेगा उसको बेदखल करने का अधिकार है। बापके पास है ।