ऊत्तराखण्ड सरकार ब्रह्म कमल को शुखा कर इसका व्यपार कर प्रति वर्ष200करोड़ से ज्यादा व्यपार कर सकती है।इसके विक्री से पर्यटकों की आने की सम्भावना बढ़ेगी पर अधिकारियों की जैसी इच्छा होगी प्रदेश में जनहित नही ओर के हितों के लिये कार्यक्रम बनाये जाते रहेंगे ।लावारिस ऊत्तराखण्ड मुख्यमंत्रीयों के बदलने से अंधा पीस रहा कुत्ते चाट रहे। ऐसे जड़ी बूटियां जिस पर प्रतिबंध नही उसे पहले पकड़ रहे ताकि सौदा होगया तो ठीक बाकी जेल भेजो जैसे कीड़ा जड़ी प्रतिबंदित नही है फिरभी जोशीमठ, धारचूला ,बागेश्वर आदि जगह के लगों को पकड़ने के लिए लालायित रहते हैं । पाठकों से अनुरोध है कि अपनी प्रतिक्रिया ईमेल sms से भेजे
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