भारत नहीं चाहता संविधान दिवस की तरह दो गणतन्त्र दिवस बने
(भारत के मुख्य न्यायाधीश को गणतन्त्र दिवस के सलामी मंच पर बैठाओ)
एक संविधान एक राष्ट्र होने पर भी भारत यानि इंडिया, इंडिया यानी भारत नै 26 नवम्बर, 2024 को दो संविधान दिवस बनाये, पहला भारत के राष्ट्रपति के नेतृत्व में व दुसरा भारत के मुख्य न्यायाधीश के नेतृत्व में | राष्ट्रपति व मुख्य न्यायाधीश आपस में एक-दूसरे को संविधान की शपथ दिलाते हैं इसलिए किसी भी एक कार्यक्रम को अनुचित व अमर्यादित नहीं कह सकते |
अब संविधान लागू करने की तारिख 26 जनवरी चन्द घंटों के फासले पर हैं। इस दिन राष्ट्र गणतन्त्र दिवस के रूप में अपने सभी शहीदों को सलामी व किसी अन्य राष्ट्र के प्रमुख की उपस्थिति में दुनिया को अपनी ताकत, सभ्यता, संस्कृति व बढते हुए मानवीय, सामाजिक व लोकतान्त्रिक विकास को बताता है |
इस राष्ट्रिय कार्यक्रम में अब तक भारत के प्रमुख न्यायाधीश को निचे बैठाने व उनसे संविधान की शपथ लेकर शक्तियां प्राप्त करने वाले राष्ट्रपति व उनसे भी आगे शपथ लेकर संवैधानिक पद व शक्तियां प्राप्त करने वाले राज्य सभा व लोकसभा के अध्यक्ष और प्रधानमंत्री मंच पर बैठते हैं | यह अपने आप में घोर अनर्थ, अन्याय व असंवैधानिक हैं | उच्चतम न्यायालय को अलग झण्डा व प्रतिक चिह्न देने से अब भारत के मुख्य न्यायाधीश को भी अलग गणतन्त्र दिवस बनाने की संवैधानिक मजबूरी पैदा हो गई हैं |
मुख्य न्यायाधीश के संवैधानिक पद के आगे भारत होने से उन्हें संविधान, देशवासियों और उच्चतम न्यायालय सहित देश की सभी न्यायपालिकाओं की सुरक्षा व नैतिक दायित्व के लिए उन्हें वर्ष में एक बार राष्ट्रीय तिरंगे, अपने-अपने कार्य क्षेत्र में राष्ट्रिय गौरव बढाने वाले सभी माननीयों व तन-मन-धन को न्यौछावर कर सर्वोत्तम बलिदान करने वाले शहीदों को नमन, सलामी व श्रृद्धांजली देनी पड़ेगी |
युवा वैज्ञानिक शैलेन्द्र कुमार बिराणी द्वारा महामहिम राष्ट्रपति, उच्चतम न्यायालय, मुख्य न्यायाधीश, सभी राज्यों के हाईकोर्ट, बार काउंसिल व राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (एन.ऐ.एल.सा.) के माध्यम से सभी मुख्य न्यायाधीशों को एक साथ ईमेल के माध्यम से दो संविधान दिवस दिवस बनाने को विज्ञान के सिद्धांत के तले करे साइंटिफिक-एनालिसिस के आधार पर गलत होने की बात सामने रखने पर राष्ट्रपति महोदय ने अपने संज्ञान में लेते हुए इस पर कार्यवाही के लिए केन्द्रीय गृहमंत्रालय के सचिव श्री अजय भल्ला जी को भेज दिया | इस पर उनका फैसला एक माह के अधिक समय से विचाराधीन है। यह फैसला ही तय करेगा कि गणतन्त्र दिवस के राष्ट्रीय सलामी प्रोग्राम में भारत के मुख्य न्यायाधीश मंच पर बैठेंगे या नहीं |
नेशनल फेडरेशन आफ समाल एण्ड मीडियम न्यूजपेपर (IFSMN) के साथ संस्थापक श्रीमति पुष्पा पंडया नेशनल मीडिया कान्फडेशन, श्री जीतमणी पैन्यूली अध्यक्ष ऑल इंडिया वेब पोर्टल एसोसिऐशन देहरादून, श्री शीबू खान अध्यक्ष साइबर जर्नलिस्ट एसोसिएशन फतेहपुर (उत्तरप्रदेश), श्रीमति मंजु सुराना संस्थापक हम लोग ने गृहसचिव को ईमेल के माध्यम से पत्र लिख अतिशीघ्र फैसला लेने का अनुरोध किया हैं। इससे राष्ट्रिय तिरंगे के चक्र की गतीशीलता समय की मर्यादा भंग न करे | . IFSMN का प्रमुख सदस्य उत्तराखंड है |