भारत को 21 जनवरी को सौंपे गये चंदू बाबूलाल चव्हाण ने शुक्रवार को मुंबई में एक मराठी चैनल के साथ बातचीत के दौरान कहा, ”मेरे साथ मार-पीट की गयी। मैंने उनसे कहा: मुझे मार डालो। मुझे वह अन्त का मार्ग लगता था।” सीमा पार करने और पाकिस्तानी सैनिकों द्वारा पकड़े जाने के बाद की स्थिति के बारे में चव्हाण ने कहा, ”उन्होंने मेरी जांच की, मेरे कपड़ों की तलाशी ली। मुझ पर काला कपड़ा डालकर एक वाहन में लेकर गये।”
सैनिक ने कहा, ”मुझे एक कमरे में रखा गया था, जहां हर वक्त अंधकार रहता था। इस माह की शुरुआत में धुले जिलांतर्गत अपने पैतृक गांव बोरविहिर लौटे सैनिक ने चैनल से कहा, ”जब मैं अपने सिर को पटककर उनसे कहता था कि मुझे मार डालो तो वे मुझे इंजेक्शन दिया करते थे। वे मेरी पिटाई किया करते थे। एक ऐसा समय आ गया जब मेरी आंखों में आंसू भी नहीं आते थे।” भारतीय सैनिक चव्हाण ने कहा, ”मुझे दिन और रात का पता नहीं चल पाता था। मैं उन भयानक दिनों में अपने परिवार को याद किया करता था। मैं ईश्वर से मौत मांगता था।”